UP Civic Polls Result 2017: नगर पंचायत और पालिका परिषद में निर्दलीयों का परचम
बड़े शहरों में भले ही भाजपा का परचम लहरा रहा हो लेकिन कस्बों व छोटे शहरों में निर्दलीय ही भारी रहे। निर्दलीय प्रत्याशियों ने कई राजनीतिक दलों से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।
लखनऊ (जेएनएन)। बड़े शहरों में भले ही भाजपा का परचम लहरा रहा हो लेकिन कस्बों व छोटे शहरों में निर्दलीय ही भारी रहे। इस बार के निकाय चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे इसके बावजूद छोटे शहरों के मतदाताओं ने निर्दलीयों पर ही भरोसा जताया है। नगर पंचायतों में सबसे ज्यादा सीटें निर्दलीयों के खाते में आई हैं। नगर पालिका परिषद में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने कई राजनीतिक दलों से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।
नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों से साफ है कि छोटे कस्बों में मतदाताओं ने राजनीतिक दलों से ज्यादा तवज्जो व्यक्तिगत संबंधों को दिया है। इस बार निर्दलीयों की इतनी अधिक संख्या में जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चुनाव में सभी राजनीतिक दल अपनी किस्मत आजमा रहे थे। वर्ष 2012 के चुनाव में केवल भाजपा व कांग्रेस ही सिंबल पर चुनाव लड़ी थीं। सपा व बसपा पिछले चुनाव में उतरी थीं। नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के 438 पदों में 41 प्रतिशत से अधिक पदों पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है। इसी प्रकार यदि सदस्यों पर नजर डाली जाए तो लगभग 70 फीसद पद निर्दलीयों के खाते में गए हैं।
नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद पर दूसरे नंबर पर भाजपा रही। इसे करीब 24 फीसदी पद मिले हैं। तीसरे नंबर पर सपा रही। इसे 20 प्रतिशत पद मिले हैं। नगर पंचायतों में बसपा को 11 प्रतिशत पद मिले हैं। कांग्रेस की भी हालत पतली है। इसे मात्र चार फीसद पद मिले हैं। नगर पालिका परिषद में भी सदस्यों के करीब 65 प्रतिशत पद निर्दलीयों की झोली में गए हैं। अध्यक्ष पद पर भी 23 प्रतिशत से अधिक पर निर्दलीयों के कब्जा जमाया है। वहीं, नगर निगम में भी 17 फीसद पार्षद के पदों पर निर्दलीय जीते हैं।