लखनऊ में एक वर्ष में 5000 हेक्टेयर बढ़ा सरसों की बुआई का रकबा, नई फसल से घटेगा तेल का दाम
तेल के दामों में आए उछाल के बाद किसानों को तिलहनी फसल के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य कृषि विभाग ने इस साल कर दिखाया है। लखनऊ के सभी ब्लाकों के पांच हजार किसानों को सरसों बीज किट देकर उनका हौसला बढ़ाया।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। तेल के दामों में आए उछाल के बाद किसानों को तिलहनी फसल के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य कृषि विभाग ने इस साल कर दिखाया है। किसानों की आय दो गुनी करने में सरसों की बढ़ी भूमिका की न केवल किसानों का जानकारी दी, बल्कि लखनऊ के सभी ब्लाकों के पांच हजार किसानों को सरसों बीज किट देकर उनका हौसला बढ़ाया। आलम यह है कि पिछले साल के नौ हजार हेक्टेयर से बढ़कर इस बार सरसों का रकबा 15 हजार हेक्टेयर पहुंच गया।
उप कृषि निदेशक डा.सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि देश में मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश तिलहन उत्पादन में दूसरे नंबर पर है। देश में कुल उत्पादन का 16 फीसद हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। मध्य प्रदेश में 24 फीसद, महाराष्ट्र में 14 फीसद, राजस्थान में छह फीसद आंध्र प्रदेश 10 फीसद और कर्नाटक में सात फीसद तिलहन का उत्पादन होता है। गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखंड सहित अन्य राज्यों में 23 फीसद उत्पादन होता है। तिलहन में रबी और खरीफ दोनों ही फसलें आती हैं। कुल उत्पादन का लगभग 64 फीसद रबी , 30 फीसद खरीफ और छह फीसद जायद की फसल में उत्पादन होता है।
लखनऊ में उत्पादन की बात करें तो नौ हजार हेक्टेयर में तिलहन की खेती होती है। इसमे तोरिया व सरसों दोनों शामिल हैं। वर्ष 2019-20 में 2321 मीट्रिक टन तिलहन का उत्पादन हुआ था तो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 4,697 मीट्रिक टन हो गया है। एक साल में दो गुना उत्पादन हो गया। इसके बावजूद तेल का दाम बढ़ रहा है। सरकार ने 5050 रुपये समर्थन मूल्य रखा है। लखनऊ में 50 हजार हेक्टेयर में धान, 80 हजार हेक्टेयर में गेहूं और नौ हजार हेक्टेयर में तिलहन की खेती होती है। इस बार यह बढ़कर 15000 हेक्टेयर हो गया है। करीब 100 दिनों में फसल तैयार होकर बाजार में आएगी।