Lumpy Virus: यूपी में लंपी वायरस का कहर जारी, अबतक संक्रमित हुए 26 हजार गोवंश, 273 की हुई मौत
Lumpy Virus यूपी में लंपी वायरस का कहर जारी है। लंपी संक्रमण की चपेट में आए 64 प्रतिशत गोवंश स्वस्थ हो गए हैं जबकि एक प्रतिशत की मौत हो गई है। दूसरे राज्यों के मुकाबले यूपी में स्थिति बेहतर और टीकाकरण में भी तेजी आई है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Lumpy Virus In UP यूपी में दूसरे राज्यों की तुलना में लंपी स्किन डिजीज से कम गोवंश संक्रमित हुए हैं और उनकी मौत भी काफी कम हुई है। पशुधन व दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह के मुताबिक अब तक प्रदेश में 26,024 गोवंश संक्रमित हुए हैं और 273 की इससे मौत हुई है।
यूपी में लंपी वायरस से बचाव के लिए तेजी से हो रहा गोवंशों का टीकाकरण
- यूपी में संक्रमित हुए गोवंश में से 64 प्रतिशत स्वस्थ हो चुके हैं और मृत्युदर एक प्रतिशत है। यहां अभी तक 26.04 लाख गोवंश को गोटापाक्स का टीका लगाया जा चुका है।
- अभी प्रदेश में कुल 82.50 लाख टीके उपलब्ध हैं। 1,126 टीमें टीकाकरण के लिए गठित की गई हैं। उन्होंने बताया कि लंपी स्किन डिजीज अन्य क्षेत्रों में न फैले इसके लिए रिंग एवं बेल्ट के फार्मूले को अपनाकर सुरक्षा घेरा तैयार कर सघन टीकाकरण किया जा रहा है।
- बेल्ट एक में नेपाल से मध्य प्रदेश तक 320 किलोमीटर, बेल्ट दो में बुंदेलखंड क्षेत्र में 155 किलोमीटर तक सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है जो 10 किलोमीटर चौड़ा है।
- अंतरराज्ययीय व अंतरजनपदीय सीमा से लगे जनपदों में टीकाकरण में प्राथमिकता दी जा रही है। यूपी में स्थिति नियंत्रण में है। वहीं, राजस्थान में 11.34 लाख गोवंश संक्रमित हुए और 50,333 गोवंश की अब तक मौत हो चुकी है।
- पंजाब में 1.73 लाख गोवंश इससे संक्रमित हुए और 17,200 की मौत हुई। गुजरात में 1.56 लाख संक्रमित हुए व 5,544 की मौत हुई और हिमांचल प्रदेश में 66,333 गोवंश संक्रमित हुए और 2,993 की मौत हुई है।
- यूपी में बचाव के सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम के नंबर 0522-2741992 व 7880776657 तथा टोल फ्री नंबर 1800-180-5154 के माध्यम से मदद की जा रही है।
लंपी वायरस से गोवंश को बचाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
लंपी रोग से ग्रसित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें। गौशाला में मच्छर, मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाश दवाईयों का छिड़काव या धुआं करें। 25 लीटर पानी में फिटकरी व नीम की पत्ते का पेस्ट मिला कर रोग ग्रस्त पशु को नहलाएं। रोगी पशु को पौष्टिक चारा खिलाएं। रोग से मृत पशु को खुले में न फेंके। इससे रोग का संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।