यूपी में 69000 सहायक शिक्षक चयन फिर लटका, हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि हमारे विचार से प्रश्नपत्र का मूल्यांकन करने में त्रुटि हुई है जिसका खामियाजा बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा।
लखनऊ, जेएनएन। 69000 Assistant Teacher Recruitment : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाकर राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गत आठ मई को परीक्षा परिणाम घोषित करने संबधी नोटीफिकेशन पर रोक लगाई जाती है। साथ ही चयन की सारी अग्रिम प्रक्रिया अगला सुनवाई तक रुकी रहेगी। अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
यह आदेश जस्टिस आलोक माथुर की एकल पीठ ने सैकड़ों अभ्यर्थियों की ओर से अलग-अलग दाखिल ढाई दर्जन ने अधिक याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। सही विकल्पों की स्पष्टता के लिए कोर्ट ने फाइनल आंसर की (उत्तर कुंजी) से संबंधित अभ्यर्थियों की आपत्तियों को दस दिनों में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को भेजने का आदेश दिया है। यूजीसी के सचिव एक विशेषज्ञ पैनल का गठन कर, उक्त आपत्तियों पर दो सप्ताह में रिपोर्ट परीक्षा नियामक प्राधिकरण को भेजेंगे जो शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी।
याचिकाओं में आठ मई को जारी फाइनल आंसर की के कुछ उत्तरों पर आपत्ति जताई गई है। पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि प्रथमदृष्टया यह कोर्ट पाती है कि आंसर की में दिए गए कुछ उत्तर स्पष्ट तौर पर गलत हैं। कुछ ऐसे भी प्रश्न हैं जिनके उत्तर पूर्व की विभिन्न परीक्षाओं में वर्तमान आंसर की से अलग बताए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि हमारे विचार से प्रश्न पत्र का मूल्यांकन करने में त्रुटि हुई है जिसका खामियाजा बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा। स्वयं राज्य सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में स्वीकार किया है कि कुछ प्रश्न हैं जो विवादपूर्ण हैं और जिनके एक से अधिक उत्तर सही हो सकते हैं।
पीठ ने महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह व मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह की इस दलील को ठुकरा दिया कि भले ही कुछ प्रश्न व उत्तर विवादपूर्ण हैं किंतु, कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। ऐसे विवाद में परीक्षा प्राधिकरण की बात को माना जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि वैकल्पिक प्रश्नों में विवादपूर्ण प्रश्नों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्र, एचजीएस परिहार व सुदीप सेठ ने प्रश्नपत्र डी के प्रश्न नंबर 39, 70 ,130, 131, 137 व 143 में संदर्भित करते हुए कहा कि ये प्रश्न या तो भ्रमित करने वाले हैं या इनके एक से अधिक उत्तर हैं। उनका तर्क था कि यदि इन प्रश्नों के अंक याचियों को दे दिए जाएं तो वे मेरिट में स्थान पाकर चयनित हो सकते हैं। बताते चलें कि परीक्षा में सामान्य और ओबीसी के लिए 65 प्रतिशत एवं एससीएसटी के लिए 60 प्रतिशत की कटऑफ रखी गई थी। याचियों में कुछ एक, दो या तीन अंकों से मेरिट में आने से रह गए थे।
योगी सरकार को लगा झटका : उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के लिए 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनितों की सभी जिलों में काउंसिलिंग भी बुधवार को शुरू हो गई है। सभी जिलों में तीन से छह जून तक काउंसिलिंग के बाद संबंधित जिले से नियुक्ति पत्र भी जारी किये जाने हैं। ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लगाना सरकार और अभ्यर्थियों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। योगी सरकार नियुक्तियां पूरी करने में बहुत तत्परता दिखा रही थी। सरकार का मानना था कि इस कोरोना काल मे जल्द नियुक्तियां होने पर अनेकों अभ्यार्थियों को बहुत राहत मिलेगी।
8 मई को जारी हुई थी उत्तर कुंजी : बता दें कि सोमवार को जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने इस मामले में दाखिल ऋषभ मिश्रा व अन्य समेत कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग पांच घंटे चली सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने विवादित प्रश्नों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष भेजने व चयन प्रक्रिया रोकने के बिंदु पर आदेश सुरक्षित कर लिया था। 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में याचिकाकर्ताओं ने 8 मई को जारी उत्तर कुंजी में 13 सवालों के उत्तरों पर आपत्ति जताई है। याचियों का कहना है कि चार उत्तर तो बिल्कुल गलत हैं। उनका कहना है कि आपत्ति के संबंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
लिखित परीक्षा के 13 सवाल बने बाधा : परिषदीय स्कूलों के लिए 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के मामले में सरकार को झटका लगा है। योगी सरकार नियुक्तियां पूरी करने में बहुत तत्परता दिखा रही थी। सरकार का मानना था कि इस कोरोना काल मे जल्द नियुक्तियां होने पर अनेकों अभ्यार्थियों को बहुत राहत मिलेगी। इस बीच लिखित परीक्षा में पूछे गए 13 प्रश्नों के उत्तर को लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी गई। शिक्षक भर्ती परीक्षा में इन सवालों के जवाब को लेकर कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया...जानें कब क्या हुआ...
- परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 1 दिसंबर, 2018 को शासनादेश जारी।
- भर्ती के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज की ओर से 5 दिसंबर, 2018 को विज्ञप्ति प्रकाशित।
- 6 जनवरी, 2019 को लिखित परीक्षा का आयोजन।
- लिखित परीक्षा के लिए 431466 अभ्यर्थियों ने कराया रजिस्ट्रेशन, परीक्षा में शामिल हुए 409530 अभ्यर्थी।
- 7 जनवरी, 2019 को लिखित परीक्षा के उत्तीर्ण अंक के बारे में शासनादेश जारी। परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए सामान्य वर्ग के लिए 65% और आरक्षित वर्ग के लिए 60% अंक तय किए गए।
- शासनादेश को हाई कोर्ट में दी गई चुनौती।
- 29 मार्च, 2019 को हाई कोर्ट ने सामान्य वर्ग के लिए 45% और आरक्षित वर्ग के लिए 40% उत्तीर्ण अंक तय किया।
- इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में विशेष अपील दाखिल की।
- विशेष अपील की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने छह मई, 2020 को राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और तीन महीने में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया।
- 8 मई, 2020 को हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार लिखित परीक्षा का रिजल्ट जारी करने के बारे में शासनादेश जारी।
- हाई कोर्ट के आदेशानुसार राज्य सरकार ने 12 मई, 2020 को परीक्षाफल घोषित किया, जिसमें 146060 अभ्यर्थियों ने क्वालिफाई किया।
- लिखित परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए 13 मई, 2020 को शासनादेश जारी।
- 16 मई, 2020 को बेसिक शिक्षा परिषद को 69000 शिक्षकों की भर्ती की अनुमति देने के बारे में शासनादेश जारी।
- 18 मई से 28 मई 2020 तक चयनित अभ्यर्थियों से लिए गए ऑनलाइन आवेदन पत्र।
- प्राप्त आवेदन पत्रों की 27 से 31 मई के बीच जांच के बाद ऑफलाइन प्रोसेसिंग कर अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए जिले आवंटित किए गए।
- तीन से छह जून तक अभ्यर्थियों की जिलों में काउंसलिंग करने और उन्हें नियुक्ति पत्र आवंटित करने का कार्यक्रम तय हुआ।