बदलेगी लखनऊ की क्राइम ब्रांच, अब आइबी की तर्ज पर करेगी काम
अपराधियों पर वारदात से पहले नकेल कसने की हो रही कवायद। जल्द ही नए सिरे से इंटरव्यू के साथ तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को तवज्जो दिया जाएगा।
लखनऊ[शोभित मिश्र]। राजधानी में बढ़ती जघन्य वारदातों को काबू कर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए लखनऊ क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मियों को खुफिया एजेंसियों की तर्ज पर विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए क्राइम ब्रांच का संगठनात्मक ढांचा आइबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) समेत अन्य खुफिया एजेंसियों के तर्ज पर बनाने की कवायद शुरू हो गई है। जल्द ही नए सिरे से इंटरव्यू के साथ तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को तवज्जो दिया जाएगा।
एसएसपी कलानिधि नैथानी सप्ताहभर से अधिकारियों संग मीटिंग कर क्राइम ब्रांच को खुफिया एजेंसियों की तरह सशक्त बनाने में जुटे हैं। योजना यह है कि क्राइम ब्रांच को खुफिया एजेंसियों की तरह अपराधियों की सारी जानकारी पहले ही मिल जाए। अगर लखनऊ में कोई वारदात हो जाए तो अपराधियों को क्राइम ब्रांच देश के किसी भी कोने से खोजकर पकड़ने में सक्षम हो। यहां लूट, हत्या, डकैती की कई वारदातों में राजस्थान, हरियाणा समेत बाहरी राज्यों के बदमाश निकले। अब क्राइम ब्रांच को अपराधियों पर नकेल लगाने के लिए खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों से अलग से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। इसके लिए क्राइम ब्रांच में ऐसे पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी जिनका पहले से ही सुरागरसी के साथ मुखबिर तंत्र मजबूत होगा। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की भी अच्छी जानकारी होगी। क्राइम ब्रांच को सशक्त बनाने के लिए अत्याधुनिक संसाधनों के साथ वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण समेत अन्य जरूरी सामान भी खरीदा जाएगा।
1998 में क्राइम ब्रांच अस्तित्व में आई, 2005 से सशक्त बनी:
क्राइम ब्रांच का गठन 1998 में हुआ। अंबेडकर पार्क के पास पहले ऑफिस हुआ करता था। पहले एएसपी क्राइम मृगेंद्र सिंह बनाए गए थे। वर्ष 2005 में तत्कालीन एसएसपी नवनीत सिकेरा ने इसे और सशक्त बनाया। उन्हीं के मॉडल पर प्रदेशभर में क्राइम ब्रांच का गठन हुआ। नवनीत सिकेरा ने पहली बार उमेश कुमार सिंह को एएसपी क्राइम बनाकर उनके अंतर्गत सीओ क्राइम समेत अन्य पुलिस बल देकर संगठनात्मक ढांचा मजबूत किया था।