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यकीन नहीं, मैं जिंदा हूं... होंठ पर सिर्फ ईश्वर का नाम..., लखनऊ हादसे की चपेट में आए लोगों की आपबीती; 2 की मौत

लखनऊ हादसे की चपेट में आए लोगों के लबों पर ईश्वर का नाम है जो खतरे से बाहर हैं वो ईश्वर का शुक्र अदा कर रहा है और जिनकी हालत गंभीर हैं उन्हें ईश्वर से सब ठीक होने की प्रार्थना कर रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Wed, 25 Jan 2023 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2023 01:35 PM (IST)
यकीन नहीं, मैं जिंदा हूं... होंठ पर सिर्फ ईश्वर का नाम..., लखनऊ हादसे की चपेट में आए लोगों की आपबीती; 2 की मौत
कल रात से जारी राहत और बचाव कार्य आज दोपहर तक होता रहा। जागरण

जागरण संवाददाता, लखनऊ: नियमों को दरकिनार कर कमजोर पिलर पर खड़ी इमारत अलाया अपार्टमेंट मंगलवार को भरभराकर ढह गई। इस हादसे में अब तक दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। दोनों सपा प्रवक्ता के परिवार से संबंधित हैं। बेगम हैदर सपा प्रवक्ता अब्बास हैदर की मां हैं तो उज्मा उनकी पत्नी हैं। दोनों महिलाओं की जान गंभीर चोटों के कारण हुई है।

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पिछले 15 घंटे से राहत और बचाव कार्य जारी है, कुछ और लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। वहां से निकालकर लोगों को सिविल अस्पताल पहुंचाया जा रहा है, जो खतरे से बाहर हैं वो ईश्वर का शुक्र अदा कर रहे हैं और जिनकी हालत गंभीर हैं उन्हें ईश्वर से सब ठीक होने की उम्मीद है।

हादसे से ठीक ठाक बाहर निकल रहे लोगों को खुद पर भरोसा नहीं हो रहा है। सिविल अस्पताल में भर्ती युसूफ खान तो अपना दर्द बताते-बताते रोने लगे। उन्होंने कहा कि यह मंजर देख भरोसा ही नहीं हो रहा कि हम बच गए हैं। चंद मिनटों में लोग न पहुंचते तो जान चली जाती। अभी भी मेरे कुछ लोग दबे हैं। मुझे पता नहीं कि उन्हें निकाला गया या नहीं। बहुत चिंता हो रही है। रंजना अवस्थी ने कहा, जब अपार्टमेंट गिरा तो ऐसा लगा धरती फट गई। होंठ पर सिर्फ ईश्वर का नाम था।

कांपते होठों से बयां क‍िया दर्द, नहीं थम रहे थे आंसू

हादसे में सुरक्षित बचे लोग दर्द बयां करते अपना आंसू नहीं रोक सके। सिविल अस्पताल में भर्ती मुस्तफा और नसरीन खान कहती हैं, इमारत ढही तो उस समय हम लोग तीसरे तल पर अपने फ्लैट में काम कर रहे थी। मुस्तफा ने भाई को फोन किया कि मुझे बचा लो। मैं फंस गई हूं। मैं मलबे में दब गई हूं। सांस लेना दुर्लभ हो रहा है। भाई ने कहा, आप बिल्कुल परेशान न हो। पुलिस भी मौके पर है। हम जल्दी कुछ करते हैं।

मुझे बचा लो बहन ऊपर पिलर है और मलबे में पैर भी फंसा है

इमारत ढही तो चौथे तल पर अपने फ्लैट में आफरीन हैदर और उनकी घर पर काम करने वाली महिला साथ किचन में फंस गईं। आफरीन ने अपनी बड़ी बहन फरीन को फोन किया कि मुझे बचा लो। मैं फंस गई हूं। ऊपर पिलर है और पैर भी मलबे में फंस गए हैं। आक्सीजन की कमी हो रही है। कुछ करो बहन...इसके बाद फोन कट जाता है।

चौथे तल पर रह रहीं आफरीन ने अपनी बहन को फोन कर सूचना दी

सूचना मिलते ही फरीन अपने घरवालों के साथ पहुंची। यहां उन्हें पुलिस ने अंदर जाने से रोका और कहा की राहत एवं बचाव दस्ता काम कर रहा है। आप परेशान मत हों हम उन्हें सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रहे हैं। फरीन ने अधिकारियों से रोते हुए बोलीं किसी तरह से मदद करें बहन को आक्सीजन की कमी हो रही है। उन्होंने बताया कि किचन में अंदर फंसी हैं। ऊपर बीम का पिलर है नीचे पैर फंसे हुए हैं। दम घुट रहा है और मोबाइल की बैटरी भी डिस्चार्ज हो रही है। अधिकारियों ने फरीन को सांत्वना देते हुए शांत कराया।


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