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थ्री सी माॅडल’ की मदद से पूरा हो सकेगा पाठ्यक्रम: प्रो आलोक कुमार राय

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने कहा कोरोना काल में ‘कन्डक्ट ऑफ क्लास ‘क्रिएशन ऑफ कन्टेन्ट’ और ‘कनेक्ट विद स्टूडेन्स’ से पूरा होगा कोर्स।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 09:29 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 09:29 AM (IST)
थ्री सी माॅडल’ की मदद से पूरा हो सकेगा पाठ्यक्रम: प्रो आलोक कुमार राय
थ्री सी माॅडल’ की मदद से पूरा हो सकेगा पाठ्यक्रम: प्रो आलोक कुमार राय

लखनऊ, जेएनएन। प्रोफेसर आलोक कुमार रायकाेरोना महामारी ने लगभग सभी शिक्षण संस्थाओं के शैक्षिक वातावरण के लिए अप्रत्याशित असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती विश्वविद्यालय के लिए शिक्षण कार्य एवं पठन-पाठन को सुचारू रूप से संचालित करना था। इस संकट की परिस्थिति का सफलता से सामना करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने ‘थ्री सी माॅडल’ का प्रारूप तैयार किया, जिसके अंतर्गत ‘कन्डक्ट ऑफ क्लास '''''''', ‘क्रिएशन ऑफ कन्टेन्ट’ और ‘कनेक्ट विद स्टूडेन्स’ रखे गए।

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विश्वविद्यालय ने अपने शिक्षकों एवं छात्रों को मानसिक रूप से आॅनलाइन कक्षाओं के लिए तैयार किया, जिससे पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सके। साथ ही साथ छात्रों के ज्ञानार्जन में बढ़ोत्तरी होती रहे। इसके बाद अधिकांश शिक्षकों ने अन्य तकनीकी माध्यमों को अपनाकर शिक्षण कार्य संभव किया। लखनऊ विश्वविद्यालय ने शिक्षकों की मदद से वेबसाइट एवं अन्य टेक्नोलॉजी के जरिए ई-कन्टेन्ट को छात्रों तक पहुंचाया। यह सुविधा लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों तक ही नहीं, अन्य संबंद्ध काॅलेजों के लिए भी उपलब्ध हुई। सभी विभागों ने अपना यू-ट्यूब चैनल शुरू किया, जिससे वीडियो लेक्चर्स आसानी से छात्रों को उपलब्ध कराए गए। इसी क्रम में लाइब्रेरी सुविधा को देखते हुए ई-बुक एवं ई-जर्नल्स का सुदूर अभिगम सुनिश्चित कराया गया, जिससे कि दूरस्थ क्षेत्रों में भी छात्रों को इसकी सुविधा प्राप्त हो सके। वहीं, ‘कनेक्ट विद स्टूडेंस’ के तहत नयी योजनाओं का संचालन किया गया, जिससे छात्र, शिक्षकों से अपनी समस्याओं का निराकरण आसानीपूर्वक कर सकें। इसमें स्टूडेंट ओपीडी, ट्री योजना, कर्मयोगी योजना एवं उद्यमिता योजनाएं शामिल है। कोरोना काल की कठिनाइयों के दृष्टिगत लखनऊ विश्वविद्यालय ने स्वयं को शिक्षण एवं पठन-पाठन कार्य के लिए पूर्ण रूप से तैयार कर लिया है। कक्षाएं अपने उद्देश्य की प्राप्ति में प्रभावी योगदान कर सकें, इसके लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने नया प्रारूप तैयार किया। फ्ल्पि क्लास माॅडल के अंतर्गत छात्र घर पर विद्वान अध्यापकों द्वारा तैयार किए गए पठन-पाठन सामग्री से विषय का आधार तैयार कर लें फिर अपने प्रश्नों के लिए विश्वविद्यालय आकर शिक्षकों से संपर्क कर शंका का निदान कर सकेंगे। 
दूसरा महत्वपूर्ण कदम ‘हाइब्रिड क्लास प्रारूप’ है, जिसके अंतर्गत शिक्षण कार्य के लिए छात्रों को आॅनलाइन एवं आॅफलाइन दोनों की सुविधा प्रदान की गई है। इससे कुछ छात्र कक्षा में व कुछ छात्र आॅनलाइन एक ही समय में एक ही कक्षा के सहभागी हो सकते हैं। इससे शारीरिक दूरी का पालन व कक्षा का संचालन दोनों सुगमता से सुनिश्चित हो सकेगा। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय ने ‘स्लेट’ नाम से अपना लर्निंग मैंनेजमेंट सिस्टम बनाया, जिसे विश्वविद्यालय के उपरोक्त ‘थ्री सी’ माॅडल को एकीकृत रूप में देखा जा सकता है। इस तरह से कोरोना के इस संकट काल को लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए एक नये परिवर्तन का आधार रखा, जिससे संस्था की परंपरागत कार्यशैली को आधुनिक स्वरूप देते हुए चुनौती को अवसर में परिवर्तित किया जा सके।- लेखक लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति हैं।

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