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आधार व एनआइसी सॉफ्टवेयर में सेंध लगा लूटा सरकारी राशन

प्रदेश के 43 जिलों में करीब दो हजार राशन दुकानों के जरिये 1.86 लाख से अधिक परिवारों का करीब 12 करोड़ रुपये का राशन बाजार में बेचे जाने का पता लगा चुका है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 12:47 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 12:47 PM (IST)
आधार व एनआइसी सॉफ्टवेयर में सेंध लगा लूटा सरकारी राशन
आधार व एनआइसी सॉफ्टवेयर में सेंध लगा लूटा सरकारी राशन

लखनऊ [अमित मिश्र]।फर्जी राशन कार्डों के सहारे कालाबाजारी करने वाले घोटालेबाजों ने अब फुलप्रूफ समझे जाने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के एनआइसी के सॉफ्टवेयर और आधार लिंकेज प्रणाली में ही सेंध लगा दी है। अकेले पिछले महीने जुलाई की जांच में खाद्य रसद विभाग व एनआइसी अब तक प्रदेश के 43 जिलों में करीब दो हजार राशन दुकानों के जरिये 1.86 लाख से अधिक परिवारों का करीब 12 करोड़ रुपये का राशन बाजार में बेचे जाने का पता लगा चुका है।

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सरकारी राशन के इस नए घोटाले ने विभाग में अफरातफरी मचा दी है। खाद्य आयुक्त आलोक कुमार ने सभी जिलापूर्ति अधिकारियों को पत्र जारी कर इसमें शामिल लोगों का पता लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बड़े पैमाने पर कोटेदारों व अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की भी तैयारी है। खाद्य आयुक्त ने अधिक गड़बड़ी वाले आधा दर्जन से अधिक जिलों के जिलाधिकारियों से सक्रियता बरत कर दोषियों को पकडऩे का अनुरोध किया है। आयुक्त ने बताया कि उपभोक्ता के राशन कार्ड से लिंक आधार नंबर को कुछ देर के लिए बदल कर उसके हिस्से का खाद्यान्न चोरी किया जा रहा था।

कंप्यूटर पर बैठे ऑपरेटर उपभोक्ता के कार्ड के साथ जुड़े आधार नंबर को हटाकर नया आधार नंबर लिंक कर रहे थे, जबकि पूर्ति निरीक्षक और कोटेदार नए आधार वाले व्यक्ति के अंगूठे का निशान लेकर खाद्यान्न जारी करा रहे थे। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद उपभोक्ता का असल आधार नंबर फिर से पहले की तरह लिंक कर दिया जाता था। बाद में कंप्यूटर पर देखने में यही दिखता था कि उपभोक्ता ने अंगूठे का निशान लगाकर राशन लिया है। तकनीक में सेंध लगाकर राशन चोरी के अपनी तरह के पहले इस मामले से आपूर्ति विभाग सीखने की भी कोशिश कर रहा है कि भविष्य में ऐसा और क्या किया जाए, जिससे इस घोटाले का दोहराव न होने पाए।

इन पर है शक

खाद्य एवं रसद विभाग ने तीन निजी कंपनियों को प्रदेश में एनआइसी सॉफ्टवेयर के जरिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के संचालन का जिम्मा सौंपा है। अधिकारियों को आशंका है कि इन निजी कंपनियों के ऑपरेटरों के साथ विभाग के निरीक्षक व अधिकारी शामिल हैैं, क्योंकि एनआइसी के सॉफ्टवेयर में बदलाव का लॉगइन व पासवर्ड इन लोगों के ही पास रहता है। कोटेदारों को भी इस गोरखधंधे में शामिल माना जा रहा है।

अब बदल दिया सिस्टम

यह घोटाला सामने आते ही खाद्य रसद विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के सॉफ्टवेयर में दखल के अधिकार सीमित कर दिए हैैं। खाद्य आयुक्त आलोक कुमार ने बताया कि अब तक रियल टाइम बेसिस पर सॉफ्टवेयर में किसी भी समय बदलाव किया जा सकता था, जबकि अब महीने की पांच तारीख को डाटा फ्रीज किया जा रहा है। इससे महीने के बीच में किसी के भी द्वारा डाटा में बदलाव संभव नहीं हो सकेगा। उन्होंने बताया कि घोटाले से निपटने के लिए फिलहाल हर महीने की पांच तारीख को डाटा फ्रीज करने का ही उपाय अपनाने का निर्णय लिया गया है।

इन जिलों में लुटता रहा राशन

इलाहाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, कानपुर नगर, बिजनौर, आगरा, मुरादाबाद, लखनऊ, सहारनपुर, गाजीपुर, अमरोहा, वाराणसी, फतेहपुर, जालौन, फीरोजाबाद, मऊ, कन्नौज, बरेली, इटावा, हाथरस, बागपत, मीरजापुर, रायबरेली, मैनपुरी, ललितपुर, औरैया, मथुरा, शामली, बुलंदशहर, अलीगढ़, सुलतानपुर, गोंडा, हापुड़, कासगंज, बहराइच, संत रविदासनगर, रामपुर, आजमगढ़, कानपुर देहात, बलरामपुर व हमीरपुर।

859 आधार नंबरों का 1.86 लाख बार इस्तेमाल

चौंकाने वाली बात है कि 43 जिलों में 859 आधार नंबरों का कुल 1,86,737 बार इस्तेमाल हुआ लेकिन, एनआइसी का सॉफ्टवेयर इसे नहीं पकड़ सका। इसमें सबसे अधिक गड़बड़ी इलाहाबाद में पाई गई। वहां 107 आधार नंबर 37,574 बार प्रयोग किए गए, जबकि मेरठ में भी 108 आधार नंबरों का 27,324 बार इस्तेमाल कर खाद्यान्न निकाला गया। इसी तरह मुजफ्फरनगर में 64 आधार नंबरों का 19,795 बार, गाजियाबाद में 69 आधार नंबरों का 16,568 बार और लखनऊ में 24 आधार नंबरों का 4794 बार इस्तेमाल किया गया।


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