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देश का तीसरा सबसे दूषित शहर रहा लखनऊ, सुप्रीम कोर्ट चिंतित-अफसर बेफिक्र Lucknow News

दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) जहां 270 था वहीं लखनऊ में 377 के गंभीर स्तर में मापा गया। कुछ दिन के दिखावे के बाद बंद हो गई प्रदूषण नियंत्रण की कोशिशें।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 10:10 AM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 07:14 AM (IST)
देश का तीसरा सबसे दूषित शहर रहा लखनऊ, सुप्रीम कोर्ट चिंतित-अफसर बेफिक्र Lucknow News
देश का तीसरा सबसे दूषित शहर रहा लखनऊ, सुप्रीम कोर्ट चिंतित-अफसर बेफिक्र Lucknow News

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी सुनने के बाद भी अफसर बेफिक्र हैं। लखनऊ की बात करें तो यहां दिल्ली के मुकाबले प्रदूषण कहीं से कम नहीं। यही नहीं, गाजियाबाद, नोएडा तो प्रदूषण के मामले में दिल्ली को भी पीछे छोड़ चुके हैं, लेकिन मजाल है कि सुप्रीम कोर्ट की चिंता प्रदेश में जिम्मेदार अधिकारियों को हिला पाई हो। चंद दिनों के दिखावे के बाद हालात जस के तस हैं और लोग दूषित हवा में सांस लेने को विवश।

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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का यह कथन कि प्रदूषण से लोगों को मारने से अच्छा है कि बम फोड़ कर मार डालें। यह जाहिर करता है कि देश की उच्चतम अदालत जहरीली होती हवाओं के बीच रहने को विवश लोगों की परेशानी से बेहद चिंतित है। दूसरी तरफ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अधिकारी इस मुद्दे पर मौन है। 

 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा हर रोज जारी किए जाने वाले बुलेटिन के अनुसार लखनऊ वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली के मुकाबिल खड़ा दिखता है। मंगलवार की ही बात करें तो लखनऊ देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) जहां 270 था वहीं लखनऊ में 377 के गंभीर स्तर में मापा गया। पटना पहला व मुजफ्फरपुर दूसरे स्थान पर रहा। यही नहीं, लखनऊ प्रदूषण के मामले में लगातार दिल्ली को पछाड़ रहा है। गाजियाबाद, नोएडा व ग्रेटर नोएडा भी प्रदूषण के पैमाने पर दिल्ली से कहीं आगे दिखते हैं, लेकिन जिम्मेदार शासन-प्रशासन गंभीर होते प्रदूषण की ओर से पूरी तरह से बेफिक्र दिखते हैं। वहीं आमजन पूरी तरह से हताश हैं।

नहीं मिली राहत 

राजधानी के तालकटोरा में एक्यूआइ लगातार मानक से कहीं अधिक और शहर में सर्वाधिक मापा जाता है। मंगलवार को भी यहा एक्यूआइ शाम पांच बजे 283 रहा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार आलमनगर में रेलवे की साइडिंग को जिम्मेदार माना था। यहां से हर रोज सीमेंट की उठान होती है, जिसके चलते क्षेत्र में पर्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम) मानक से कई गुना अधिक रहता है। जनहित याचिका कर लोगों ने इसे शिफ्ट करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन राहत नहीं मिली। 


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