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LU छिपा रहा 150 शिक्षकों की पहचान, नहीं जारी किए वेबसाइट पर नाम

लविवि के करीब 370 में से 150 शिक्षकों की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं की जा रही है। छात्रों को नहीं पता विवि के शिक्षकों का नाम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 11:06 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 11:06 AM (IST)
LU छिपा रहा 150 शिक्षकों की पहचान, नहीं जारी किए वेबसाइट पर नाम
LU छिपा रहा 150 शिक्षकों की पहचान, नहीं जारी किए वेबसाइट पर नाम

लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया का सच देखना है तो लखनऊ विश्वविद्यालय की वेबसाइट देखिए। जिस मकसद से वेबसाइट तैयार की गई थी, लविवि उन्हीं पर खरा नहीं उतर रहा है। विवि अपने तमाम शिक्षकों व उनसे जुड़ी जानकारियों को वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रहा है। 

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370 में से 150 शिक्षकों की नहीं है जानकारी

पारदर्शी व्यवस्था के तहत किसी भी संस्थान के लिए वेबसाइट का बेहद महत्व है। इसके जरिये किसी भी व्यक्ति को आसानी से जानकारी मिल सकती है, लेकिन लविवि के करीब 370 में से 150 शिक्षकों की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं की जा रही है।

यह होता लाभ

जानकार बताते हैं कि विवि पर शिक्षकों का नाम, संपर्क नंबर व उनके शोधपत्रों के संबंध में जानकारी बेहद जरूरी है। जिससे छात्र-छात्राएं शिक्षकों के बावत जानकारी पा सकें।

शिक्षक संघ की दलील

लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि वेबसाइट पर ब्योरा न अपलोड किए जाने के पीछे फंड की कमी है। उनका कहना है कि जब विभागों व शिक्षकों के पास कंप्यूटर व इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है, तो वह वेबसाइट पर डेटा कैसे अपलोड कराएं।

पत्राचार के बाद भी नहीं दी जानकारी

विवि के डाटा रिसोर्स सेंटर से जुड़े लोगों की मानें तो इन सभी शिक्षकों को कई बार इस संबंध में पत्राचार किया गया। बावजूद इसके उनकी ओर से जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद उनकी लॉगिन आइडी भी तैयार कर उन्हें दे दी गई, फिर भी वह अपने संबंध में जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसके अलावा शोधपत्रों की संख्या का खुलासा होने से बचने के कारण भी तमाम शिक्षक अपनी जानकारी नहीं सार्वजनिक कर रहे।  

क्या कहते हैं विवि के कुलपति का

लखनऊ विश्वविद्यालय कुलपति प्रो एसपी सिंह का कहना है कि सभी शिक्षकों की लॉगिन आइडी बनी है। उन्हें खुद या फिर डाटा रिसोर्स सेंटर के माध्यम से वेबसाइट पर अपने संबंध में जानकारी अपलोड करनी है। वेबसाइट पर जानकारी अपलोड न करना उनकी लापरवाही को उजागर करता है। इसका हल भी हमने निकाल लिया है। अब उन्हें अपनी छुट्टी लॉगिन आइडी के जरिए ही लेनी होगी। तभी स्वीकृति मिलेगी।

एफएसडीए पर लविवि ने साधा निशाना

अब लविवि की सेंट्रल मेस में छापेमारी करना एफएसडीए को भारी पड़ सकता है। लविवि कुलपति प्रो एसपी सिंह ने एफएसडीए के अभिहित अधिकारी डॉ. टीआर रावत पर गैर विधिक तरीके से कार्रवाई किए जाने का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत शासन व जिलाधिकारी से की है। वहीं, डॉ. टीआर रावत का कहना है कि रोजाना मीडिया में आ रही खबरों को संज्ञान में लेकर छात्रहित में कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट में विवि के अधिकारियों ने स्वयं ही हस्ताक्षर किए हैं।

दरअसल, सोमवार व मंगलवार लविवि की सेंट्रल मेस के खाने में कीड़ा निकलने के मामले को संज्ञान में लेते हुए एफएसडीए की टीम ने बुधवार को सेंट्रल मेस में छापेमारी की थी। लविवि कुलपति का कहना है कि कार्रवाई के दौरान एफएसडीए टीम ने सैंपल लेने के बाद अपनी रिपोर्ट विवि प्रशासन से साझा नहीं की। एफएसडीए को सैंपल लेकर, जांच रिपोर्ट देनी चाहिए। मगर टीम के अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।

मेस की दशा सुधार का अल्टीमेटम

लविवि की सेंट्रल मेंस के खाने को लेकर रोजाना हो रहे बवाल से निपटने के लिए कुलपति ने खुद मोर्चा संभाला है। वीसी ने विवि स्टाफ के साथ पहले बुधवार रात मेस में खाना खाया। इस दौरान उन्हें मेस में काफी खामिया दिखाई दीं तो गुरुवार को विवि के प्रॉक्टर, चीफ प्रोवोस्ट, डीएसडब्ल्यू व सुप्रीटेंडेंट ऑफ वर्क के साथ बैठक कर मेस की काया परिवर्तन के निर्देश दिए। कुलपति ने बताया कि सेंट्रल मेस में पांच वाटर कूलर पहले से हैं। छात्रों की मांग पर एक और वाटर कूलर शुक्रवार सुबह तक रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं। सिविल वर्क के लिए संबंधित विभाग को सख्ती से कहा गया है। प्रोवोस्ट और प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा सेंट्रल मेस का खाना छात्रों को दिए जाने से पहले चेक किया जाएगा। नया मेन्यू तैयार कर मेस में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा सभी संबंधित अधिकारियों, समेत प्रॉक्टर, चीफ प्रोवोस्ट को सोमवार तक मेस की स्थिति चाक चौबंद करने को कहा गया है। इसके अलावा सभी हॉस्टल के मेंटीनेंस के लिए भी निर्देशित किया गया है। सोमवार तक मेस व हॉस्टल में साफ सफाई की स्थिति न बन सकी, तो जिम्मेदारों पर सख्ती से कार्रवाई होगी।


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