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100 Not Out : अपने साधनों से 270 करोड़ का बजट जुटाता है लखनऊ विश्वविद्यालय

100 नॉट आउट कहीं मदद से तो कहीं यू ट्यूब और वेबसाइट से जुट़ा रहे धन। क्षमतावान पूर्व विद्यार्थियों से भी मदद लेने के लिए नई योजना। एल्युमिनाई विभागों को अंगीकार कर के उठाएंगे साल भर का खर्च।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 11:03 AM (IST)
100 Not Out : अपने साधनों से 270 करोड़ का बजट जुटाता है लखनऊ विश्वविद्यालय
100 नॉट आउट : कहीं मदद से तो कहीं यू ट्यूब और वेबसाइट से जुट़ा रहे धन।

लखनऊ  [ऋषि मिश्र] । लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) भले ही 100 साल पुराना हो मगर सरकार से सालाना बजट का पूरा 10 फीसद सहयोग भी सरकार से नहीं मिलता है। करीब 13 हजार विद्यार्थियों को अच्छी उच्च शिक्षा, बेहतर नैक मूल्यांकन और अच्छे परिणाम का दबाव सह रहा एलयू अपने संसाधनों से करीब 270 करोड़ रुपए से अधिक अर्जित कर रहा है। जिसमें जमा होने वाली फीस के अलावा अनेक लोगों का सहयोग शामिल है।

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यू ट्यूब और वेबसाइट के अलावा स्लेट एप को भी कामर्शियल बनाने की तैयारी की जा रही है। ताकि नए सिरे से आय के साधन जुटाए जा सकें। यही नहीं लविवि की तैयारी है कि यहां के पूर्व विद्यार्थियों की मदद भी ली जाए। वे विभागों का खर्च अपने कंधे पर ले लें और जिसको अंगीकार करना कहा जाएगा, पूरे विभाग को उस व्यक्ति के किसी बुजुर्ग की स्मृति से भी जोड़ा जा सकता है।

बजट के संकट से जूझते विश्वविद्यालय को संभालना टेढ़ी खीर है। अनेक कमियों के पीछे वजह बजट ही है, जिसको लेकर अनेक बार के प्रयासों के बावजूद कुल करीब 330 करोड़ के बजट में 30 से 35 करोड़ रुपए ही ग्रांट मिल पाती है। इस वजह से अनेक विभागों की स्थिति ठीक नहीं है। कई जगह निर्माण संबंधित दिक्कतें भी हैं।

अध्यापकों और कर्मचारियों का सारा वेतन लविवि ही सेलविवि के बजट से ही न केवल पूरे विश्वविद्यालय का रखरखाव होता है बल्कि यहां के उच्च वेतन वाले प्रवक्ताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन भी इसी बजट से निकाला जाता है। इस वेतन पर ही करीब तीन करोड़ रुपए का खर्च हो जाता है। इसके अलावा अनेक एजेंसियां जो अलग अलग क्षेत्र में विश्वविद्यालय के लिए काम कर रही हैं, उनका भुगतान भी इसी बजट से किया जाता है।

साल भर काम करती है निर्माण एजेंसी

विश्वविद्यालय में राजकीय निर्माण निगम की इकाई साल भर काम करती है। जिसमें अलग अलग इमारतों का संरक्षण किया जाता है। इस पर भी साल के करोड़ों रुपए का खर्च आता है।

नए तरीकों से बजट जुटा रहा विश्वविद्यालय

लविवि के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय बताते हैं कि अब हम नए तरीकों से बजट जुटाते हैं। खासतौर पर हमने लविवि से जुड़े रहे विधायकों से अनुरोध कर के उनकी निधि का उपयोग किया है। उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा से अनुरोध कर के उनकी निधि से 25 लाख रुपए में छात्र छात्राओं के लिए आधुनिक साज सज्जा वाले शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। हमारा यू ट्यूब चैनल अच्छा चल रहा है। जिसको विज्ञापन मिलना शुरू हो गए हैं। यही नहीं वेबसाइट के हिट पिछले आठ माह में करीब दो करोड़ हो चुके हैं। वहां भी हम विज्ञापन लेंगे। हमारा डिजिटल लर्निंग एप स्लेट जूम और गूगल मीट से कम नहीं है, इसकाे भी बाजार में उतार कर इसका व्यवसायिक उपयोग किया जाएगा। जिससे एलयू को आय होगी। हम क्षमतावान पूर्व विद्याथिर्यों से अपील करेंगे कि वे किसी एक विभाग पर होने वाले साल भर के खर्च को अपने ऊपर ले लें और हम उनकी स्मृति को विभाग में जीवंत करेंगे।


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