LDA में आवंटी के लिए बड़ी खबर, फंसे प्लाटों का निस्तारण जल्द; नहीं दे पाए ये चार दस्तावेज तो होगी सख्त कार्रवाई
लखनऊ विकास प्राधिकरण फंसे प्लाटों के निस्तारण के लिए शुरू की मुहिम। मानसरोवर गोमती नगर शारदा नगर जानकीपुरम के आवंटी थे परेशान। डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष ने विहित प्राधिकारी को सौंपी जिम्मेदारी। गलत दस्तावेज हुए तो जाएंगे जेल।
लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) अब आवंटित संपत्तियों का निस्तारण करेगा। डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने सभी विहित प्राधिकारी को इसके निर्देश जारी किए हैं। उनके मुताबिक, ऐसे आवंटी जिनको लविप्रा रजिस्ट्री कर चुका है, आवंटी के पास उसके मूल कागज हैं, उनका परीक्षण कराने के बाद चरणबद्ध् तरीके से निस्तारित किया जाएगा। इसके लिए आवंटी मूल दस्तावेजों की प्रतिलिपियों के साथ विहित प्राधिकारी से मिलकर प्रार्थना पत्र दे सकते हैं। वर्तमान में गोमती नगर विस्तार, जानकीपुरम व जानकीपुरम विस्तार, मानसरोवर, कानपुर रोड, शारदा नगर, प्रियदशर्नी नगर योजना व बसंत कुंज मिलाकर आठ सौ से अधिक आवंटी हैं जो परेशान घूम रहे हैं।
डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने बताया कि विहित प्राधिकारी ऋतु सुहास, नजूल अधिकारी आनंद कुमार सिंह, विशेष कार्याधिकारी डीके सिंह और राम शंकर से मिलकर पूरी स्थिति से अवगत कराते हुए प्रार्थना पत्र दे सकता है।
बता दें कि सिर्फ मानसरोवर योजना में तीन सौ से अधिक ऐसे आवंटी हैं, जिन्हें प्लॉट आवंटित हो चुके हैं और प्राधिकरण कब्जा नहीं दे पा रहा है। कारण कहीं धार्मिक स्थल हैं तो कहीं सेना व ग्रामीणों से वार्ता कई सालों से चल रही है। इसी तरह गोमती नगर विस्तार में रजिस्ट्री हो जाने के बाद भी प्लॉट नहीं मिल पा रहे हैं।
गलत दस्तावेज मिले तो जाएंगे जेल: डीएम व लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने कहा कि कई ऐसे लोग भी बाजार में टहल रहे हैं जो मूल आवंटी नहीं है, लेकिन फर्जी तरीके से कागजात तैयार करा लिए हैं। ऐसे लोग अगर आवेदन करते हैं और दस्तावेजों की जांच में गलत पाए जाते हैंं और उचित जवाब नहीं देते तो ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा। जरूरत पड़ने पर जेल भी भेजा जा सकता है।
नहीं दे पाए यह दस्तावेज तो होगी कार्रवाई
- आवटंन पत्र
- कास्टिंग द्वारा जारी पत्र
- मूल रसीदे
- कब्जा पत्र
- अगर सक्षम अधिकारी द्वारा प्लाट देने के कोई निदेश दिए गए हों आंवटी को
- यदि बैक से लोन लिया गया हो तो संबंधित कागजात
योजना के बाबू व अफसरों की ओर जवाब देही : पूरा पैसा जमा है, सारे कागज, रसीदें, आवंटन पत्र हैं तो संबंधित योजना देख रहे अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वैकल्पिक व्यवस्था बनाए। अगर नहीं है तो वरिष्ठों को अवगत कराए और आवंटी की सहमति के बाद पैसा वापस करने के साथ ही फ्लैट का भी विकल्प सुझाया जाए। वहीं अगर प्लाॅट में बाबुओं की मिलीभगत मिलती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।