Lucknow News: देश के 90 औषधीय पौधों का डाटाबेस तैयार करेगा सीमैप, एक ही जगह मिलेगी सभी अवयवों की जानकारी
लखनऊ में केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के विज्ञानी औषधीय पौधों की मेटाबोलिक प्रोफाइलिंग से डाटाबेस तैयार करने जा रहे हैं। इससे औषधीय पौधों के सभी अवयवों की विस्तृत जानकारी एक जगह पर हासिल हो सकेगी।
लखनऊ, [रामांंशी मिश्रा]। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की प्रयोगशाला केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के विज्ञानी औषधीय पौधों की मेटाबोलिक प्रोफाइलिंग से डाटाबेस तैयार कर रहे हैं। इससे औषधीय पौधों के सभी अवयवों की विस्तृत जानकारी एक जगह पर मिल सकेगी।
संस्थान के निदेशक प्रो. पीके त्रिवेदी के अनुसार, एक पौधे की विभिन्न किस्मों में पाए जाने वाले हजारों गुणों की मेटाबालिक प्रोफाइलिंग करना बेहद कठिन है। प्रोफाइलिंग होने से भविष्य में दुर्लभ बीमारियों के इलाज की नई संभावनाएं और शोध में कई नए पहलू सामने आ सकते हैं। औषधीय पौधों की नए तकनीकों द्वारा विस्तृत मेटाबालिक प्रोफाइल देश में कहीं पर भी एक साथ नहीं है। ऐसे में अभी हमने भारत में उपलब्ध 90 से भी अधिक औषधीय पौधों की मेटाबालिक प्रोफाइलिंग का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में सीमैप में पाए जाने वाले 18 औषधीय पौधों की प्रोफाइलिंग की जा रही है।
सीमैप के वरिष्ठ विज्ञानी डा. रत्नशेखर के अनुसार, औषधीय और सगंध पौधों से निकाले जाने वाले एंटीआक्सीडेंट यौगिकों और तेलों को औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, इत्र, खाद्य की चीजें बनाने में प्रयोग किया जाता है। इस अध्ययन के बाद इन पौधों और उनसे निकाले जाने वाले तेलों की गुणवत्ता में वृद्धि कर उत्पाद के निर्यात को काफी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा इस प्रोफाइलिंग से किसानों के लिए अधिक उपज वाली किस्मों की खेती करना आसान होगा। हमने तुलसी की आठ विभिन्न किस्मों की प्रोफाइलिंग पूरी कर ली है। इसमें कई महत्वपूर्ण यौगिकों और अवयवों के बारे में पता चला है।
क्या है मेटाबालिक प्रोफाइलिंग : मेटाबालिक प्रोफाइलिंग के तहत पौधों के अणुओं का अध्ययन कर उनकी विशेषताओं और गुणवत्ता की विस्तृत जानकारी इकट्ठा की जाती है। वहीं, मास स्पेक्ट्रोमेट्री तकनीक के साथ पौधों के जटिल तंत्र पर शोध कर इससे नई किस्में बनाई जा सकती हैं। इस तकनीक से किसी भी पौधे या जीव में छोटे-छोटे अणुओं (मालीक्यूल) को पहचाना जा सकता है। इससे औषधीय गुणों को बढ़ाकर स्थानीय पौधों को दूसरे क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। साथ ही औषधीय और सगंध पौधों की फिंगर प्रिंटिंग और उनकी गुणवत्ता का मूल्यांकन कर पौधों और सुगंधित तेलों की गुणवत्ता मानकों को स्थापित करना आसान होगा।
इनकी होगी प्रोफाइलिंग
औषधीय पौधे - तुलसी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, गिलोय, कालमेघ, गुग्गुल, सदाबहार, हल्दी व पेडिलेंथस।
सुगंधित पौधे - पिपरमिंट, खस, नींबू घास, जेरेनियम, रोजा घास, मालाबार घास, मजतरी, दालचीनी व तम्बाकू।