लखनऊविद् योगेश प्रवीण को 81 तो वरिष्ठ नाटककार को 84 साल की उम्र में मिला पद्मश्री Lucknow News
लखनऊविद् योगेश प्रवीण को 81 साल की उम्र में मिला पद्मश्री हुए भावविभोर। बोले अब एक इच्छा और पुराने और नए शहर को अलग अलग कर दें गोमती पार बना दें लक्ष्मणपुरी।
लखनऊ, जेएनएन। 81 साल के लखनऊविद् योगेश प्रवीण मानो लखनऊ की जानकारियों को घोल कर पी चुके हों। इस शहर के और अवध क्षेत्र के इतिहास को लेकर आप कुछ भी पूछ लीजिए, योगेश प्रवीण तत्काल आपको विस्तृत जानकारी देंगे। उनको भारत सरकार ने जब शनिवार की रात पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की तो उन्होंने कहा कि बहुत बहुत शुक्रिया कि दिल्ली वालों ने आज लखनऊ को नवाजा। योगेश कहते हैं कि इस सम्मान का सालों से इंतजार था। इसके लिए वे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा का भी आभार व्यक्त करते हैं। योगेश प्रवीण की एक इच्छा है कि लखनऊ को अब दो शहर में बांटा जाए, पुराने शहर को लखनऊ रहने दिया जाए और गोमती पार लक्ष्मणपुरी नाम दे दिया जाए।
योगेश प्रवीण ने अपने दिल की बातें पुरस्कार घोषित किए जाने के बाद दैनिक जागरण से साझा कीं। उन्होंने बताया कि 1938 में उनका जन्म लखनऊ में ही हुआ। बीएससी के बाद हिंदी और संस्कृत से डबल एमए किया। वे मेडिकल के छात्र भी थे, मगर बीमार होने के बाद उन्होंने शिक्षक बनने की ठानी। ङ्क्षहदी बहुत अच्छी थी। इसलिए 1965 से 2002 तक विद्यांत हिंदू डिग्री कॉलेज में प्रवक्ता रहे। वरिष्ठ प्रवक्ता नंद कुमार शर्मा की प्रेरणा से उन्होंने साहित्य सृजन शुरू किया। उनका साहित्य मुख्य रूप से लखनवी और अवधी संस्कृति का आइना रही। कुल 25 किताबें लिखी। जिनमें से लखनऊनामा को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। लखनऊ की शायरी, अवधी कहानियां और अवधी शायरी जैसी अनेक महत्वपूर्ण रचनाएं की। अपराजिता उनका महाकाव्य है। बांसुरी कृष्ण पर आधारित कृति है। उन्होंने कहा कि उनके लेखन और बोलने के तरीके की तारीफ प्रख्यात साहित्यकार अमृत लाल नागर भी किया करते थे। योगेश प्रवीण बताते हैं कि वे लखनऊ से प्यार करते थे। इसलिए उन्होंने लखनऊ और अवध के बारे में बहुत जाना। जिसको वे अपनी बातों और रचनाओं में उतारते रहे।
सब कहते हैं बहुत पहले मिलना था पुरस्कार
वरिष्ठ नाटककार सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी दया प्रकाश सिन्हा को 84 साल की उम्र में सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा हुई। दया प्रकाश ने बताया कि नाटक लेखन के क्षेत्र में मेरा काम कैसा रहा ये मैं क्या बताऊं। पूरे देश में ही इसकी जानकारी की सकती है। इसी साल 15 नाटकों का संकलन नाट्य समग्र के नाम से प्रकाशित हो गया है। इस पुरस्कार का लंबे समय से इंतजार था, ये 84 साल की उम्र में जाकर मिला है। फिर भी मैं सरकार का शुक्रिया कहूंगा। वरिष्ठ नाटककार सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी दया प्रकाश सिन्हा को 84 साल की उम्र में सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की। डायरेक्टर कल्चरल अफेयर्स के पद से वे 1993 में सेवानिवृत्त हुए थे। हिंदी संस्थान के निदेशक की भूमिका भी निभायी। नाट्य लेखन, निर्देशन, अभिनय हर विधा को बखूबी निभाया।