CoronaVirus LockDown 4 News: प्रवासियों का पेट भर रहा बिरयानी का ये शाकाहारी अवतार
CoronaVirus LockDown 4 News वाहिद बिरयानी की ओर से चार स्थानों पर हो रहा खाने का वितरण। बिरयानी के अलावा रोटी-सब्जी पानी की बोतल तरबूज केला व बिस्किट शामिल।
लखनऊ, जेएनएन। CoronaVirus LockDown 4 News: नवाबों का शहर लखनऊ देश भर में अपनी अवधी बिरयानी के लिए मशहूर है। यहां के लजीज जायके के लिए पहचाने जाने वाले वाहिद बिरयानी भी महामारी के इस कठिन समय में अहम योगदान दे रहे हैं। दूर-दराज से आ रहे प्रवासियों को शाकाहारी अवतार में बिरयानी खिलाकर उनका पेट भर रहे हैं। करीब पिछले एक हफ्ते से प्रतिदिन 1500 से अधिक प्रवासी कामगारों को खाना परोस रहे हैं, जिसमें बिरयानी के अलावा रोटी-सब्जी, पानी की बोतल, तरबूज, केला व बिस्किट शामिल है।
इसके 65 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि वाहिद बिरयानी, शाकाहारी खाना परोस रहा है। हालांकि, लॉकडाउन के चलते वाहिद बिरयानी की शेफ टीम अपने-अपने घरों को रवाना हो गई। इसके बाद वाहिद बिरयानी के मालिक आबिद अली कुरैशी ने अपने परिवार के सदस्यों की मदद लेकर प्रवासियों के लिए खाने की व्यवस्था की। रोजा रखने के बावजूद उनका परिवार प्रवासियों के लिए खाना बना रहा है और शहर के बाहरी इलाकों में प्रवासियों को परोस भी रहा है।
भूखे-प्यासे अपने घर को रवाना हुए प्रवासियों की सहायता के लिए चिनहट, पॉलीटेक्निक क्रॉसिंग, सीतापुर रोड समेत आगरा एक्सप्रेसवे चौराहे पर चार टीम लगाई गई है। पिछले एक सप्ताह से हो रही सेवा के दौरान रोजेदारों के लिए भी इंतजाम किए गए हैं।
वाहिद बिरयानी के मालिक आबिद अली कुरेशी ने बताया कि रमजान पाक महीने में दूसरों की सहायता करने से अल्लाह की कृपा आप पर बरसती है। लॉकडाउन में हम सभी का फर्ज है कि मजलूमों की सेवा करें। इसी उद्देश्य को लेकर एक सप्ताह पहले वितरण का काम शुरू हुआ है। हमारे यहां काम करने वाले और युवा इस नेक काम में मदद कर रहे हैं। बिरयानी के अलावा रोटी-सब्जी, पानी की बोतल, तरबूज, केला व बिस्किट भी बांटा जा रहा है। इसमें बेटे आकिब अली के साथ ही साकिब, नौशाद के अलावा नाजिम, हाफिज और जमीर वितरण में सहायता करते हैं। सड़क पर खड़े होकर लाउडस्पीकर से प्रवासी मजदूरों के वाहनों को रोकते हैं और उन्हें खाना और पानी देते हैं। बता दें, वाहिद बिरयानी की शुरुआत 1955 में आबिद के दादा अलादीन ने चौक इलाके में एक गाड़ी से की थी। बाद में, आबिद के पिता वाहिद ने व्यवसाय की बागडोर संभाली और इसे एक ब्रांड का नाम बना दिया।