Lucknow: दांतों की सफाई न होने से गर्भवती को समय से पहले डिलीवरी का खतरा, पढ़ें विशेषज्ञों की राय
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में दंत संकाय और सोसायटी आफ डेंटिस्ट्री की ओर से चार दिवसीय चौथी विश्व डेंटल साइंस एंड ओरल हेल्थ कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। लेजर की उपयोगिता डेंटल इमरजेंसी समेत कई अन्य विषयों पर चर्चा की गई।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। दिन के साथ रात में भी ब्रश जरूर करना चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं को मुख स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए। मुंह में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है और इससे संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
केजीएमयू के पीरियडोंटोलाजी के प्रोफेसर और यूपी डेंटल काउंसिल के अध्यक्ष डा. पवित्र रस्तोगी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में ओरल संक्रमण का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि महिला को समय से पूर्व प्रसव हो सकता है। इससे बच्चे का कम विकास, कम वजन और कई अन्य परेशानियां हो सकती हैं।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में दंत संकाय और सोसायटी आफ डेंटिस्ट्री की ओर से चार दिवसीय चौथी विश्व डेंटल साइंस एंड ओरल हेल्थ कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
16 अगस्त से शुरू हुए इस आयोजन में राजस्थान, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश समेत अमेरिका और दुबई जैसे देशों से भी विशेषज्ञों और लगभग 450 स्नातक और परास्नातक छात्रों ने प्रतिभाग किया। इस आयोजन में दंत संकाय के विभिन्न विभागों की 10 वर्कशाप कराई गई।
इस दौरान दंत चिकित्सा में लेजर की उपयोगिता क्या है, डेंटल इमरजेंसी, चेहरे पर चोट लगने में मैक्सिलोफेशियल सर्जरी की उपयोगिता, दांतों को चमकीले बनाने के लिए विनियर की तकनीक समेत कई अन्य विषयों पर चर्चा की गई।
केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथालाजी एंड माइक्रोबायोलाजी विभाग की प्रो. शालिनी गुप्ता ने बताया कि बच्चों के साथ हो रहे दुष्कर्म को पहचानने में डेंटिस्ट अहम भूमिका निभा सकते हैं। होंठ और मसूड़ों के बीच फ्रेनम टियर, दांत काटने के निशान या मुख के अंदर कुछ अन्य घाव बच्चों के साथ हो रहे गलत कार्यों की जानकारी देते हैं।
डेंटिस्ट की जागरूकता बच्चों के साथ होने वाले दुष्कर्म को सही समय पर रोक सकते हैं। प्रो. शालिनी ने यह भी बताया कि दंत संकाय की फारेंसिक ओडोंटोलाजी विधा के जरिए दुर्घटना, आपदा या विभीषिका के दौरान मृत व्यक्तियों की पहचान उनके दांतो के जरिए की जा सकती है।
इसके अलावा मरीजों का एंटीमार्टम यानी पहले से चल रहे इलाज का लेखा-जोखा डेंटिस्ट के पास होने से दुर्घटना में यह व्यक्तियों की पहचान करने में सहायता कर सकता है। आयोजन में मोटिवेशनल स्पीकर दीक परासिनी ने कहा कि उनकी काउंसलिंग में हर छह में से पांच लड़कियां परिवार के ही किसी व्यक्ति द्वारा शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं।
इस बात को वह 10-20 वर्षों तक अपने मन में ही दबा कर रखती हैं। इस वजह से उनमें अवसाद या कुंठा उत्पन्न होने लगती है। चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे बच्चों में तनाव, अवसाद या कुंठा हो तो मरीजों की परेशानी समझने में अक्षम हो सकते हैं। इस दिशा में जागरूकता आवश्यक है।
आयोजन में केजीएमयू दंत संकाय के डीन प्रो. आरके सिंह, पीरियडोंटोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नंदलाल, इंडियन सोसायटी आफ डेंटिस्ट्री की संस्थापक अध्यक्ष डा. अनमोल बगारिया और वाइस प्रेसिडेंट डा. आशीष चंद्रा समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।