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फेसबुक फ्रेंड के झासे में मुंबई गई थी छात्रा, साक्ष्य मिटाने के लिए की थी हर मुमकिन कोशिश

इंदिरानगर में साइकिल चलाने निकली थी, मुंबई से बरामद।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 10:34 AM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 10:37 AM (IST)
फेसबुक फ्रेंड के झासे में मुंबई गई थी छात्रा, साक्ष्य मिटाने के लिए की थी हर मुमकिन कोशिश
फेसबुक फ्रेंड के झासे में मुंबई गई थी छात्रा, साक्ष्य मिटाने के लिए की थी हर मुमकिन कोशिश

लखनऊ(जागरण संवाददाता)। इंदिरा नगर में 30 जून को साइकिल चलाने निकली छात्रा दो माह बाद सकुशल मुंबई से बरामद कर ली गई। इंस्पेक्टर गाजीपुर राकेश सिंह के मुताबिक, छात्रा मुंबई के डोंगरी स्थित द चिल्ड्रेन होम नाम के शरणालय में थी। मुंबई की चाइल्ड लाइन ने बीटी स्टेशन से नौ जुलाई को उसे बरामद किया था। आशका जताई जा रही है कि छात्रा फेसबुक फ्रेंड के झासे में आकर मुंबई पहुंच गई थी। छात्रा ने साक्ष्य मिटाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए थे। लैपटॉप से सारे साक्ष्य भी मिटा दिए गए थे। ये है पूरा मामला:

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मामले की विवचेना कर रहे दारोगा विजय शकर सिंह ने बताया कि शेल्टर होम में कुल 90 युवतियों में यूपी की नौ लड़किया शामिल थीं। इनमें रायबरेली, इटावा, बस्ती, बहराइच, अलीगढ़, गाजीपुर और फैजाबाद जिले की युवतिया थीं। इन्हीं के साथ छात्रा भी नौ जुलाई से रह रही थी। दारोगा ने बताया कि उन्होंने संबंधित जिले की पुलिस को उन लड़कियों के बारे में सूचना दे दी है। छानबीन में पता चला कि छात्रा ने शेल्टर होम में अपना नाम तान्या यादव बताया था। यही नहीं उसने दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पीछे रेलवे कॉलोनी का पता दिया था। पुलिस जब दूसरे दिन फोटो लेकर शेल्टर होम पहुंची तो उसकी पहचान की जा सकी।

छात्रा ने नाराज होकर मुंबई जाने की बात बताई है। किशोरी ने पुलिस को बताया कि वह पाच सौ रुपये लेकर निकली थी। इस दौरान निशातगंज से चारबाग ऑटो से गई। इसके बाद दिल्ली की ट्रेन में बिना टिकट बैठ गई। फिर दिल्ली से मुंबई पहुंची और एक दिन इधर-उधर टहलने के बाद वह ट्रेन से नागपुर गई, जहा एक दिन रुकने के बाद वापस मुंबई आ गई थी। पुलिस ने बुधवार को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने छात्रा को पेश किया। कमेटी की चेयरमैन डॉ. संगीता श्रीवास्तव के मुताबिक, छात्रा ने लैपटॉप में मुंबई का रूट सर्च किया था। सोशल मीडिया की लत बच्चों के लिए घातक:

लोहिया अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ. देवाशीष शुक्ला के मुताबिक, बच्चे इंटरनेट एडिक्शन की चपेट में आ रहे हैं। वह इंटरनेट के इस्तेमाल में इतना मगन हो जाते हैं कि आसपास घटनाओं से अचेत रहते हुए अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं। इसका सीधा असर मानसिक स्थिति पर पड़ता है। उनका स्वभाव गुस्सैल और चिड़चिड़ापन वाला हो जाता है। इसके अलावा अनिद्रा, डिप्रेशन, नेत्ररोग की समस्या भी आ जाती है। वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से उनका दायरा विस्तृत हो जाता है। वह समझ भी नहीं पाते और गलत कदम भी उठा लेते हैं।


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