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लखनऊ विश्वविद्यालय तैयार करेगा एक साल का पीजी पाठ्यक्रम, जानिए गठित कमेटी में कौन शामिल

लखनऊ विश्वविद्यालय अब एक साल का परास्‍नातक कोर्स तैयार करने जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम को तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए कुलपति ने कमेटी का गठन भी कर दिया है।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Published: Sun, 03 Apr 2022 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 03 Apr 2022 02:37 PM (IST)
लखनऊ विश्वविद्यालय तैयार करेगा एक साल का पीजी पाठ्यक्रम, जानिए गठित कमेटी में कौन शामिल
लखनऊ विश्वविद्यालय तैयार करेगा एक साल का पीजी पाठ्यक्रम।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय जल्द ही एक वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम तैयार करेगा। नई शिक्षा नीति के अनुरूप इसे बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने इसका प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए हैं जिसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इसमें अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन, डीन कला संकाय- प्रो. प्रेम लता सुमन, डीन अकादमिक- प्रो. राकेश चंद्रा, डीन शोध- प्रो राजीव पांडे, प्रो. पीयूष भार्गव और प्रो रचना मज्जू, शामिल हैं।

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लखनऊ विश्वविद्यालय देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने नई शिक्षा नीति 2020 को अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में सत्र 2020- 21 से ही समावेशित कर लिया। फ्लेक्सिबल एंट्री एवं एग्ज़िट के प्रस्ताव के अनुरूप पिछले दीक्षांत समारोह में पीजी पाठ्यक्रम से एक वर्ष पश्चात एक्ज़िट करने वाले छात्र को पोस्ट ग्रैजूएट डिप्लोमा देकर लखनऊ विश्वविद्यालय पहले ही धरातल पर क्रियान्वयन कर चुका है।

परास्नातक पाठ्यक्रम में छात्र मूल्य वर्धक पाठ्यक्रम के साथ साथ इंटर्न्शिप तथा मास्टर थीसिस भी कर रहे हैं और उनको आनलाइन पाठ्यक्रम लेने तथा अपने या अन्य विभागों के इलेक्टिव पेपर लेने का भी मौका दिया गया है। वे इसके साथ ही एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करके पीजी डिप्लोमा प्राप्त करके निकल सकते हैं जो कि नई शिक्षा नीति 2020 की महत्वपूर्ण संस्तुतियों में से एक है।

स्नातक स्तर पर भी नयी शिक्षा नीति के अनुरूप चार वर्षीय पाठ्यक्रम तैयार कर सत्र 2020-21 से ही लागू किया जा चुका है। यह पाठ्यक्रम छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है जिसमें पढ़ाई के साथ ही साथ कौशल विकास पर भी जोर दिया गया है। इसके तहत छात्र इनटर्नशिप तथा रिसर्च प्रोजेक्ट का भी लाभ उठा सकेंगे। पाठ्यक्रम में फ्लेक्सिबल एंट्री/एग्ज़िट का मौका भी दिया गया है जिससे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा ना कर पाने वाले छात्रों को भी सर्टिफ़िकेट/डिप्लोमा आदि मिल सकेगा।

डीएसडब्ल्यू प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि जो विद्यार्थी चार वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर तीन वर्ष बाद निकलना चाहेंगे, उन्हें यूजी डिग्री मिलेगी। चार वर्ष का कोर्स पूरा करने पर यूजी विद रिसर्च (स्नातक शोध के साथ) की डिग्री दी जाएगी। यूजी विद रिसर्च पूरा करने वाले विद्यार्थी केवल एक साल में ही परास्नातक पाठ्यक्रम पूर्ण कर सकते हैं। इसके लिए कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कमेटी बना दी है।


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