Lucknow Police: आदर्श तो दुनिया छोड़ गया, लेकिन पुलिस के मानवीय चेहरे ने गढ़ दिए नए आदर्श
लखनऊ में 17 वर्षीय बड़े भाई की मौत हुई तो फुटपाथ पर जिंदगी काट रहे किशोर गोलू की दुनिया अंधेरे में डूब गई। अंतिम संस्कार का संकट था। ऐसे में मड़ियांव थाने की पुलिस ने आगे बढ़कर अपने हाथों से कब्र खोदी और बच्चे का अंतिम संस्कार भी किया।
लखनऊ, (सौरभ शुक्ला)। ये भावनाओं के रिश्ते हैं, संवेदना के धागे से पिरोए गए हैं। 17 वर्षीय बड़े भाई की मौत हुई, तो फुटपाथ पर जिंदगी काट रहे किशोर गोलू की दुनिया अंधेरे में डूब गई। अंतिम संस्कार का संकट था। सामने भाई का शव था और आंखों में कुछ था तो बस आंसुओं का सैलाब। ऐसे में राजधानी के मड़ियांव थाने की पुलिस मसीहा बनी। बेसहारा भाई का सहारा बनने को हाथ बढ़ाए। ये पुलिस का संवेदनशील चेहरा ही था। अंतिम संस्कार का इंतजाम किया और खुद स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अपने हाथों से कब्र खोदी। आदर्श तो दुनिया छोड़ गया लेकिन पुलिस के मानवीय चेहरे ने नए आदर्श गढ़ दिए।
जानकारी के मुताबकि मूल रूप से हरदोई के अतरौली भरावन निवासी गोलू के पिता की कई साल पहले बीमारी के कारण मृत्यु हो चुकी है। वह अपने बड़े भाई आदर्श के साथ यहां भिठौली के अजीजनगर में फुटपाथ पर रहा था। दिन में गाडिय़ों की सफाई और होटलों में बर्तन धुलने से जो रुपये मिलते उनसे जीवन यापन दोनों भाई कर रहे थे। बीते कुछ दिनों से आदर्श की कुछ तबियत खराब थी। उसे मानसिक दिक्कत भी थी। रविवार सुबह जब गोलू सोकर कर उठा तो भाई को जगाने लगा। आदर्श के शरीर में कोई हरकत न देख वह परेशान हो गया। रोने लगा आस पड़ोस के लोगों को बुलाया।
पता चला कि आदर्श की मौत हो चुकी है। आस पड़ोस के लोग भी चले गए। गोलू बैठा रो रहा था। इस बीच अजीजनगर चौकी प्रभारी अशोक कुमार सिंह उधर से निकले बच्चे को रोता देखा तो पूछताछ की। बच्चे की बाते सुनकर उनका भी गला रुंध गया उन्होंने इंस्पेक्टर मड़ियांव मनोज सिंह को बताया। सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर पहुंच गए। उन्होंने तुरंत बच्चे को सहारा दिया। उसे ढांढस बंधाते हुए शांत कराया। दो पुलिस कर्मियों को बुलाया। रुपये देकर अंतिम संस्कार का सामान मंगवाया। चूंकि आदर्श बच्चा और हिंदू था। इस लिए आस पास के लोगों की मदद से पुलिस कर्मियों ने शव पर कफन डालकर बांधा। पड़ोस स्थित कब्रिस्तान पहुंचे। वहां कब्र खोदी इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया। राजधानी पुलिस कर्मियों की संवेदना देखकर सभी सराहना कर रहे थे।
ये खाकी है, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी: अंतिम संस्कार के बाद इंस्पेक्टर मडिय़ांव ने गोलू को समझा-बुझाया। उसे आर्थिक मदद दी। इसके बाद खाना मंगाकर उसे खिलवाया। पुलिस का यह रूप देखकर आस पड़ोस के लोग खाकी के इस रूप को देखकर भावुक हो उठे। उनके मुंह से यही निकला कि साहब ये खाकी है, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी है। जब तक मनुष्य का जीवन है। किसी भी प्रकार की घटना होती है तो लोग सीधे पुलिस को ही फोन करते हैं। पुलिस उनकी मदद करती है। वहीं, जिंदगी के बाद भी खाकी पीडि़तों की इस तरह मदद करती है।