Lucknow Building Collapse: मलबे में भविष्य की उम्मीद तलाश रही जिंदगी, पढ़ें उजड़े घरों की दर्दनाक दास्तां
लखनऊ के अलाया अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल के मलबे में दिख रहे कंबल को देख शिक्षक शबाना खान की मां आलिमा कह उठती हैं वो इसी के आसपास होगी। मूल रूप से बांदा निवासी शबाना उन्नाव के हिम्मतगढ़ के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं।
जागरण संवाददाता, लखनऊ: अलाया अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल के मलबे में दिख रहे कंबल को देख शिक्षक शबाना खान की मां आलिमा कह उठती हैं वो इसी के आसपास होगी। उसकी सैंडल और भी कई बिखरे सामान दिखे। मूल रूप से बांदा निवासी शबाना उन्नाव के हिम्मतगढ़ के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। वह अब भी मलबे में दबी हैं। पूरा परिवार लखनऊ आ गया है। आखिरी बार शबाना ने मंगलवार शाम 6:30 बजे अपना वाट्सएप चेक किया था। इसके बाद से कोई पता नहीं चला। एनडीआरएफ को परिवार ने बताया कि घटना के समय बिजलीवालों को बुलाया था। कुछ गड़बड़ी थी शायद उसे ठीक कराने वह नीचे उतरी होगी। एनडीआरएफ के अधिकारी ढांढस बंधाते हुए शबाना को खोजने के लिए हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दे रहे हैं।
जीवन को पटरी पर लाना बना चुनौती
अलाया अपार्टमेंट के गिरने के बाद यहां से अधिकांश लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है। अब फ्लैट मालिकों के साथ उनके किराएदार के सामने जीवन को पटरी पर लाने की चुनौती है। घरों में महंगी ज्वैलरी, घर खर्च और जरुरी कामों के लिए रखी गई नकदी और महंगी गृहस्थी की रिकवरी की चिंता सताने लगी है। मौके पर पहुंचे डीएम सूर्य पाल गंगवार से फ्लैट मालिकों ने इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की। डीएम ने बताया कि सीसीटीवी लगाए गए हैं। उसकी निगरानी में ही सारी कार्रवाई हो रही है। जो भी सामान मलबे से निकाला जाएगा, उनको सुरक्षित रखा जाएगा। इसके बाद सभी फ्लैट मालिक और उनके किराएदारों को बुलाकर उनके सामने ही सामान सौंपा जाएगा।
न घर और न बचा सामान
दूसरी मंजिल पर रहने वाली आलोका हादसे में घायल हो गई थी। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को आलोका डिस्चार्ज न होने के बावजूद अलाया अपार्टमेंट पहुंची। भावुक होकर कहने लगती हैं कि मेरे पास सिर छिपाने के लिए कल तक अस्पताल की ही छत है। वहां से डिस्चार्ज होने के बाद कहां रहूंगी यह नहीं पता। मेरा सारा सामान दबा हुआ है। कितना वापस मिलेगा यह भी नहीं जानती। आलोका बार-बार पुलिस से लेकर अन्य अफसरों से सामान दिलवाने के लिए गुहार लगाती रहीं। मूल रूप से बांदा की रहने वाली मीनाक्षी, दिल्ली के अक्षय गुप्ता और उनके मित्र शादाब एक ही साथ फ्लैट नंबर 303 में रहते हैं। एकेटीयू के फैकल्टी आफ आर्किटेक्ट के तीनों ही असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। तीनों इस समय एकेटीयू के गेस्ट हाउस में रह रहे हैं। अक्षय गुप्ता बताते हैं कि तीन दिन से उनके पास पहनने के लिए दूसरे कपड़े नहीं थे। गुरुवार को दोस्त ने अपनी जिंस पैंट दी। दबे हुए फ्लैट की अलमारी को देख मीनाक्षी कह उठती हैं देखिए वह तो मेरी किताबें हैं। इसी के पास से एक छोटा सा पर्स जरूर उनको वापस मिल गया। बच्चे के खिलौनों से लेकर कई जरूरी सामान वापस मिले तो एनडीआरएफ और एसडीआरएफ उनको निकालकर सहेजते रहे।
गड्ढा भी बन रहा था अपार्टमेंट के नीचे
पेशे से आर्किटेक्ट शादाब कहते हैं कि अपार्टमेंट में सबसे नीचे मेंटनेंस के साथ एक और गड्ढे की खोदाई चल रही थी। इसके लिए किसी आर्किटेक्ट की सहायता ली जानी चाहिए थी। गड्ढे की खोदाई भी इस बिल्डिंग के गिरने का एक बड़ा कारण हो सकती है।
अस्थायी व्यवस्था करेगा प्रशासन
जिन लोगों के फ्लैट अलाया अपार्टमेंट में थे, उन्होंने डीएम से वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की। इस पर डीएम ने कहा कि प्रशासन अस्थायी रूप से उन लोगों के ठहरने की व्यवस्था करेगी, जिनके पास अब रहने के लिए कोई दूसरा घर नहीं है। इसके लिए जिलाधिकारी ने सभी लोगों की लिस्ट बनाने के भी आदेश दिए।