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UP Panchayat Election Result 2021: भाजपा व सपा पर भारी पड़े निर्दलीय, बसपा तीसरा कोण बनाने में जुटी

UP Panchayat Election Result 2021 यूपी में 75 जिला पंचायत अध्यक्ष और 826 ब्लाक प्रमुखों का चुनाव हुआ है। कुल निर्वाचित 3050 जिला पंचायत सदस्यों में से भाजपा और सपा लगभग बराबरी की संख्या पर दिख रहे हैं परंतु निर्दल सदस्यों की संख्या अधिक है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 10:05 AM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 07:39 AM (IST)
UP Panchayat Election Result 2021: भाजपा व सपा पर भारी पड़े निर्दलीय, बसपा तीसरा कोण बनाने में जुटी
जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान तथा ग्राम पंचायत सदस्य के पद के लिए मतदान हुआ था।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में गांव की सरकार बनाने के लिए मतगणना अभी पूरी नहीं हो सकी है। कहीं पर किसी प्रत्याशी को अपने परिणाम का इंतजार है तो कहीं पर रीकाउंटिंग का पेंच फंसा है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में भी प्रदेश में चार चरणों में सम्पन्न मतदान के बाद रविवार से शुरू हुई मतों की गिनती अभी भी पूरी नहीं हो सकी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान तथा ग्राम पंचायत सदस्य के पद के लिए मतदान हुआ था।

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उत्तर प्रदेश में 75 जिला पंचायत अध्यक्ष और 826 ब्लाक प्रमुखों का चुनाव हुआ है। कुल निर्वाचित 3050 जिला पंचायत सदस्यों में से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी लगभग बराबरी की संख्या पर दिख रहे हैं परंतु निर्दल सदस्यों की संख्या अधिक है। बहुजन समाज पार्टी भी पंचायत चुनाव में तीसरी ताकत बनने में सफल रही है। सपा नेतृत्व दावा कर रहा है कि तीन दर्जन से अधिक जिला पंचायतों में सपा का पलड़ा भारी है। इसी तरह ब्लाकों में भी समाजवादी दबदबा बना है। दूसरी भाजपा नेतृत्व ने समाजवादी दावे को खारिज करते हुए कहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख चुनाव में पता चलेगा कि कौन किस पर भारी है।

चार पदों के लिए पंचायत चुनाव में भाजपा के समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने भी ताकत झोंकी है। ऐसे में पंचायत चुनाव को ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी के बढ़ते-घटते जनाधार के तौर पर देखा जा रहा था। फिलहाल, अब तक जो परिणाम हैं। वह भाजपा के लिए अच्छे नहीं हैं। पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के पद पर राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से किसी को भी पार्टी सिंबल नहीं दिया गया है। इस पद के अधिकांश नतीजे आ चुने हैं, जिसमें सत्ता पर काबिज भाजपा ने बढ़त बना रखी है जबकि उसको समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है। बहुजन समाज पार्टी ने भले ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन कांग्रेस का तो पत्ता ही गोल दिख रहा है। निर्दलीय तथा बागी प्रत्याशियों ने भी अपनी ताकत दिखाई है। जिसके कारण अनके दिग्गजों को शिकस्त झेलनी पड़ी है।

अयोध्या के बाद भाजपा को काशी व मथुरा में भी झटका: गांव की सरकार बनाने के चुनाव को विधानसभा 2022 के सेमीफाइनल के रूप में भी देखा जा रहा है। भाजपा को इस बार चुनाव में अयोध्या के बाद पीएम नरेंद्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी और भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भी हार का सामना करना पड़ा है। अयोध्या में समाजवादी पार्टी ने 40 में से 24 सीटों पर कब्जा जमाया। यहां पर भाजपा के खाते में सिर्फ छह सीट आई हैं। बसपा को पांच सीट मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिला पंचायत सदस्य की 40 सीटों पर समाजवादी पार्टी के 14 प्रत्याशी जीते हैं। भाजपा को सिर्फ आठ पर संतोष करना पड़ा है। मथुरा में बसपा ने 12 उम्मीदवारों के जीतने का दावा किया है। भाजपा के खाते में 9 सीट हैं जबकि समाजवादी पार्टी को एक सीट मिली है। यहां पर तीन निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। कांग्रेस साफ है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र और राजधानी लखनऊ में जिला पंचायत की 25 सीटों के परिणाम आ चुके हैं। इनमें समाजवादी पार्टी को दस, बसपा को चार, भाजपा को तीन और अन्य को आठ सीट मिली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर की 68 सीट में से भाजपा ने 20 व समाजवादी पार्टी ने 19 सीट जीती है। सर्वाधिक 21 पदों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे हैं। बसपा को दो और कांग्रेस, आप व निषाद पार्टी ने एक-एक सीट जीती है। 

रायबरेली में राजनीतिक दलों से आगे निर्दलीय, सपा व कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ा: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों के चुनाव में जनता ने निर्दलीयों पर अधिक भरोसा जताया है। 52 जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में 708 ने भाग्य आजमाया था। इसमें भाजपा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व बसपा के अधिकृत प्रत्याशी भी थे। इन सभी के बीच 19 निर्दलीयों ने बाजी मारी है। अब यही सब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहेंगे। सोनिया गांधी की संसदीय क्षेत्र रायबरेली मेंजिला पंचायत सदस्य चुनाव में भाजपा अपना असर नहीं दिखा सकी। यहां से भाजपा के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का बीते दस वर्ष से अध्यक्ष के पद पर कब्जा था। भाजपा को छोड़ दें तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का दबदबा कायम रहा। समाजवादी पार्टी  14 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। कांग्रेस के 10 जिला पंचायत सदस्यों ने जीत दर्ज की है। भाजपा सिर्फ 09 सीट पर सिमट गई। भाजपा ने सभी 52 जिला पंचायत सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। रायबरेली में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने के साथ ही सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लडऩे वाले एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की अनुज वधु सुमन सिंह जिला पंचायत का चुनाव हार गईं। हरचंदपुर तृतीय से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व भाजपा प्रत्याशी सुमन सिंह को सपा की शिवदेवी ने हराया। दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर दस वर्ष से कब्जा है। इस बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

इटावा में समाजवादी पार्टी का दबदबा: समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले इटावा में भले ही पार्टी का सांसद न हो, लेकिन पार्टी ने गांव की सरकार के गठन में बाजी मार ली है। समाजवादी पार्टी ने इटावा में जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में 24 में से 18 सीट पर जीत दर्ज की है। भाजपा ने दो सीट जीतने में सफलता प्राप्त की है जबकि बसपा के खाते में एक सीट आई है। यहां पर तीन निर्दलीय भी जीते हैं।

बागपत में राष्ट्रीय लोकदल का कमाल: जिला पंचायत के चुनाव में बागपत में राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशियों ने जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में सत्ता पर काबिज भाजपा के साथ अन्य दलों को भी चौंका दिया है। यहां की 20 सीट में से राष्ट्रीय लोकदल ने आठ में जीत दर्ज की है। भाजपा व सपा ने चार-चार सीट जीती है जबकि बसपा ने खाता खोला है। तीन अन्य सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं।

रामनगरी अयोध्या में भाजपा को झटका: रामनगरी अयोध्या में समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दी है। यहां पर 40 सीटों में से समाजवादी पार्टी ने 22 पर जीत दर्ज की है। इसके साथ ही सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के सीट पर दावा ठोक दिया है। भारतीय जनता पार्टी यहां आठ सीट पर ही सिमट गई है जबकि चार सीट पर बसपा के प्रत्याशी जीते हैं। यहां पर निर्दलीय छह सीट पर जीते हैं।

बलिया में राम गोविंद चौधरी को झटका: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को बलिया की जनता ने निराश किया है। बलिया में उनके बेटे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गए हैं। रामगोविंद के पुत्र रंजीत चौधरी वार्ड 16 से चुनाव हार गए हैं। उन्हेंं बसपा समर्थित प्रत्याशी असगर ने 1896 वोट से हराया। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राघवेंद्र सिंह वार्ड 12 तथा एक और पूर्व जिलाध्यक्ष सच्चिदानन्द तिवारी वार्ड 17 से चुनाव हारे हैं। यहां भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष देवेंद्र यादव वार्ड 10 से चुनाव हारे हैं तो पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी के लिए राहत की खबर है। उनके पुत्र आनन्द चौधरी वार्ड 44 से जीते हैं। इसके साथ सपा के जिलाध्यक्ष राजमंगल यादव की पत्नी रंजू देवी वार्ड 42 से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई हैं।

लखनऊ में हारीं भाजपा की रीना चौधरी: लखनऊ में ही मोहनलालगंज से दो बार सांसद रही भाजपा की प्रत्याशी रीना चौधरी को शिकस्त झेलनी पड़ी है। जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर काबिज होने की उम्मीद से उतरीं भाजपा प्रत्याशी रीना चौधरी को हार का सामना करना पड़ा। चौधरी को समाजवादी पार्टी समर्थित पलक रावत ने वार्ड 15 से शिकस्त दी है। रीना चौधरी को 2099 वोट से हार मिली है। लखनऊ में जिला पंचायत सदस्य के 25 पद हैं। यहां भाजपा को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, प्रधान और ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य पदों के 12 लाख 89 हजार 930 प्रत्याशी उतरे थे। सोमवार रात तक प्रदेश के सभी जिलों में 2,32,6,12 ग्राम पंचायत सदस्य और 38,317 प्रधान एवं 55,926 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 181 जिला पंचायत सदस्य जीत चुके हैं। अभी 826 मतदान केंद्रों पर मतगणना हो रही है। उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिकृत रूप से अभी जिला पंचायत सदस्य के 3051 पदों के लिए 181 पदों पर ही परिणाम घोषित किया है। इसके विपरीत लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य की 918 सीटें जीतने और 557 सीटों पर निर्णायक बढ़त का दावा किया है। 


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