आनलाइन ठगी करने वाले मुख्य आरोपित को साइबर क्राइम सेल की टीम ने कोलकाता में पकड़ा, लखनऊ में बैंककर्मी हुआ था शिकार
नौकरानी उपलब्ध कराने के नाम पर तालकटोरा के बैंक कर्मी से 52 लाख रुपये ठगने वाले गिरोह का संचालक संंदीप मंडल लड़कियों से मनचाही बात कराने के नाम पर भी रुपये ऐंठता था। साइबर सेल टीम ने कोलकाता पहुंचकर मुख्य आरोपित संदीप मंडल को पकड़ लिया।
लखनऊ, जागरण संंवाददाता। नौकरानी उपलब्ध कराने के नाम पर तालकटोरा के बैंक कर्मी से 52 लाख रुपये ठगने वाले गिरोह का संचालक संंदीप मंडल लड़कियों से मनचाही बात कराने के नाम पर भी रुपये ऐंठता था। संदीप मंडल और उसके गिरोह में शामिल लोगों ने सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये ठगे। यह राजफाश साइबर क्राइम सेल की पूछताछ में हुआ।
गूगल पर लोकैंटों प्लेटफार्म सर्च करते ही गिरोह ट्रेस कर लेता था नंबर : साइबर क्राइम सेल के प्रभारी रणजीत राय ने बताया कि कोलकाता के न्यू टाउन हिडको आवासन बिल्डिंग हेयर स्ट्रीट इलाके से गिरोह का संचालन करने वाला संदीप मंडल बहुत ही तेज है। उसने गूगल सर्च पर लोकैंटो प्लेट फार्म पर अपनी डेटिंग एड के नाम से आइडी डाल रखी थी। लोकैंटो, गूगल पर एडवर्टीजमेंट करने का एक इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म है। कोई भी व्यक्ति जो इस प्लेटफार्म पर जाता तो उसके सर्च करने की डिटेल डेटिंग एड को हो जाती है। इसके बाद गिरोह के लोग उसे काल करते और पूछते आपकी जरूरत क्या है।
धीरे-धीरे उसे अपनी बातों में उलझाकर लड़कियों से मनचाही बात कराने, नौकरानी उपलब्ध कराने व अन्य कार्यों का हवाला देकर रजिस्ट्रेशन कराते थे। इसके बाद लड़कियों से फोन पर बात कराकर और वीडियो काल कराकर अश्लील बातों में उलझाकर रिकार्डिंग कर लेते। फिर वायरल करने का झांसा देकर रुपये ऐंठते थे। प्रभारी रणजीत राय ने बताया कि गिरोह में तीन से चार लोग और हैं जो फरार हैं। फरार आरोपित संदीप मंडल को फर्जी आइडी पर 40-50 मोबाइल फोन के सिम उपलब्ध कराने के साथ ही फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विभिन्न बैंको में खाते खुलवाते थे। उन खातों में यह लोग रुपये ट्रांसफर कराते थे।
नंबर और आइडी ट्रेस कर पकड़ा : साइबर क्राइम सेल के एक्सपर्ट फिरोज बदर ने बताया कि पीड़ित के द्वारा दी गई आइडी और मोबाइल नंबर के आधार पर आरोपित की लोकेशन ट्रेस की गई। इसके बाद टीम कोलकाता पहुंची। वहां दो दिन तक छानबीन चलती रही। इसके बाद हेयर स्ट्रीट थाना के अजीत सेन भवन में छापेमारी की गई। पता चला कि यहां आफिस चलता है। इसके बाद संदीप मंडल को पकड़ा गया। संदीप ने फर्जी तरीके से कंपनी बना रखी थी और लोगों को ठगने के काम करता था।