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महंत नृत्यगोपालदास की उपेक्षा के पीछे सरकार की मजबूरी, जान‍िए क्‍या है कारण

ढांचा ध्वंस के आरोप की वजह से सरकार ट्रस्ट में उन्हें शामिल कर विरोधियों को मौका नहीं देना चाहती थी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 10:54 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 06:11 PM (IST)
महंत नृत्यगोपालदास की उपेक्षा के पीछे सरकार की मजबूरी, जान‍िए क्‍या है कारण
महंत नृत्यगोपालदास की उपेक्षा के पीछे सरकार की मजबूरी, जान‍िए क्‍या है कारण

अयोध्या, जेएनएन। मंदिर आंदोलन से जुड़े दिग्गज किरदार, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष पीठ मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास का मंदिर निर्माण के लिए गठित शासकीय ट्रस्ट श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल न किए जाने के पीछे उनका ढांचा ध्वंस के मामले में आरोपी होना कारण माना जा रहा है। गुरुवार को उनकी मान-मनौव्वल करने पहुंचे भाजपा नेताओं के जुबान से भी यह कारण बयां हुआ।

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महानगर भाजपाध्यक्ष अभिषेक मिश्र ने तो उनसे यहां तक कहा कि आपको ट्रस्ट में शामिल किए जाने से कपिल सिब्बल जैसे अतिवादी कांग्रेस नेताओं को ट्रस्ट के विरोध का बहाना मिल जाता और तब मंदिर निर्माण शुरू होने में विलंब भी संभावित था। ...और सच्चाई तो यह है कि सिब्बल ही नहीं मौजूदा सरकार पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाने के लिए तैयार बैठा रहने वाला पूरा राजनीतिक विरोधियों का कुनबा ढांचा ध्वंस के आरोपी को मंदिर निर्माण के ट्रस्ट में शामिल करने का सवाल खड़ा कर सरकार को घेरने का अभियान छेड़ता।

लोगों का मानना है कि सरकार विरोधियों को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती थी। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार महंत नृत्यगोपालदास का सम्मान किस तरह समायोजित करेगी। पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास एवं निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास के रूप में मंदिर आंदोलन के कुछ अन्य चुङ्क्षनदा लोगों की भी उपेक्षा जहां हैरत में डालने वाली है, वहीं भविष्य में इन्हें भी साधे रखने की चुनौती होगी।

ट्रस्ट से संतों-महंतों का अपमान किया गया : दास

ट्रस्ट के स्वरूप को लेकर महंत नृत्यगोपालदास का दर्द भी छलका। उन्होंने कहा, नवगठित ट्रस्ट के माध्यम से अयोध्यावासी संत-महंतों का अपमान किया गया है। उन्होंने कहा, जिन्होंने राममंदिर के लिए पूरा जीवन कुर्बान कर दिया, उनका इस ट्रस्ट में कोई नामो-निशान नहीं है। मंदिर आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के अवदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, मुझे न सही दिगंबर अखाड़ा को तो ट्रस्ट में जगह मिलना चाहिए था। इस दौरान उन्होंने अखाड़ा के साकेतवासी महंत एवं मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे रामचंद्रदास परमहंस का भी वास्ता दिया।


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