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Lucknow University: न्यूनतम समान पाठ्यक्रम पर शिक्षकों की 'ना', विश्वविद्यालय की आम सभा की बैठक में किया खारिज

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने राज्य सरकार के न्यूनतम समान पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही इसके खिलाफ ङ्क्षनदा प्रस्ताव पारित किया। मंगलवार को विश्वविद्यालय में हुई लूटा की आम सभा बैठक में इसके खिलाफ ङ्क्षनदा प्रस्ताव भी पारित किया।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 08:12 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 08:12 AM (IST)
Lucknow University: न्यूनतम समान पाठ्यक्रम पर शिक्षकों की 'ना', विश्वविद्यालय की आम सभा की बैठक में किया खारिज
मांग पूरी न होने पर प्रदेशव्यापी आंदोलन, धरना, प्रदर्शन, शिक्षक राजभवन तक मार्च निकाल कर विरोध करेंगे।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने राज्य सरकार के न्यूनतम समान पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही, इसके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया। मंगलवार को विश्वविद्यालय में हुई लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) की आम सभा (आनलाइन, आफलाइन) बैठक में इसके खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित किया। तय हुआ कि मांग पूरी न होने पर प्रदेशव्यापी आंदोलन, धरना, प्रदर्शन, शिक्षक राजभवन तक मार्च निकाल कर विरोध करेंगे।

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लूटा अध्यक्ष डा. विनीत वर्मा और महामंत्री डा. राजेंद्र कुमार वर्मा के मुताबिक सभी शिक्षकों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि सरकार लविवि को न्यूनतम समान पाठ्यक्रम के दायरे से बाहर रखे। यह नई शिक्षा नीति की मूल भावना (उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता) के विपरीत है। बैठक में कुलसचिव के पाठ्यक्रम की संस्तुति वाले पत्र की घोर निंदा करते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की गई। लूटा का दावा है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी रिटयार्ड टीचर्स एसोसिएशन, लुआक्टा सहित अन्य संगठनों ने भी सिलेबस का विरोध किया है।

लविवि का पाठ्यक्रम अच्छाः बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार एक अ'छा पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसलिए उसी को लागू करेगा। पूर्व में विभिन्न संकायों द्वारा न्यूनतम समान पाठ्यक्रम के संबंध में लिए गए निर्णय अंतिम हैं।

पीएम, सीएम, यूजीसी को भेजेंगे प्रस्ताव: आम सभा में तय हुआ कि सभी प्रस्तावों से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन मंत्रालय व कुलाधिपति को अवगत करवाया जाए।


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