चार साल मोदी सरकार: महफूज रही, मजबूत हुई अटल की ये विरासत, इंफ्रास्ट्रर के साथ बदला रूप
लखनऊ के सासद के रूप में राजनाथ सिंह ने भरा शून्य। आउटर रिंग रोड व सेना की अड़चनें दूर हुईं।
लखनऊ[अजय शुक्ला/ राजीव वाजपेयी]। आज भी, सियासी गलियारों ही नहीं नुक्कड़ों पर भी जब लखनऊ के कायाकल्प की बात उठती है तो बरबस ही लोगों के जेहन में अटल जी का सम्मोहित करने वाला चेहरा कौंध जाता है। प्रधानमंत्री और सासद रहते अटल जी ने लखनऊ को अभिभावक जैसी ऐसी सरपरस्ती दी कि पूरा लखनऊ उनका मुरीद है। यही वजह है कि चार साल पहले जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई और लोगों को पता चला कि अटल जी स्वास्थ्य कारणों से अब चुनाव नहीं लड़ेंगे तो सिर्फ भाजपा ही नहीं, हर विचारधारा के मतदाता निराश थे। अब, चार साल बाद न केवल यह निराशा धुल चुकी है, बल्कि आशा का नया संचार हुआ है। लखनऊ के सासद और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अनथक प्रयासों से साबित किया कि अटल जी की विरासत उनके हाथें में न केवल महफूज है, बल्कि मजबूत भी हुई है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम जिम्मेदारी संभालने के बावजूद राजनाथ सिंह लखनऊ आकर विकास और प्राथमिकताओं वाली योजनाओं की समीक्षा करते रहते हैं। हर काम की उन्होंने समय सीमा तय कर रखी है। चाहे आउटर रिंग रोड का काम हो या सेना की अड़चनों के कारण वर्षो से लंबित ओवरब्रिज व अन्य योजनाएं हों। आउटर रिंग रोड पिछले चार साल का सबसे बड़ा तोहफा है, जिसने लखनऊ का नक्शा नये सिरे से गढ़ना शुरू कर दिया है।
बीते चार साल में लखनऊ ने इंफ्रास्ट्रर के क्षेत्र में कई ऊंचाइया हासिल की हैं। स्मार्ट सिटी की ओर कदम बढ़ाए हैं। मेट्रो चल पड़ी है और अब मुंशी पुलिया तक उसके विस्तार का दूसरा चरण जल्द ही पूरा होने को है। आधुनिक इंटरनेशनल स्टेडियम भी दूधिया रोशनी में नहाकर तैयार है। अमौसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तीसरे टर्मिनल को हरी झडी मिल गयी है और गोमती नगर में अत्याधुनिक स्टेशन ने स्पीड पकड़ ली है। कुल मिलाकर राजधानी में विकास की तमाम परियोजनाएं परवान पर हैं। पुराने शहर में भी फ्लाईओवर की दी सौगात
शहर में यातायात सबसे बड़ी समस्या है और पुराने लखनऊ में तो और भी जटिल है। बीते दिनों स्थानीय लोगों की माग पर राजनाथ सिंह ने प्रशासन को पुराने शहर में तीन फ्लाईओर के प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए थे। शासन ने इन प्रस्तावों को केंद्र भेजा था जहा से तीनों को मंजूरी मिल गई है। पैसा रिलीज होते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। आउटर रिंग रोड से राह सुगम
सासद के तौर पर शहर के चारों ओर आउटर रिंग रोड बनवाना राजनाथ सिंह का ड्रीम प्रोजेक्ट था जिस पर काम शुरू हो गया है। करीब 104 किलोमीटर के इस प्रोजेक्ट पर 4500 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा आएगा। एनएचएआइ ने करीब 25 प्रतिशत तक काम पूरा करने का दावा किया है। राजनाथ सिंह का दावा है कि इस रिंग रोड के बन जाने के बाद लखनऊ के हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और देश के सर्वाधिक विकसित शहरों में एक होगा। इसके बन जाने के बाद बाहरी इलाकों का पूरा ट्रैफिक डायवर्ट हो जाएगा जिससे शहर के अंदर जाम से निजात मिलेगी,जिससे लोगों को राहत मिलेगी।
सासद निधि से 15 करोड़ के प्रस्ताव पास
आकड़ों मुताबिक राजनाथ सिंह की सासद निधि से अब तक 15 करोड़ के काम के प्रस्ताव पास हो चुके हैं। तीन करोड़ के और प्रस्ताव तैयार हैं। पीएनबी सीएसआर से 33 सड़कें और 21 समर्सिबल, एचपी से 195 सोलर लाइट, पावर ग्रिड से एक हजार लाइट, गैस अथारिटी से नाली निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये, केजीएमयू रैन बसेरा के लिए 7.68 करोड़, नगर निगम अवस्थापना निधि से 7.19 करोड़ के कार्य, मलिन बस्तियों में 307 लाख से कार्य, डीएस ग्रुप द्वारा सीएसआर से आठ सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया।
गोमतीनगर- चारबाग बनेंगे विश्वस्तरीय स्टेशन
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गोमतीनगर में एक टर्मिनल बनाने की आधारशिला रखी। राजनाथ सिंह ने न केवल अटल बिहारी वाजपेयी का गोमतीनगर टर्मिनल बनाने का सपना पूरा करने के लिए अपना विशेष योगदान दिया। अब इसे देश का सबसे आलीशान स्टेशन बनाने के लिए 1910 करोड़ रुपये भी स्वीकृत करवा दिए। चारबाग रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने के लिए 1800 करोड़ रुपये का बजट पास कराया। चारबाग और लखनऊ जंक्शन को मेट्रो से जोड़ने के लिए प्रथम तल पर 358 मीटर लंबा और छह मीटर चौड़ा कोरीडोर। मेट्रो को दिलाई रफ्तार
राजधानी में मेट्रो को रफ्तार दिलाने में केंद्र का अहम योगदान रहा। सासद होने के नाते राजनाथ सिंह ने भी मेट्रो की पैरवी की जिसके चलते दिल्ली में फाइल तेजी से दौड़ी। अब तक राज्य सरकार, केंद्र व विदेशी बैंक से लखनऊ मेट्रो को कुल 3414.92 करोड़ रुपये से अधिक मिल चुके हैं। केंद्र द्वारा समय समय पर अपना अंशदान जारी करता रहा है।
गोमा की नहीं सुधरी हालत
शहर के इंफ्रास्ट्रर को और बेहतर बनाने में बेशक सासद का योगदान रहा, लेकिन गोमती नदी की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आया। राज्य से लेकर केंद्र की कई योजनाएं हैं मगर गोमती दिन पर दिन पतली और मैली होती जा रही है। सासद प्रतिनिधि के मुताबिक गोमती में मैला नहीं गिरे इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 336 करोड़ की लागत से एसटीपी स्वीकृत हो चुका है।
पीएनजी की भी धीमी रफ्तार
हर घर में नेचुरल पाइप्ड गैस पहुंचाने का दावा अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। राजनाथ सिह ने 2019 तक सबको पीएनजी उपलब्ध कराने का दावा किया था लेकिन अब तक महज बीस हजार कनेक्शन ही हो सके हैं। प्रदूषण ने कराई किरकिरी
तमाम उपलब्धि्यों के बीच बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में लखनऊ को तीसरा स्थान मिला।1