Lucknow Zoo: अभी से दिखने लगी नाइट सफारी देखने की उत्सुकता, मिलेंगे मनोरंजन के कई साधन
Lucknow Zoo Night Safari मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले का शहरवासियों ने स्वागत किया है। सरकार के इस निर्णय से लोगों को नाइट सफारी देखने का मौका मिल सकेगा। वहीं कुकरैल में चिड़ियाघर बनने से बड़े क्षेत्र में घूमने का मजा भी दोगुना होगा।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। चिड़ियाघर घूमने आए लोगों ने नाइट सफारी को लेकर उत्साह दिखा। हर कोई चाहता है कि जल्द से जल्द नाइट सफारी बने और वहां पर जाने का मौका मिले। शहरवासी भी सरकार के निर्णय से खुश हैं कि अब उन्हें बड़े क्षेत्रफल में चिड़ियाघर देखने का मौका मिल सकेगा। लोगों का कहना है कि अभी चिड़ियाघर में खास दिनों में इतनी भीड़ हो जाती है कि वाहनों को खड़ा करने में मुसीबत होती है।
मास्को से चिड़ियाघर घूमने आए दंपति भी सरकार के इस निर्णय से खुश नजर आए कि लखनऊ के कुकरैल क्षेत्र में नाइट सफारी बनने जा रही है। वे इस निर्णय से अनभिज्ञ थे, लेकिन जब उन्हें नाइट सफारी बनाए जाने की बात बताई गई तो दंपति दामित्री और इरीना का कहना था कि वे थाईलैंड और अफ्रीका की नाइट सफारी में गए हैं। अब अगर दोबारा भारत आने पर इसका आनंद मिलेगा तो जरूर जाएंगे।
अमरोहा से आई छात्रा तनिष्का सिंह को सैनिक स्कूल में प्रवेश मिला है। वह परिवार के साथ चिड़ियाघर आई थी। उसका कहना था कि चिड़ियाघर अगर बड़े क्षेत्र में जा रहा है, तो वहां घूमने का अलग ही आनंद मिलेगा। नाइट सफारी बनने से हर किसी का आकर्षण उसकी तरफ बढ़ेगा और लखनऊ में लोग बड़ी संख्या में नाइट सफारी देखने आएंगे।
चौक से आईं शहनाज का कहना था कि कुकरैल में चिड़ियाघर जाने से घूमने का अलग ही आनंद मिलेगा तो पहली बार वह नाइट सफारी देख सकेंगी। शिक्षिका अंजू वार्ष्णेय का कहना है कि सरकार के निर्णय से शहरवासियों ही नहीं प्रदेश के लोगों को भी नाइट सफारी देखने का मौका मिल सकेगा। चिड़ियाघर में भीड़ वाले दिन बहुत परेशानी होती थी। अब कुकरैल में चिड़ियाघर बनने से बड़े क्षेत्र में घूमने का मजा मिलेगा।
पांच हजार एकड़ वाले कुकरैल में हैं मनोरंजन के कई साधन : लखनऊ के पिकनिक स्पाट में कुकरैल की भी अलग ही पहचान हैं और आज भी यहां अवकाश के दिनों में खासी भीड़ होती है। घड़ियाल प्रजनन केंद्र के अलावा यहां म्यूजियम भी है, जहां पर मृत वन्यजीवों (ट्राफी) को प्रदर्शित किया गया है। जहां पर आसपास से टाइगर से अन्य वन्यजीव को देख पाते हैं। वर्ष 1993 में तो कुकरैल के जंगल में खूंखार हो गए एक बाघ को मारना तक पड़ा था। उस टाइगर की ट्राफी भी रखी हुई है।
चिड़ियाघर में सौ से अधिक प्रजाति के पेड़ : वैसे तो चिड़ियाघर में परिजात जैसे चार पेड़ विरासत का दर्जा पा चुके हैं लेकिन इसके अलावा विभिन्न सौ प्रजातियों के पांच हजार से पेड़ हैं। चिड़ियाघर हटने पर इन्हीं पेड़ों को बचाने की मांग पर्यावरणविद् कर रहे हैं।