Move to Jagran APP

बाल संरक्षण गृह का नाम, शादी-समारोहों में भी कराया जाता था बच्चियों से काम

दस साल से कम बच्चियों को रखने की नहीं थी अनुमति। बावजूद इसके बालिका गृह में रखी जाती थीं कम उम्र की बच्चियां। शादी-समारोहों में भी कराया जाता था काम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 11:10 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 12:06 PM (IST)
बाल संरक्षण गृह का नाम, शादी-समारोहों में भी कराया जाता था बच्चियों से काम
बाल संरक्षण गृह का नाम, शादी-समारोहों में भी कराया जाता था बच्चियों से काम

लखनऊ(जेएनएन)। गोमती नगर के मनीषा मंदिर स्थित बाल संरक्षण गृह का संचालन सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाकर किया जा रहा था। संचालिका को केवल दस साल से अधिक उम्र की बच्चियों को रखने की ही अनुमति थी, लेकिन इसके बावजूद वहां पर छोटी-छोटी बच्चियों को रखकर प्रताडि़त किया जा रहा था। जांच के बाद राजफाश होने से अब संचालिका सरोजिनी अग्रवाल की मुसीबतें बढ़ सकती हैं।

loksabha election banner

तीन दशक से अधिक समय से नियमों को दरकिनार कर मनीषा मंदिर में बाल संरक्षण गृह का संचालन होता रहा और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। ऐसे में विभागीय अधिकारियों पर भी सवाल उठने लगा है। 10 साल से कम उम्र की आठ बालिकाएं यहां नियमों के विरुद्ध रखीं गईं, वहीं छह बालिकाओं को न्यायालय बाल कल्याण समिति के आदेश के बगैर कैसे रखा गया? ऐसे सवालों के जवाब मनीषा मंदिर की संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल को विभागीय जांच में देना होगा। न्यायालय बाल कल्याण समिति की ओर से भी महिला एवं बाल कल्याण विभाग को रिपोर्ट सौंप दी गई है।

शादी-समारोहों में बच्चियों से कराया जाता था काम

राजकीय बाल गृह (शिशु) और राजकीय बालगृह (बालिका) रेस्क्यू कर लाई गईं बालिकाओं की सोमवार को काउंसिलिंग की गई। बालिकाओं ने शादी विवाह समारोह में काम कराने, बीमारी पर चिकित्सा व्यवस्था न करने के अलावा अभिभावकों से न मिलने की बात बताई है। बालिकाओं ने बताया कि सात साल की एक लड़की के पूरे शरीर में दाने निकल आए थे, लेकिन उसका इलाज नहीं किया जा रहा था।

क्या कहते हैं अफसर?

जिला परिवीक्षा अधिकारी सर्वेश पांडेय के मुताबिक, न्यायालय बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट के आधार पर पाया गया कि संस्था का पंजीयन बालिका संरक्षण गृह के लिए तो हुआ था और उसमें 10 से 18 वर्ष तक की बालिकाओंं को रखा जाना था। इसके बावजूद आठ बालिकाएं 10 साल के नीचे की पाई गईं। सभी को राजकीय बाल गृह मोतीनगर और प्राग नारायण रोड पर रखा गया है। अभिभावकों को भी इसकी सूचना दे दी गई है। उनके आने के बाद ही बालिकाओं के यहां रखने की जानकारी मिल पाएगी।

श्रम विभाग ने समिति से मांगी रिपोर्ट 

सहायक श्रमायुक्त रवि श्रीवास्तव ने बताया कि मनीषा मंदिर में बालिकाओं से काम कराने की जानकारी होने पर न्यायालय बाल कल्याण समिति से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर सभी किशोरियों से बात की जाएगी। संस्थापिका की ओर से अपने लाभ के लिए श्रम कराया जा रहा है तो बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन-2016 का उल्लंघन माना जाएगा। इसके तहत 20 से 50 हजार रुपये का जुर्माना और छह माह से दो साल की कैद का प्रावधान है या दोनों ही लागू होगा।

डीएम ने कहा कि समिति की रिपोर्ट पर होगी कार्रवाई

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा का कहना है कि न्यायालय बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही प्रशासन कार्रवाई करेगा। बालिकागृह में प्रकरण में जांच समिति ने की है लिहाजा हम उनके आदेश का इंतजार करेंगे। मैने सभी बालगृहों के जांच करने के निर्देश दिए हैं।

मामूली धाराएं दर्ज कर संचालिका को बचाने में जुटी पुलिस
मनीषा मंदिर की संचालिका डॉ. सरोजिनी अग्रवाल के आगे पुलिस नतमस्तक है। पहले पुलिस ने हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और फिर मेडिकल कराने का भी होश नहीं रहा। गोमतीनगर थाने की भूमिका शुरू से ही इस मामले में सवालों के घेरे में है। इस बाबत एसएसपी कलानिधि नैथानी का कहना है कि सात साल से कम सजा की धाराओं में गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। चाहे वह कोई आम हो या खास। यही वजह है कि सरोजिनी अग्रवाल की गिरफ्तारी नहीं की गई। बताया कि बाल किशोर अधिनियम की जिन धाराओं में एफआइआर हुई है, उनमें सात साल से कम की सजा का प्राविधान है।

विवेचना और साक्ष्य के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एसएसपी का कहना है कि जल्द ही विवेचना पूरी करके चार्जशीट फाइल की जाएगी। मुकदमा दर्ज करने में हुई देरी पर कहा कि शिकायत की कॉपी रविवार को ही मिली, तभी एफआइआर हुई। जबकि एसएसपी की ओर से पेश की गई न्यायालय बाल कल्याण समिति की कॉपी जो केवल डीएम, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग व निदेशक महिला व बाल कल्याण आयोग को ही भेजी गई है उसमें तारीख का जिक्र है। बच्चियों के मेडिकल में हुई देरी पर उनका कहना था कि तहरीर में यौन शोषण जैसी कोई गंभीर बात नहीं है, फिर भी मेडिकल कराया जा रहा है। वहीं इस मामले के विवेचकदारोगा पंकज सिंह का कहना है कि सोमवार को ही विवेचना मिली है, आरोपित से पूछताछ के साथ बच्चियों के बयान भी कराए जाएंगे।


देवरिया कांड के बाद भी नहीं सुधरे बाल गृह के हालात
मनीषा मंदिर की तरह ही शहर में कई बालगृह रामभरोसे चल रहे हैं। देवरिया कांड की तरह राजधानी में भले ही शरणालयों में कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया हो, लेकिन अगस्त में हुई जांच की रिपोर्ट प्रशासन को चेताने वाली थी। प्रशासनिक जांच में अधिकांश बालगृहों में सुरक्षा राम भरोसे ही मिली थी। कई शरणालयों में मौके पर एक तो एक भी सुरक्षा गार्ड नहीं मिला तो कहीं पर केवल चपरासी के सहारे बच्चों की सुरक्षा हो ही रही थी। हालात अभी भी बदले नहीं हैं। निगरानी व्यवस्था चौपट हैं इसलिए अंदरखाने क्या चल रहा है किसी को पता नहीं चलता।

यहां हो रही सुरक्षा में लापरवाही

  • राजकीय बालगृह मोतीनगर में बालिकाओं के भागने के भागने के बाद प्रशासन की ओर से होमगार्ड मांगे गए थे, लेकिन मांग के अनुरूप महिला होमगार्ड नहीं मिलीं, जो मिली वह भी अब यहां आने से कतराती हैं।
  • मोहान रोड स्थित आवासीय बालिका इंटर कॉलेज से बीते महीने एक बालिका भाग गई थी। कार्रवाई तो की गई, लेकिन सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया गया।
  • राजकीय महिला शरणालय में पिछले महीने एक महिला के भागने के बाद यहां क्लोज सर्किट कैमरे तो लगाए गए, लेकिन पर्याप्त स्टॉप न होने से मानसिक बीमार महिलाओं को संभालने की चुनौती सामने खड़ी रहती है, उनके भागने की संभावना भी बनी रहती है।



यहां चल चल रहे बालगृह

  • आशीर्वाद ट्रस्ट कुर्सी रोड-19 बालिकाएं
  • दृष्टि बाधित बालिका मोहान रोड, - 97 बालिकाएं
  • बालगृह मोहान रोड - 86 बालक प 13 बालिकाएं
  • प्रयास विद्यालय मोहान रोड - 39 बालक
  • मूक बधिर विद्यालय-95 बालक
  • ममता मानसिक विद्यालय-18 बालिकाएं
  • दृष्टि सामाजिक संस्थान जानकीपुरम-212 बालक-बालिकाएं
  • शिया तमीमखाना चौक- 34 बालक
  • ब्लू हैवन चिल्ड्रेन गोलागंज-13 बालक-13 बालिकाएं
  • गंगोत्री शिशु गृह त्रिवेणीनगर- 11 बालिका, एक बालक
  • श्रीराम औद्योगिक अनाथालय-9 बालक-12 बालिकाएं
  • आशा ज्योति - 16 बालक
  • निर्वाण तकरोही -90 मानसिक बीमार
  • स्नेह वेलफेयर सोसायटी-14 बालिकाएं
  • डॉन बास्को-57
  • यतामा अमीनाबाद-87
  • देखरेख संगठन-47 बालिकाएं
  • राजकीय बालिका गृह मोतीनगर-60
  • लीलावती निराश्रित बालिका गृह-62
  • चिल्डेन होम कंधारी बाजार-17 बालिका,
  • दयानंद बाल सदन- 30 बालिका
  • स्नेहालय-18 बालिका
  • राजकीय महिला शरणालय-76।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.