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गांधी की खादी को बना लिया अपने जीवन का आधार

गर्मी में ठंड और जाड़े में गर्मी का अहसास कराते हैं परिधान, युवाओं को खादी के प्रति जागरूक कर रहीं राजधानी की ऋचा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 09:56 AM (IST)
गांधी की खादी को बना लिया अपने जीवन का आधार
गांधी की खादी को बना लिया अपने जीवन का आधार

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। खादी वस्त्र नहीं विचारधारा है। ऐसी विचारधारा जो समाज के हर तबके को जोड़ने का काम करती है। विकास के युग में इस विचारधारा को मजबूती देने के लिए युवाओं को आगे आना होगा। कुछ इसी मकसद से खादी को नया रंग देकर इसके प्रति लगाव पैदा करने का काम किया इंदिरानगर की ऋचा ने। गांधी की खादी को जीवन का आधार बनाने वाली ऋचा अपनी आर्थिक मजबूती के बजाय युवाओं के अंदर खादी के प्रति लगाव पैदा करने को ही अपना मकसद बना चुकी हैं।

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महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन को नया रंग देने के मकसद से चार साल पहले शुरू हुआ उनका यह प्रयास अब रंग लाने लगा है। परिवार के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने उनके मकसद को पूरा करने में सहयोग दिया। हाल ही में कैसरबाग में लगी खादी प्रदर्शनी में ऋचा ने पहली बार जैविक (आर्गेनिक) खादी का प्रदर्शन किया। जैविक खाद से उत्पादित कपास से बनाए गए सूत से कपड़े को बनाया गया है। उनका कहना है कि हाथों से निर्मित धागे से बनाए गए इस कपड़े के बने परिधान ईको फ्रेंडली होते हैं। आयोग के सहायक निदेशक एके मिश्र के सहयोग से यह खादी को बना पाने में कामयाब हुई हूं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) की ओर से खादी को नया रंग दिया जा रहा है। आर्गेनिक खादी से बना कोट आम खादी से एक हजार रुपये महंगा है, लेकिन इसका प्रयोग गर्मी में भी किया जा सकता है। शरीर में इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। आर्गेनिक खादी का सबसे बड़ा निर्यातक अपना ही देश है, लेकिन जागरूकता के अभाव में इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है।

लगती है पाठशाला

ऋचा आर्गेनिक खादी के साथ ही युवाओं की पाठशाला भी चलाती हैं। इस पाठशाला का कोई निर्धारित स्थान नहीं है। घर से लेकर पार्क और खादी प्रदर्शनी से लेकर अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ऋचा खादी पर चर्चा करती रहती हैं। उनका कहना कि महात्मा गांधी ने अ¨हसा के बल पर अंग्रेजों को बाहर का रास्ता दिखा दिया तो हम एक छोटे से प्रयास से उनके द्वारा दी गई इस सौगात को आगे नहीं बढ़ा सकते।

क्या कहते हैं अफसर?

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के राज्य निदेशक आरएस पांडेय का कहना है कि खादी को बढ़ावा देने के लिए आयोग की ओर से प्रशिक्षण के साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। ऋचा का प्रयास सराहनीय है। युवा आगे आएंगे तभी गांधी की स्वदेशी विचारधारा को और मजबूती मिलेगी। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग युवाओं के मार्ग दर्शन के लिए तैयार है।


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