Mission 2024: अब जिले-जिले जातियों की गोट सजाएंगे राजनीतिक दल, लोकसभा चुनाव के लिए बनाई रणनीति
Lok Sabha elections 2024 प्रदेश अध्यक्ष तय करने में सबसे अधिक मंथन भाजपा और कांग्रेस ने किया। भाजपा ने चौंकाने वाला निर्णय करते हुए पहली बार प्रदेश संगठन की कमान जाट बिरादरी के भूपेंद्र सिंह चौधरी को सौंपी। कांग्रेस ने दलित कार्ड चलकर बृजलाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
Lok Sabha elections 2024: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में कोई परिवर्तन नहीं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए खूब मंथन कर अपनी रणनीति के हिसाब से प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिए। अब प्रदेश स्तर पर तीन दलों की कमान पिछड़ों और एक की दलित के हाथ में है। अब बारी निचले स्तर पर संगठन खड़ा करने की है। स्थानीय जातीय समीकरणों को देखते हुए भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल अपनी गोट बिछाने की तैयारी में हैं। यथासंभव यह परिवर्तन निकाय चुनाव के बाद होंगे।
भाजपा ने भूपेंद्र सिंह चौधरी को सौंप दायित्व
प्रदेश अध्यक्ष तय करने में सबसे अधिक मंथन भाजपा और कांग्रेस ने किया। भाजपा ने चौंकाने वाला निर्णय करते हुए पहली बार प्रदेश संगठन की कमान जाट बिरादरी के भूपेंद्र सिंह चौधरी को सौंपी। इससे पहले माना जा रहा था कि भाजपा पिछले लोकसभा चुनावों की तरह ब्राह्मण नहीं तो बसपा के पाले से दलित वोट को खींचने के लिए दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है, लेकिन पार्टी ने अन्य क्षेत्रों की अपनी मजबूती का आकलन करते हुए पश्चिम का दुर्ग संभालने की रणनीति के तहत सपा-रालोद गठबंधन को बेअसर करने के लिए भूपेंद्र सिंह चौधरी को यह दायित्व सौंप दिया।
सपा और कांग्रेस ने भी चला दांव
भाजपा के बाद सपा ने सर्वाधिक आबादी वाले पिछड़ा वर्ग काे साधने के लिए नरेश उत्तर पटेल को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बरकरार रखने का निर्णय किया। बसपा ने पहले से अति पिछड़ा वर्ग के भीम राजभर को पद सौंप रखा है। ऐसे में कांग्रेस ने दलित कार्ड चलकर बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया तो नया प्रयोग करते हुए जातीय संतुलन बनाने की मंशा से ही छह प्रांत बनाकर नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे, योगेश दीक्षित, अनिल यादव, अजय राय और वीरेंद्र चौधरी को प्रांतीय अध्यक्ष बना दिया। इनमें दो ब्राह्मण, एक भूमिहार, एक मुस्लिम और दो पिछड़ा वर्ग से हैं। इस तरह प्रदेश की टीम तो सभी दलों ने तैयार कर ली और अब यही रणनीति जमीनी स्तर पर भी चलने की तैयारी है।
निकाय चुनाव के परिणामों के आधार पर समीक्षा
अभी सभी पार्टियां निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। संभव है कि इसके परिणामों के आधार पर ही समीक्षा करते हुए नए सिरे से क्षेत्र और जिलों में संगठन की नई टीम खड़ी की जाएगी। इसमें क्षेत्रीय प्रभाव को देखते हुए जातियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए जिला और महानगर इकाइयों के अध्यक्ष, महामंत्री आदि नियुक्त किए जाएंगे। उससे पहले प्रदेश की टीम में भी बदलाव होने हैं। उसमें भी पार्टियों का यह प्रयास दिखना तय है।
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