लखनऊ में अब सांस लेना भी हुआ खतरनाक, AQI 352 रिकॉर्ड-हवा हुई जहरीली Lucknow News
धुंध व स्मॉग में लिपटा लखनऊ। प्रदूषण हुआ बेकाबू एक्यूआइ 352 रिकॉर्ड किया गया।
लखनऊ, जेएनएन। वायु प्रदूषण की रोकथाम के नाम पर बंद कमरों में होने वाली बैठकों व कागजी आदेशों व निर्देशों की पोल खुल गई है। अक्टूबर के आखिरी दिन शहर की हवा बेहद प्रदूषित हो गई। गुरुवार पोस्ट मानूसन सीजन का सबसे प्रदूषित शहर रहा। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 352 की खतरनाक रेंज में पहुंच गया। स्मॉग के चलते राजधानी में जहां हवा सांस लेने योग्य नहीं है। वहीं दृश्यता (विजीबिलिटी) घटकर एक किलोमीटर तक रह गई।
दीपावली के दूसरे दिन से एक्यूआइ में लगातार इजाफा हो रहा है। 28 अक्टूबर को एक्यूआइ 305 रिकॉर्ड किया गया था, जो चौथे दिन गुरुवार को बढ़कर 352 हो गया। एक्यूआइ 300 से अधिक होने पर लोगों को सांस संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। चिंताजनक यह है कि सोमवार से पहले प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद कम जताई जा रही है। दरअसल अरब सागर के ऊपर सर्कुलेशन बना हुआ है। इसके चलते आसमान पर बादल छाए हैं। यही नहीं, हवा भी बहुत धीमी है, जिसके चलते दीपावली पर जो पटाखों से प्रदूषण हुआ वह क्लियर नहीं हो पा रहा है। खेतों में पराली जलाने पर भी पूरी तरह से अंकुश नहीं लग सका है। साथ ही शहर मेंं हर तरफ सड़कें खुदी पड़ी है। इनसे दिनभर धूल उड़ती देखी जा सकती है।
नहीं दिख रहा फरमानों का असर
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बुधवार को एक बार फिर जिम्मेदार विभागों को जगाने का काम किया था, जिससे बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके, लेकिन इसका कोई असर गुरुवार को नहीं दिखा। लापरवाही का आलम यह है कि अलीगंज केंद्रीय भवन के पास केबिल डालने के लिए खोदी गई सड़क दस-पंद्रह दिन के बाद भी खुदी ही पड़ी है। सड़क बनाना तो दूर यहां मिट्टी समतल करने की जहमत नहीं उठाई गई है। शहर में यह स्थिति जगह-जगह देखी जा सकती है। यह स्थिति तब है, जब जिलाधिकारी मिकेनिकल सफाई किए जाने के आदेश दे चुके हैं ताकि सड़कों पर धूल न उड़े।
गाजियाबाद तीसरे दिन भी अव्वल
देश के सर्वाधिक शहरों की सूची में गाजियाबाद गुरुवार को भी अव्वल रहा। यहां एक्यूआइ 482 रिकॉर्ड किया गया। हापुड़ 477 के साथ दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा। चिंताजनक यह है कि वायु प्रदूषण के लिहाज से देश के टॉप दस शहरों की सूची में आठ यूपी के हैं। दिल्ली में एक्यूआइ बढ़कर 419 दर्ज किया गया। हालांकि यूपी की कई शहर प्रदूषण के मामले में दिल्ली से आगे रहे। ग्रेटर नोएडा में एक्यूआइ 473, मेरठ में 459, बुलंदशहर में 453, नोएडा 452, बागपत में 442, कानपुर में 432 व वाराणसी में 317 रिकॉर्ड किया गया।