विलय में देरी से फंसा लोहिया संस्थान का ट्राॅमा सेंटर
लोहिया अस्पताल व संस्थान के विलय की प्रक्रिया सुस्त गति से चल रही, दोनों ओर सिर्फ रुटीन काम ही हो पा रहे, नए निदेशक की नियुक्ति भी बड़ा कारण।
लखनऊ, जेएनएन । डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल व आयुर्विज्ञान संस्थान के विलय की प्रक्रिया बेहद सुस्त गति से चल रही है। ऐसे में अस्पताल व संस्थान में कोई नई योजना ढंग से लागू नहीं हो पा रही है, सिर्फ रुटीन का काम ही चल रहा है। बीते 24 अप्रैल को राज्य सरकार ने विलय की घोषणा की थी। करीब आठ महीने बीतने के बावजूद अभी तक विलय की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। विलय न होने के चक्कर में लोहिया संस्थान द्वारा बनाए जाने वाला ट्रामा सेंटर भी नहीं बन पा रहा है। उधर, नए निदेशक की भर्ती के लिए 20 दिसंबर तक आवेदन मांगे गए हैं। अभी तक 50 आवेदन आ चुके हैं। इसमें केजीएमयू के कई प्रोफेसर दावेदार हैं।
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. दीपक मालवीय ने बताया कि विलय के तत्काल बाद ट्रामा सेंटर का काम तेजी से होगा। इमरजेंसी सुविधाओं में इजाफा किया जाएगा। उधर डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि उन्होंने बीती पांच दिसंबर को प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ को अस्पताल में मौजूद डॉक्टर व स्टॉफ के बारे में जानकारी जन्मतिथि व वेतनमान सहित दे दी है। इसमें से लोहिया संस्थान जो डॉक्टर व स्टॉफ अपने साथ रखने का विकल्प देगा। लोहिया अस्पताल में 43 एमडी व एमएस डॉक्टर हैं। 48 एमबीबीएस, एमडी व बीडीएस डिग्री धारी डॉक्टर, तीन चीफ फार्मासिस्ट, 20 फार्मासिस्ट, दस एक्सरे टेक्नीशियन, 18 लैब टेक्नीशियन, सात ईसीजी टेक्नीशियन, 21 सिस्टर व 20 स्टॉफ नर्स के साथ-साथ 337 संविदा कर्मचारी हैं। फिलहाल विलय के बाद सुपरस्पेशियलिटी और इमरजेंसी सेवाओं में इजाफा करने पर जोर दिया जा रहा है।