फिल्म से साहित्य तक कामयाबी का सफर, कलमकारों के प्ररेणास्त्रोत हैं मशहूर फिल्मी गीतकार गुलजार
मशहूर गीतकार गुलजार के जन्मदिन पर कवियों ने कराई उनके गीतों की ताजगी महसूस।
लखनऊ[जगदीप शुक्ल]। हमको मन की शक्ति देना. जैसे प्रेरक गीतों के सृजेता मशहूर गीतकार गुलजार यानी समपूरन सिंह कालरा के गीत फिजाओं में महक रहे हैं। उनके जन्मदिन पर उनके गीतों की ताजगी कवियों ने भी महसूस की। तहजीब के शहर में उनके कद्रदान ही नहीं बल्कि उनसे प्रेरणा लेकर साहित्य की दुनिया में सितारे बनने की ख्वाहिश कवि-शायरों में बनी हुई है। उम्र के 82 वें पड़ाव पर भी कविता के जरिये शानदार उपस्थिति दर्ज कराने का नाम होता है गुलजार।
क्या कहते हैं गीतकार और शयर?
- शायर डॉ निर्मल दर्शन कहते हैं कि मन और जीवन की सूक्ष्म अनुभूतियों को सिल्वर स्क्रीन पर कुशलता से उतारने वाले चुनिंदा फिल्मकारों में गुलजार बेजोड़ हैं। गुलजार मूलत: कवि हैं और कोई कवि जब कविता के इतर कोई सृजनकर्म करता है तो वह वस्तुत: अलग शिल्प में कविता ही रच रहा होता है। गुलजार की फिल्में इसकी मिसाल हैं। मोरा गोरा रंग लै ले से लेकर मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है तक की अद्भुत रेंज से गुलजार न केवल फिल्म के नये मुहावरे गढ़ते हैं बल्कि भावुकता के फिल्माकन की नई परिपाटी तैयार करते हैं। गुलजार, बिमल रॉय का आधुनिक और परिवर्धित संस्करण हैं। कोशिश, आधी, मौसम, इजाजत, लेकिन, माचिस आदि फिल्में मेरी इस बात की पुष्टि करती हैं। गुलजार साहब स्वस्थ रहते हुए शतायु हों ऐसी कामना है।
- गीतकार अशोक पाडेय अनहद का कहना है कि गुलजार साहब का फिल्म और साहित्य जगत की निधि हैं। उनके ¨हदुस्तान में दो-दो ¨हदुस्तान दिखाई देते हैं गीत में जहा वे देश को लेकर चिंतित दिखते है। वहीं सास लेना भी कैसी आफत है जीवन के सच के करीब ले जाता दिखता है। तुमसे नाराज नहीं जिंदगी और आने वाला पल जाने वाला है जैसे गीत उनकी समय के साथ कदमताल करती जिंदगी का आइना प्रतीत होती हैं। उनका रचना संसार महज फिल्मी जगत या साहित्य की परिधि में नहीं सिमटता बल्कि दर्शन भी देता है। - युवा गीतकार सचिन साधारण ने बताया कि नाम के अनुरूप गीत के पुरोधा के गीतों से गीत विधा गुलजार होती है। हम जैसे नए गीतकारों को उनसे अनुशासित और कालजयी लेखन की प्रेरणा मिलती है। खामोशी का कुआ है जहा पानी नहीं है और खामोशी का भी हलक सुख रहा है, जहा सूरज झाकता है, समन्दर कश लेता है, पानी बहते बहते थक जाता है और झील में आराम करता है आदि गीतों को कितनी बार सुना, गुनगुनाया पर मन भरा। यह है आपके गीतों की सामर्थ्य का परिचय है।
गुलजार साहब हिंदी फिल्म जगत के वह नगीने हैं जिनका कौशल सिर्फ काव्य लेखन में ही नहीं बल्कि पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक, नाटककार आदि क्षेत्रों में भी समान रूप से दिखाई पड़ता है। 'नाम गुम जाएगा चेहरा बदल जाएगा' जैसे गीत हों या फिर 'गोली मार भेजे में' उनका वैशिष्ट्य रहा है कि वह फिल्म की स्कि्त्रप्ट के हिसाब से उपयुक्त गीत बड़ी ही सहजता से रच देते हैं। सबसे पहले फिल्म आनंद के गीत 'मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने' सुना। उसके बाद तो फिर उन्हें सुनने की ललक बढ़ती ही चली गई।