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Lucknow Nagar Nigam: भवनों की नाप-जोख से खुलेंगे हाउस टैक्स के घपले

Lucknow Nagar Nigam नगर निगम में नाप-जोख का ही खेल हो रहा है। कई फ्लोर के भवन में कुछ फ्लोर को कम करके हाउस टैक्स की गणना करके नगर निगम को वित्तीय नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 10:50 AM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 10:50 AM (IST)
Lucknow Nagar Nigam: भवनों की नाप-जोख से खुलेंगे हाउस टैक्स के घपले
Lucknow Nagar Nigam: नगर निगम में नाप-जोख का ही खेल हो रहा है।

लखनऊ, जेएनएन। Lucknow Nagar Nigam: मामला गोमतीनगर के दो प्रतिष्ठानों की नाप-जोख से जुड़ा था और यहां भवन कर की हकीकत की जांच हो रही थी कि वह सही तरह से किया गया था कि नहीं। यह नाप-जोख इसलिए हो रही कि कहीं हाउस टैक्स की गणना तो कम नहीं की गई लेकिन यहां से सब कुछ सही पाया गया, लेकिन हकीकत यह है कि नाप-जोख में खेल कर नगर निगम को चूना लगाया जा रहा है। नियमों के तहत अधिकारियों को भी किसी भवन की फाइल लेकर उसकी नाप-जोख करनी चाहिए। इसमे यह भी तय है कि कौन अधिकारी किस वार्षिक किराया मूल्य (एआरवी) की गणना कर नीचे से भेजी गई रिपोर्ट का सत्यापन करेगा, लेकिन सालों से मेज पर ही फाइल को मंजूरी दे दी जाती है।

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दरअसल नगर निगम में नाप-जोख का ही खेल हो रहा है। कई फ्लोर के भवन में कुछ फ्लोर को कम करके हाउस टैक्स की गणना करके नगर निगम को वित्तीय नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

अनावासीय भवनों की संख्या पर भी सवाल

अनावासीय भवन, मलतब जिनका उपयोग किसी न किसी से व्यावसायिक हो रहा है। ऐसे अनावासीय भवनों की संख्या नगर निगम में 51,900 ही है। ऐसा तब है, जब शहर में हर तरफ व्यावसायिक गतिविधियां हो रही है। आवासी भवन की दर से ही ऐसे अनावसीय भवनों से हाउस टैक्स वसूला जा रहा है। नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी कहते हैं कि अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि किसी भवन का अगर अनावासीय उपयोग हो रहा है तो उस भवन से अनावासीय भवन की दर से ही हाउस टैक्स वसूला जाए। इसका फिर सर्वे करने को कहा गया है।

सही वसूली हो तो शहर का होगा विकास

भवनों की अपेक्षा वसूली का प्रतिशत कम होने का असर ही शहर के विकास पर दिखता है। बजट के मूल प्रावधान में हाउस टैक्स से जितनी आय प्रस्तावित की जाती है, उस लक्ष्य को नगर निगम पूरा नहीं कर पाता है। चालू वित्तीय वर्ष में 410 करोड़ रुपये की आय का लक्ष्य रखा गया है। पार्षदों का कहना है कि नगर निगम अगर हाउस टैक्स से वसूली बढ़ा दे तो कर्मचारियों के वेतन समेत शहर के विकास पर संकट नहीं आएगा।

 

यहां भी कम था भवन कर

अभी कुछ दिन पहले ही निगम ने सहारा शहर की संपत्तियों की नापजोख की थी और 65 करोड़ का हाउस टैक्स का बिल भेजा था। सहारा शहर की कुल 93 संपत्तियां चिंहित की गई, जिसमे 47 अनावासीय और 46 आवासीय संपत्तियां थीं। पूर्व में हाउस टैक्स का निर्धारण 44 संपत्तियों का किया गया था और अब सर्वे में 49 नई संपत्तियां चिंहित की गई है, जिसमे 17 अनावासीय और 32 आवासीय संपत्तियां हैं। पहले सहारा शहर का हाउस टैक्स का निर्धारण 96 लाख रुपये किया गया, रिवाइज वार्षिक किराया मूल्य बारह करोड़, साठ लाख इक्कीस नौ सौ इक्यान्नवे किया गया है। इस हिसाब से वार्षिक किराया मूल्य का 15 प्रतिशत की दर से 1.89 करोड़ हाउस टैक्स बना है। बकाया और ब्याज को मिलाकर 65.18 करोड़ रुपये भुगतान करने का बिल सहारा शहर प्रबंधन को दिया गया।

पिछले दिनों राजाजीपुरम में हाउस टैक्स की चोरी पकड़ी गई निरीक्षण पर गए नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी राजाजीपुरम में भवन संख्या ई-4016 पहुंचे थे, यहां हेल्थ केयर फिजियोथिरेपी का बोर्ड लगा था। नगर आयुक्त ने भवन पर लगाए गए कर की मोबाइल फोन से ऑन लाइन जांच की। 1732 वर्गफीट क्षेत्रफल के भवन में दो मंजिला निर्माण कराया गया था लेकिन नगर निगम ने भवन का कर निर्धारण 970 वर्गफीट के हिसाब से किया था। वार्षिक किराया मूल्य 6994 के हिसाब से 1049 रुपये वार्षिक हाउस टैक्स लगाया गया था। नगर निगम के अभिलेख में भवन को अनावासीय के बजाय आवासीय उपयोग में दिखाया गया था। इसी तरह ई-4003/1 में हर्ष टॉयर नाम से दुकान संचालित हो रही थी और वार्षिक किराया मूल्य 61866 रुपये किया गया था। हाउस टैक्स 9279 रुपये बनाया गया था। भवन का कर रिवाइज नहीं किया गया था। ई-ब्लाक में जिस भवन में मॉडल शॉप चल रही थी, उसका भवन कर निर्धारण दो मंजिला के हिसाब से किया गया था, जबकि मौके पर चार मंजिला पाया गया। इस मामल में कर अधीक्षक और निरीक्षकों पर कार्रवाई की गई थी।


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