Lucknow: अतीक अहमद को साबरमती जेल से पेश करने का आदेश, प्रापर्टी डीलर को अगवा कर रंगदारी वसूलने का है मामला
Lucknow प्रापर्टी डीलर को अगवा कर देवरिया जेल में मारने-पीटने व उससे जबरिया रंगदारी वसूलने के मामले में पूर्व सांसद अतीक अहमद व उसके पुत्र मो. उमर समेत 18 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप तय करने के लिए सीबीआइ की विशेष अदालत ने 15 दिसंबर की तारीख तय की है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता: राजधानी के एक प्रापर्टी डीलर को अगवा कर देवरिया जेल में मारने-पीटने व उससे जबरिया रंगदारी वसूलने के मामले में अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए सीबीआइ की विशेष अदालत ने 15 दिसंबर की तारीख तय की है। इस मामले में पूर्व सांसद अतीक अहमद व उसके पुत्र मो. उमर समेत 18 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल हुआ था। अतीक अहमद साबरमती जेल, मो. फारुक फतेहपुर जेल, दयानंद देवरिया जेल व मो. उमर समेत कुछ अभियुक्त लखनऊ जेल में बंद हैं। वहीं, कुछ अभियुक्त जमानत पर रिहा हैं।
सीबीआइ के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने आरोप तय करने के लिए अभियुक्त अतीक अहमद को साबरमती जेल से पेश करने का आदेश दिया है। उन्होंने इस सदंर्भ में प्रमुख सचिव गृह व सीबीआइ के एचओबी को भी पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही सीबीआइ के विवेचक को भी यह आदेश दिया है कि वो अतीक समेत अन्य सभी अभियुक्तों की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए राज्य सरकार से समन्वय स्थापित करें।
थाना कृष्णानगर से संबधित इस मामले की विवेचना पहले स्थानीय पुलिस कर रही थी। 23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी। 12 जून, 2019 को सीबीआइ ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरु की। सीबीआइ ने अभियुक्तों के विरुद्ध बल्वा, हत्या के लिए अपहरण, जबरिया वसूली, धोखाधड़ी, जालसाजी, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल, जानमाल की धमकी व साजिश रचने आदि जैसी आइपीसी की गंभीर धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया।
यह है मामला
28 दिसंबर, 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआइआर दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक देवरिया जेल में बंद अतीक ने अपने गुर्गाें के जरिए गोमतीनगर आफिस से उसका अपहरण करा लिया। तमंचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया। अतीक ने उसे एक सादे स्टांप पेपर पर दस्तखत करने को कहा। उसने इंकार कर दिया। इस पर अतीक ने अपने बेटे उमर तथा गुर्गे गुरफान, फारुख, गुलाम व इरफान के साथ मिलकर उसे तमंचे व लोहे की राड से पीटा। स्टांप पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की संपत्ति अपने नाम करा ली।