निजी क्षेत्र से सुविधाएं जुटाएगा लखनऊ एयरपोर्ट, कई कंपनियों ने दिखाई रुचि
अहम निर्णय :दो साल पहले भी शुरू हुई थी निजीकरण प्रक्रिया, कौन-कौन सी सेवाएं जाएंगी निजी हाथों में, फिलहाल अभी तय नहीं।
लखनऊ (जेएनएन) । चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर ऑपरेशन प्रबंधन और विकास में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। गुरुवार को दिल्ली में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद लखनऊ एयरपोर्ट के निजीकरण का जिन्न एक बार फिर निकल आया। इससे पहले भी लखनऊ एयरपोर्ट के निजीकरण के आदेश दिए गए थे। तब भी कई कंपनियों ने रुचि दिखाई थी।
लखनऊ देश में सबसे तेजी से बढ़ते हुए ट्रैफिक वाला इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। इस एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या सालाना औसतन 22 प्रतिशत बढ़ रही है। यही कारण है कि कई बड़ी विमान कंपनियां लखनऊ को एक बड़े मार्केट के रूप में भी देखती हैं। रोजाना 75 घरेलू और 10 अंतरराष्ट्रीय विमान लखनऊ आते हैं। यहां से इतने ही प्लेन रवाना होते हैं।
लखनऊ एयरपोर्ट पर बन रहे टर्मिनल थ्री के बाद यहां रोजाना 200 विमान आ सकेंगे और इतने ही रवाना होंगे। टर्मिनल थ्री का निर्माण कार्य शुरू भी हो गया है जो कि वर्ष 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लखनऊ एयरपोर्ट पर ऑपरेशन और यात्री सुविधाओं के लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने का आदेश पहले वर्ष 2016 में दिया गया था। तब कई नामचीन कंपनियों ने लखनऊ एयरपोर्ट का सर्वे भी किया था। हालांकि, कर्मचारी संगठनों के विरोध और डीजीसीए की ओर से तय कुछ मानकों को लेकर निजी कंपनियों ने बाद में अपने हाथ खींच लिये थे। अब दोबारा लखनऊ एयरपोर्ट को निजी हाथ में सौंपने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। एयरपोर्ट के अधिकारियों के मुताबिक यहां कौन सी सेवाएं निजी हाथों को सौंपी जाएंगी, इसे लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है। कार्गो से लेकर ग्राउंड हैंडलिंग और पैसेंजर मार्केटिंग में निजी कंपनियों ने पिछली बार अपनी रुचि दिखाई थी। पीपीपी मॉडल के तहत एयरपोर्ट का विकास होगा।