Lockdown-2 में छोटी सी चूक पड़ेगी बहुत भारी, 19 दिन आर या पार की लड़ाई
Lockdown-2 in Lucknow केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत की एक रिपोर्ट।
लखनऊ [डॉ. सूर्यकांत]। Lockdown-2 in Lucknow: चीन की वुहान मांस मंडी से निकला कोरोना वायरस आज दुनिया को गंभीर चुनौती दे रहा है। इससे उत्पन्न बीमारी का न तो कोई प्रभावी उपचार है, न ही कोई वैक्सीन। दुनियाभर में एक ही उपाय है, लॉकडाउन। भारत में लॉकडाउन का प्रथम चरण 21 दिन का था और इसके पूरे होने पर 10 हजार लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं।
केंद्र सरकार का दावा है कि अगर यह लॉकडाउन न होता तो यह संख्या आठ लाख के करीब होती। भारत ने जब कोरोना के खिलाफ लड़ाई शुरू की तो इस वायरस की जांच के लिए पूरे देश में सिर्फ एक लैब थी, जिसका विस्तार होते हुए लॉकडाउन के पहले चरण के अंतिम दिन यह संख्या 220 हो गई। इसी दौरान कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या भी एक लाख के पार हो गई। केंद्र सरकार ने गरीबों को राहत प्रदान करने के लिए एक लाख 70 हजार करोड़ का विशेष पैकेज दिया। कम्युनिटी किचन के जरिये भोजन की व्यवस्था की गई लेकिन ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन के पहले चरण में सबकुछ अच्छा ही रहा।
कहीं सरकार की तैयारी में कमी दिखी तो कहीं जनता की भागीदारी में भी कमी नजर आई। दुनिया के 212 देश कोरोना संक्रमण से प्रभावित हैं और इनमें से प्रमुख देश बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग कर रहे हैं। भारत में उतनी टेस्टिंग लॉकडाउन के पहले चरण में नहीं हो सकी। जिस पैमाने पर वेंटिलेटर, पीपीई किट, मास्क और अन्य चिकित्सीय व्यवस्थाएं होनी चाहिए, उतनी नहीं जुटाई जा सकीं। जनता का सहयोग भी अपेक्षानुसार नहीं रहा। लोगों ने अपनी अंतरराष्ट्रीय यात्रओं को छिपाया। एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनिंग नहीं कराई। शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया। बीमारी के लक्षण होने पर आगे आकर जांच नहीं कराई। जांच में सहयोग नहीं दिया। चिकित्साकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों, पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों पर हमले हुए। उन पर थूका गया। उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। महिलाकर्मियों के साथ अश्लील हरकतें की गईं।
अब लॉकडाउन का दूसरा चरण बुधवार से प्रारंभ होने वाला है। यह 19 दिन का है और इस चरण में आर या पार की लड़ाई लड़ी जानी है। इसमें सरकार और शासन-प्रशासन के साथ जनता की जिम्मेदारी भी बहुत महत्वपूर्ण रहने वाली है। किसी भी दृष्टि से इस लॉकडाउन-2 में कहीं से भी हमने जरा सी भी चूक की तो हम सीधे बर्बादी की अंधी गली में उतर जाएंगे।
शासन और प्रशासन द्वारा बड़ी संख्या में अस्पताल, आइसीयू, क्वारंटाइन और आइसोलेशन की सुविधा जुटानी होगी। इस लड़ाई में सबसे आगे जान हथेली पर रखकर काम करने वाले चिकित्साकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों, सफाईकर्मियों, मीडिया और पुलिसकर्मियों को आवश्यकता की चीजें मुहैया करानी होंगी और उनको सुरक्षा भी प्रदान करनी होगी। जांच की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ानी होगी। लॉकडाउन का संपूर्ण पालन हो। इसके लिए कड़ी निगरानी और मॉनीटरिंग करनी होगी। जनता को भी पूरे अनुशासन के साथ लॉकडाउन के नियमों का पालन करना होगा क्योंकि एक संक्रमित व्यक्ति से अगर लॉकडाउन का पूरा पालन होता है तो केवल दो से तीन व्यक्तियों के संक्रमित होने का ही खतरा रहता है और अगर इसका पालन न किया जाए तो यह संख्या 200 के पार हो जाती है।