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महंत नृत्यगोपालदास ने 28 वर्ष क्‍यों नहीं क‍िए रामलला के दर्शन, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला

रामजन्मभूमि मुक्ति की चिर साध सिद्ध होने पर महंत नृत्यगोपालदास ने 28 वर्ष बाद किया रामलला का दर्शन। समर्पण और भक्ति के रंग से रोशन हुई रामलला की चौखट।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:20 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 12:03 PM (IST)
महंत नृत्यगोपालदास ने 28 वर्ष क्‍यों नहीं क‍िए रामलला के दर्शन, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला
महंत नृत्यगोपालदास ने 28 वर्ष क्‍यों नहीं क‍िए रामलला के दर्शन, जान‍िए क्‍या है पूरा मामला

अयोध्या, (रघुवरशरण)। भगवान का दर्शन तो भक्त करते ही रहते हैं, पर चिर साध सिद्ध होने के बाद आराध्य के दीदार का उल्लास अलग ही होता है। सोमवार को भक्त और भगवान के बीच इस समीकरण का मनोरम रंग तब बिखरा, जब रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास 28 साल बाद रामलला का दर्शन करने पहुंचे।

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85 वर्षीय महंत नृत्यगोपालदास को उन दिनों बुढ़ापा छू तक नहीं सका था। उनकी गिनती मंदिर आंदोलन के सर्वाधिक सक्रिय, संवेदनशील और समर्पित नेताओं में होती थी। इस भूमिका में वह बराबर रामलला की चौखट पर रामजन्मभूमि मुक्ति का संदेश लेकर पहुंचा करते थे और लौटते थे, एक टीस लेकर। वह यह कि जिन रामलला जन्मभूमि विवादों के भंवर में है। जिनकी जन्मभूमि दुनिया की महानतम और अप्रतिम धरोहर के रूप में अखंड-अक्षुण्ण होनी चाहिए, वह सदियों से अपमान-अवमान का ढांचा बनकर रह गई।

इस ढांचे से मुक्ति भी मिली, तो रामलला के हिस्से तिरपाल की छत आई और नित्य उमडऩे वाले उनके भक्तों के हिस्से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के चलते कदम-कदम पर रोका-टोकी और संकीर्ण-संकरा एवं घुमावदार मार्ग से गुजरने की विवशता आई। मंदिर आंदोलन के अग्रदूत नृत्यगोपालदास ने एक संकल्प और साध लिया कि जब तक रामलला को विसंगतियों से मुक्ति नहीं मिलेगी, वह उनके दर्शन के लोभ से अछूते रहेंगे। इस संकल्प के साथ एक नहीं पूरे 28 साल गुजरे। आखिरकार यह दिन सोमवार को साकार हुआ। नृत्यगोपालदास की ही भाषा में कहें तो रामजन्मभूमि की मुक्ति रामलला की कृपा से ही संभव हुई है। सोमवार को प्रथम बेला में जब वह रामलला का दर्शन करने पहुंचे, तो भक्त और भगवान के बीच के रोचक रिश्ते का रंग शिरोधार्य करने के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय पूरी तत्परता से मौजूद रहे।

समतलीकरण में मिले पुरावशेषों का भी लिया जायजा

महंत नृत्यगोपालदास ने रामलला का दर्शन करने के साथ मंदिर निर्माण के कार्यों का जायजा भी लिया और विक्रमादित्य युगीन मंदिर के अहम अंग माने जाने वाले कसौटी के स्तंभों सहित गत बुधवार को समतलीकरण में मिले कई अन्य पुरावशेषों को भी देखा। परिसर में पहुंचने पर चंपतराय ने अंगवस्त्र प्रदान कर पुजारी संतोष तिवारी के साथ उनका स्वागत किया। इस दौरान महंत नृत्यगोपालदास के साथ मणिरामदास छावनी ट्रस्ट के सचिव कृपालु रामदास 'पंजाबी बाबा' जानकीदास, विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र स‍िंह पंकज, विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा व आनंद शास्त्री आदि मौजूद रहे।

'अवर्णनीय आनंद की अनुभूति'

रामलला के दर्शन के बाद महंत नृत्यगोपालदास ने कहा, मैंने रामलला का दर्शन किया अवर्णनीय आनंद की अनुभूति हुई। वह समतलीकरण में मिले पुरावशेषों पर भी विचार व्यक्त करना नहीं भूले। कहा, राममंदिर पहले भी था और आज भी है। उन्होंने कहा मंदिर निर्माण के काम को और तीव्रता दी जाएगी। 


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