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वित्तविहीन शिक्षक मुद्दे पर घमासान-कमल का फूल बहुत बड़ी भूल की गूंज

विधान परिषद में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तकरार हुई। आंदोलनकारियों का बहाना लेकर 'कमल का फूल, बहुत बड़ी भूल' नारा भी गुंजायमान हुआ।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 07:28 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 07:36 PM (IST)
वित्तविहीन शिक्षक मुद्दे पर घमासान-कमल का फूल बहुत बड़ी भूल की गूंज
वित्तविहीन शिक्षक मुद्दे पर घमासान-कमल का फूल बहुत बड़ी भूल की गूंज

लखनऊ (जेएनएन)। वित्तविहीन शिक्षकों का मानदेय बंद किये जाने और इसका विरोध करने पर राजधानी में उन पर लाठीचार्ज के मसले पर विधान परिषद में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तकरार हुई। आंदोलनकारियों का बहाना लेकर 'कमल का फूल, बहुत बड़ी भूल' नारा भी गुंजायमान हुआ। समाजवादी पार्टी के हंगामे के कारण प्रश्नकाल स्थगित रहा। वहीं लाठीचार्ज का शिकार विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी और संजय मिश्रा सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर दो बार सभापति के आसन के सामने बैठे। इस प्रकरण पर एक नजर आये विपक्षी दलों ने सत्ता पक्ष को जमकर घेरा। वहीं सरकार ने वित्तविहीन विद्यालयों के प्रबंधतंत्र द्वारा शिक्षकों का शोषण रोकने के बारे में सभी दलों से सुझाव मांगा। 

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सदन की कार्यवाही शुरू होते ही निर्दल समूह के उमेश द्विवेदी और सपा के संजय मिश्रा ने अखबारों की प्रतियां लहराते हुए मंगलवार को राजधानी में वित्तविहीन शिक्षकों पर हुए लाठीचार्ज का मुद्दा उठाया। उनके समर्थन में सपा के सदस्य वेल में आकर सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। इसकी वजह से सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित रही। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही उमेश द्विवेदी ने खड़े होकर बताना शुरू किया कि वित्तविहीन शिक्षकों पर शराब के नशे में धुत क्षेत्राधिकारी मोहनलालगंज और पुलिसकर्मियों ने बर्बरता से लाठीचार्ज किया। शिक्षकों की अगुआई करने पर उन्हें और एमएलसी संजय मिश्रा को पीटा।

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जवाब में नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि आपने अखिलेश सरकार से वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय जारी करने का जो शासनादेश जारी कराया उसमें लिखा है कि इस व्यवस्था को भविष्य के लिए दृष्टांत नहीं माना जाएगा। आपने तो शिक्षकों के लिए भविष्य के रास्ते बंद करा दिए। उन्होंने सपा सदस्यों को याद दिलाया कि 2012 में सपा सरकार में टीईटी अभ्यर्थियों पर राजधानी में दो बार लाठीचार्ज हुआ था। वित्तविहीन शिक्षकों का शोषण रोकने के लिए उन्होंने सभी दलों से सुझाव मांगे ताकि उन पर विचार कर नियमावली बनायी जा सके। इस पर सपा एमएलसी संजय मिश्रा ने कहा कि यह सरकार 1.92 लाख वित्तविहीन शिक्षकों के पेट पर लात मार रही है। शिक्षक कह रहे हैं कि 'कमल का फूल, बहुत बड़ी भूल।' नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने यह कहते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की कि जिस समाजवादी पेंशन योजना को उसने बंद कर दिया, उसके शासनादेश में कहां लिखा है कि यह भविष्य के लिए दृष्टांत नहीं होगी।

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बसपा के नेता सुनील चित्तौड़ ने कहा कि वित्तविहीन शिक्षकों का मानदेय रोक कर सरकार बुजदिली दिखा रही है।कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह और अंबिका चौधरी ने कहा कि शासनादेश की एक लाइन की दुहाई देकर अपना बचाव कर रही सरकार चाहे तो चुटकियों में शासनादेश बदल सकती हैै। वहीं शिक्षक दल के ओम प्रकाश शर्मा और निर्दल समूह के चेत नारायण सिंह ने कहा कि अंशकालिक मान्यता की व्यवस्था खत्म करने पर ही इस समस्या का समाधान होगा। सभापति रमेश यादव ने सरकार को इस मामले में गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया। 


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