Ram temple movement: आगाज से अंजाम तक पहुंचाने वाले महानायक हैं महंत नृत्यगोपालदास
श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष बनाए गए महंत नृत्यगोपालदास रामजन्मभूमि एवं कृष्णजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष भी हैं।
अयोध्या, (प्रवीण तिवारी)। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष बनाए गए महंत नृत्यगोपालदास जिस भी भूमिका में रहे, उसे शिखर का स्पर्श दिया। धर्माचार्य के तौर पर यदि रामनगरी में वे दशकों से शीर्ष पर बने हुए हैं, तो नई जिम्मेदारी के साथ उनकी छवि मंदिर आंदोलन को आगाज से लेकर अंजाम तक पहुंचाने वाले महानायक की बनी है।
1937 में भगवान कृष्ण की नगरी में पैदा हुए नृत्यगोपालदास ने किशोरावस्था में ही साधु जीवन अंगीकार किया। इस भूमिका में वे इतने प्रखर-प्रभावी थे कि अयोध्या की प्रमुख पीठ मणिरामदास जी की छावनी में आते ही, उनके परमगुरु एवं अपने समय के यशस्वी संत रामशोभादास ने उनमें सफल महंत होने की संभावना देखी। अनुशासित जीवन और कठिन साधना से इस संभावना को वे निरंतर प्रशस्त करते रहे।
1963 में गुरु राममनोहरदास के साकेतवास के बाद उन्हें आम सहमति से इस शीर्ष पीठ का महंत बनाया गया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। छावनी को धार्मिक केंद्र के साथ उन्होंने सेवा केंद्र के रूप में भी विकसित किया। महंत बनने के कुछ ही वर्ष बाद उन्होंने स्थापत्य की शानदार नजीर के तौर पर वाल्मीकीय रामायणभवन का निर्माण कराया और 1985 ई. में ही उन्होंने रामनगरी में चार धाम मंदिर का निर्माण कराया। दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय, संत तुलसीदास योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय, आधुनिक साज-सुविधायुक्त फिजियोथ्रेपी सेंटर आदि उन्हीं की देन है। वे अनेक विद्यालयों के संचालक-प्रबंधक भी हैं।
55 वर्ष पूर्व नगरी की शीर्ष पीठ मणिरामदास जी की छावनी की महंती संभालने के साथ उनकी प्राथमिकताओं में छावनी की बेहतरी के साथ रामजन्मभूमि की मुक्ति का अभियान भी शामिल हुआ। 1984 में जब विहिप ने रामजन्मभूमि के लिए मुक्ति आंदोलन छेड़ा, तो नृत्यगोपालदास उस आंदोलन के अहम किरदार बनकर सामने आए। 1990 की कारसेवा के दौरान उनका आश्रम कारसेवकों के कंट्रोल रूम की भूमिका में था और यहीं अधिकाधिक कारसेवकों को प्रश्रय मिला हुआ था। 2003 में मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे रामचंद्रदास परमहंस के निधन के बाद वे रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष की भी भूमिका में रहे हैं। रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष की भूमिका में प्रभावी रहे नृत्यगोपालदास को जल्दी ही कृष्ण जन्मभूमि न्यास का भी अध्यक्ष बनाया गया।