Move to Jagran APP

LockDown 4 News: सीमा सील फिर भी आवाजाही पर नहीं विशेष प्रतिबंध, सीतापुर व कानपुर रोड का आंखों देखा हाल

लखनऊ में सीमा सील होने के निर्देश आवाजाही पर नहीं लगा विशेष प्रतिबंध।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 03:47 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 07:23 AM (IST)
LockDown 4 News: सीमा सील फिर भी आवाजाही पर नहीं विशेष प्रतिबंध, सीतापुर व कानपुर रोड का आंखों देखा हाल
LockDown 4 News: सीमा सील फिर भी आवाजाही पर नहीं विशेष प्रतिबंध, सीतापुर व कानपुर रोड का आंखों देखा हाल

लखनऊ, जेएनएन। मड़ियांव थाना इलाके में भिठौली क्रासिंग और आइआइएम रोड के पास सीतापुर रोड का नजारा आम दिनों की तरह नजर आ रहा है। यहां मौजूद पुलिसकर्मी सीमाओं के सील होने का दावा तो कर रहे थे, लेकिन लखनऊ और सीतापुर दोनों ओर से लोगों की आवाजाही बड़ी संख्या में जारी रही।

loksabha election banner

सुबह 11 बजे तक यहां का नजारा कुछ ऐसा ही था। इसके बाद अचानक पुलिस एक्टिव हुई और फिर पास धारक और जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को छोड़ सबसे पूछताछ करने लगी। इसी बीच मिश्रिख सीतापुर निवासी अंकुश गौतम यहां एक बस से उतरे। उन्होंने बताया लॉकडाउन के चलते दो महीने से घर नहीं आ पा रहे थे। दिल्ली के प्रशासन ने एक बस में बैठा दिया, वहां से सीतापुर तक निःशुल्क भेजने का दावा किया गया, लेकिन दावे की पोल बरेली में ही खुल गई, जहां बस वाले ने 3300 रुपये ले लिए।पैसे न देने पर रास्ते में उतारने को कहा, जिससे देना पड़ा। दो दिन का सफर तय करके बस आज लखनऊ पहुंची और सीतापुर न ले जाकर मड़ियांव में ही उतारकर चली गई। रास्ते में अंकुश ने दो जगह खिचड़ी और खाई। बाकी बिस्कुट और पानी से काम चलाया। हालांकि जिले के नज़दीक पहुंचने की चमक उनके आंखों में साफ देखी जा सकती थी। उन्हें पुलिस ने भी नहीं रोका और वह यहां से सील सीमा पार करके सीतापुर पैदल ही निकल पड़े।

इसके अतिरिक्त जम्मू में फंसे 40 यात्रियों को लेकर बस संख्या जेके 21 पीई 2727 सीतापुर रोड पहुंची थी, जिसे आगे गोरखपुर जाना था। बस चालक जम्मू कठुवा निवासी नाहर सिंह ने बताया कि रास्ते में किसी ने नहीं रोका। यात्रियों को खाना.पीना भी मिलता रहा। मड़ियांव थाने की पुलिस ने भी इस बस को नहीं रोका और आगे गंतव्य को जाने दिया इसी तरह बाहर से आने वाले अन्य लोग भी यहां बेरोकटोक आते.जाते दिखे।

लखनऊ-कानपुर बार्डर और बाराबिरवा चौराहे पर बिना चेकिंग के नहीं निकल रहीं गाड़ियां

दोपहर करीब एक बजे लखनऊ-कानपुर बार्डर पर भारी पुलिस बल के साथ डीसीपी दिनेश कुमार सिंह, एसडीएम प्रफुल्ल त्रििपाठी, थानाप्रभारी बंथरा रमेश सिंह रावत खड़े थे। कानपुर और उन्नाव की ओर से आ रहे वाहनों को बार्डर क्रास करते ही रोका जा रहा था। उसके बाद लोगों को ट्रक, बसों और लोडर से नीचे उतारकर 100 मीटर दूर जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए सेंटर पर ले जाया जा रहा था। यहां उनके खाने-पीने का इंतजाम किया गया। इसके बाद पूर्वांचल के गोरखपुर, बस्ती, बलिया के 50-60 लोग या अन्य जनपदों के इसी तरह लोग इकट्ठा जाते तो उन्हें बस से रवाना कर दिया जाता। वहीं, बाराबिरवा चौराहे पर चारो ओर बैरीकेडिंग लगी थी। इंस्पेक्टर कृष्णानगर डीके उपाध्याय, एसीपी दीपक कुमार सिंह भारी पुलिस बल के साथ तैनात थे। चारों ओर वाहनों की सघन चेकिंग हो रही थी। लोगों को पानी और खाने के लिए पूड़ी सब्जी समाजिक संस्थाओं और पुलिस के द्वारा दी जा रही थी।

भूख से तड़प रहे थे एक होटल में मिला 500 रुपये में दो प्लेट खाना

प्रतापगढ़ पट्टी से पैदल चलकर रविवार दोपहर बाराबिरवा चौराहे पर पहुंचे विशाल और सूरज थककर चूर हो चुके थे। आलम यह था कि एक कदम उनसे आगे नहीं बढ़ा जा रहा था। वह सड़क किनारे बैठ गए। यह देख चौराहे पर पुलिस बल के साथ चेकिंग कर रहे इंस्पेक्टर कृष्णानगर डीके उपाध्याय उनके पास पहुंचे और पूछा कैसे बैठे हो। कहां जाना है। इस पर वह रुंधे गले से बोले साहब निजामपुर पीलीभीत जाना है अब चला नहीं जा रहा है। बहुत जोर से भूख लगी है। यह सुनकर इंस्पेक्टर ने उन्हें पानी की बोतल और खाने के लिए पूड़ी-सब्जी खिलवाई और बिस्कुट के पैकेट दिए। दोनों ने बताया कि वह शनिवार तड़के प्रतापगढ़ से चले थे। कहीं उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला। रायबरेली से आगे आने पर एक होटल सड़क किनारे खुला था वहां रुके और खाना मांगा। होटल वाले ने दो प्लेट खाना दिया और उसने 500 रुपये मांगे। रुपये कुछ कम करने को कहा पर वह नहीं पसीजा। उसको भुगतान किया और फिर चल दिए। अब चला नहीं जा रहा है। इस दौरान वहां पर खड़े व्यवसायी मृत्युंजय सिंह ने उसकी कुछ आर्थिक मदद की। इंस्पेक्टर डीके उपाध्याय ने एक बस रुकवाकर दोनों को बिठाया और घर के लिए भेजा।

1400 किमी बाइक चलाकर पहुंचे लखनऊ, रास्ते में किसी ने रोका नहीं

महाराष्ट्र के घाटकोपर में एसी मैकेनिक का काम करने वाले रियाज अहदम और अकबर सिद्धार्थनगर बनके गांव के रहने वाले हैं। वह दोनों बाइक से घर के 15 मई को तड़के चले थे। नासिक से भोपाल, कानपुर के रास्ते लखनऊ पहुंचे। उन्होंने बताया कि रास्ते में खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी। जगह-जगह खाना और पानी मिल रहा था। बनी के पास बार्डर सील था। भारी पुलिस बल तैनात था पर उन्हें कहीं रोका नहीं गया। आलमबाग पहुंचकर दोनों रास्ता सिद्धार्थ नगर जाने का रास्ता पूछ रहे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.