2020 तक बदल जाएगा चारबाग व गोमतीनगर स्टेशन का स्वरूप, 80 करोड़ से संवरेगा अयोध्या स्टेशन
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन बोले, देश में 2023 तक दौड़ेगी बुलेट ट्रेन, 2019 तक डबल लाइन होगा उतरेटिया-आलमनगर रेलखंड।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। यूपी की राजधानी लखनऊ के दो महत्वपूर्ण स्टेशन चारबाग और गोमतीनगर का स्वरूप वर्ष 2020 तक बदल जाएगा। मई 2020 तक कुल 2800 करोड़ रुपये की योजना मूर्त रूप ले लेगी। यह जानकारी रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्रि्वनी लोहानी ने दी। वह लखनऊ में निरीक्षण के बाद बात कर रहे थे। वहीं अयोध्या स्टेशन के सुंदरीकरण के लिए 80 करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं। इसके लिए टेंडर अक्टूबर में होगा।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया कि गोमतीनगर स्टेशन का विकास कार्य शुरू हो गया है। इसके तहत यात्रियों के लिए मल्टीप्लेक्स, रेस्त्रां, अंडर ग्राउंड पार्किंग, 100 कमरों का मॉड्यूलर बजट होटल बनाया जाएगा। स्टेशन पर बीस से अधिक एस्केलेटर और तीन बड़े प्रतीक्षालय का निर्माण किया जाएगा। ट्रेनों की लेट लतीफी पर सीआरबी ने कहा कि अब स्थिति सुधर रही है। परिचालन रेशियो अब 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है। रेलवे ने इस बार रियल टाइम फीडिंग की थी। जिसका असर यह रहा कि परिचालन रेशियो 60 प्रतिशत तक चला गया था। रेलवे के आधारभूत ढांचे को बदलने में अभी बहुत काम होना बाकी है। इसके लिए ब्लॉक लेना पड़ रहा है। जिस कारण ट्रेनें भी लेट हो रही हैं। रेलवे ट्रेनें निरस्त किए बिना ही सारे काम कर रहा है, जिससे यात्रियों को परेशानी न उठाना पड़े। पटरियों की क्षमता बढ़ने के बाद यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलना शुरू हो जाएंगी। सीआरबी ने आलमनगर स्टेशन का निरीक्षण किया। यहां 32 करोड़ रुपये से इसके विकास की योजना की समीक्षा की। वहीं ट्रांसपोर्ट नगर स्टेशन को टर्मिनल बनाने के लिए 54 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल गई है। इस मौके पर डीआरएम सतीश कुमार, डीआरएम विजयलक्ष्मी कौशिक, सीपीआरओ नितिन चौधरी, सीनियर डीसीएम जगतोष शुक्ल, मंडल वाणिज्य प्रबंधक देवानंद यादव, सीनियर डीसीएम एसके सिंह और आलोक श्रीवास्तव सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
भूखे पेट रहकर स्टेशन मास्टरों ने चलवाई ट्रेन : आठ घटे की जगह 12 घटे काम कराए जाने और एमएसीपी का लाभ न मिलने से नाराज लखनऊ सहित देश भर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टर शनिवार को भूख हड़ताल पर रहे। लखनऊ और आसपास के स्टेशनों पर इस हड़ताल का असर दिखा। भूखे पेट रहकर स्टेशन मास्टरों ने ट्रेन संचालन कराया। इससे पहले ट्रेन ड्राइवरों ने भूखे पेट रहकर ट्रेनें चलाई थी।
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन ने अपनी लंबित मागों को लेकर शनिवार को एक दिन की भूख हड़ताल का आहवान किया था। शनिवार को चारबाग रेलवे स्टेशन, लखनऊ जंक्शन, गोमतीनगर, बादशाहनगर, डालीगंज, ऐशबाग, मानकनगर, उतरेटिया, सिटी स्टेशन, मोहनलालगंज, काकोरी, अमौसी सहित आसपास के सभी स्टेशनों पर स्टेशन मास्टरों ने भूख हड़ताल की। इन्होंने भूखे पेट रहकर अपनी ड्यूटी पूरी की। एमएसीपी से मिलने वाला तीसरा प्रमोशन, आठ घटे काम कराने, संरक्षा व तनाव भत्ता दिए जाने, 15 प्रतिशत स्टेशन मास्टरों को राजपत्रित करने, स्टेशनों पर ही रेस्ट रूम की सुविधा देने, स्टेशन डायरेक्टर का पद अनुभवी तथा सीनियर स्टेशन मास्टरों को दिए जाने की माग कर रहे थे। अरविंद बघेल, नीरज श्रीवास्तव, मनोज, अनूप कुमार और वीके सिंह सहित कई स्टेशन मास्टर भूख हड़ताल पर रहे।
एप पर मिलेगा गुम हुए बच्चों का डाटा:
रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में लापता हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलना अब आसान होगा। इन बच्चों की जानकारी एप पर उपलब्ध होगी। साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड भी बनेगा। इससे दूसरे जिले या प्रदेश के लोग अपने खोए हुए बच्चों की जानकारी आसानी से हासिल कर सकेंगे। यह बात रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्रि्वनी लोहानी ने कही। वह यूपी 100 मुख्यालय में आयोजित एक राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
सीआरबी ने यह भी कहा कि जिलों की तरह स्टेशनों पर भी पालना की व्यवस्था की जा सकती है। इससे उन नवजात को कुत्तों व बीमारियों से बचाया जा सके, जिनको लोग फेंक देते हैं। रेलवे अपने टीटीई, स्टेशन मास्टर, सफाईकर्मियों और कुलियों व वेंडरों को संवेदनशील बनाएगी। बच्चों की तस्करी रोकने के लिए ट्रेनों में पोस्टर और स्टीकर लगाने के साथ हर स्टेशन पर एनाउंसमेंट के जरिए जरूरी सूचनाएं दी जाएंगी। आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी उपलब्ध होगी। सीआरबी ने यह भी कहा कि मैं मानता हूं कि लावारिस मिले बच्चों के संरक्षण को लेकर रेलवे ने उतना नहीं किया जितना करना चाहिए था। लेकिन अब वो सब किया जाएगा। बच्चों के संरक्षण पर होने वाले खर्च की मद में संशोधन होगा। रेलवे के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं और जीआरपी की मीटिंग हर तीन महीने में होगी। अच्छा काम करने वाले रेलकर्मियों को पुरस्कृत करेंगे। इसको हम राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में लेंगे। एडीजी रेलवे वीके मौर्य ने कहा कि बच्चों के संरक्षण को लेकर बनी पॉलिसी में कई दिक्कतें हैं। ड्यूटी की खानापूर्ति के कारण पिछले दिनों एक बच्चा 10 दिन बाद अपने घर पहुंच सका, जबकि उसका घर मात्र 65 किलोमीटर दूर था।
रेलवे के रेल टेल की मदद से मिले हुए बच्चों के बारे में अहम जानकारी बिना देरी साझा की जा सकती है। सचिव महिला एवं बाल विकास कमल सक्सेना ने कहा कि सरकार ने लावारिस मिले बच्चों के पुनर्वास के लिए 100 करोड़ रुपये का जेजे फंड बनाया है। सरकार 20 ऐसे बच्चों को प्रशिक्षण दे रही है, जो प्लेटफार्मो या अन्य जगह पर मिले हैं। इनमें चार बच्चे सेक्स वर्करों के हैं जबकि तीन पाक्सो पीड़ित सर्वाइवर हैं। पुलिस थानों पर 10 जिलों के 11 हजार बच्चों को उनके भविष्य की राह आसान करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि कार्यभार संभालने के समय अपराध कम करने, भविष्य के अपराध, साइबर क्त्राइम और यातायात प्रबंधन जैसी चुनौतिया थी। सीआरबी अश्रि्वनी लोहानी से सीख लेकर मैंने भी दारोगा और सिपाही के साथ मेस में खाना खाया। इससे उनको भी अपनी बातें सीधे बताने का मौका मिला।
आईने से रोज पूछें, क्या मैं ईमानदार हूं :
यूपी 100 मुख्यालय की कार्य प्रणाली देखने के बाद सीआरबी ने यह भी कहा कि यहा आकर यूपी पुलिस के बारे में मेरी छवि बदल गई। यहा देख सकते हैं कि कैसे प्रोफेशनल तरीके से लोगों की शिकायत सुनकर उनपर कार्रवाई की जा रही है। रेलवे को भी इससे सीखना चाहिए। उन्होंने पुलिसकर्मियों से कहा कि इस वर्दी में बहुत ताकत है। यह वर्दी खून में देशभक्ति का संचार करती है। पुलिस का एक बीट सिपाही भी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभाए तो सिस्टम बदल सकता है। रोज सुबह उठकर जब आइने के सामने शीशा देखें तो खुद को चोर न दिखाई पड़े। मैं अश्रि्वनी लोहानी हूं सीआरबी का काम देखता हूं :
वैसे तो सीआरबी अश्रि्वनी लोहानी बच्चों के संरक्षण के कार्यक्त्रम में आए थे, लेकिन वह पुलिस को भी टिप्स दे गए। उन्होंने कहा कि छोटे बड़े सभी को पोस्ट का चोला नहीं पहनना चाहिए। यदि मैं अपने बारे में कहूं तो मैं अश्रि्वनी लोहानी हूं, जो सीआरबी का काम देख रहा है। मेरा चपरासी भी इंसान है और वह केवल चपरासी का काम करता है। अंतर केवल रोल में है काम कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता।