सुनो बच्चो! बुलाती हैं यूपी की यूनिवर्सिटी
दैनिक जागरण राज्य के विश्वविद्यालयों के बारे में एक ऐसी अनूठी शृंखला आरंभ करने जा रहा है जो वहां की शिक्षा, खेल और हास्टल आदि के बारे में पाठकों की हर जिज्ञासा शांत कर सकेगी।
लखनऊ [आशुतोष शुक्ल]। कई प्रधानमंत्री देने वाला राज्य, अवतार भूमि, बुद्ध और महावीर की कर्मस्थली, गंगा-यमुना और भक्ति आंदोलन का उर्वर मैदान, ताजमहल और लखनवी तहजीब की जमीन, काशी की अदम्य सांस्कृतिक चेतना जिसकी रसधार, सांसदों और विधायकों का संख्याबल जिसकी राजनीतिक शक्ति, उस उत्तर प्रदेश का युवा यदि पढऩे के लिए दूसरे राज्यों में जाने को विवश है तो बच्चों व उनके अभिभावकों का तो यह दुर्भाग्य है ही...राज्य के लिए भी संकेत शुभ नहीं।
ऐसा भी नहीं कि यूपी में रोजगार की बहुत कमी है। एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के मुताबिक ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में राज्य में केवल लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों में साढ़े आठ लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए। 2009 से 2014 के बीच यूपी के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश वृद्धि केरल के बाद देश में दूसरे नंबर पर रही। अन्य कई उपलब्धियां भी यूपी के खाते में हैं, फिर भी क्या बात है जो इस प्रदेश के बच्चे पढऩे के लिए दूसरे राज्य जा रहे।
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अपने सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध दैनिक जागरण ने यूपी की इस विडंबना को समझते हुए यह जानने की कोशिश की कि क्या वास्तव में आबादी में देश में सबसे बड़े और क्षेत्रफल में चौथे नंबर के राज्य में पढ़ाई इतनी निम्न स्तरीय है कि बच्चों को विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए भी अन्य प्रदेशों का मुंह देखना पड़े। लिहाजा, हमने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कालेज प्राचार्यों से संपर्क किया, उनका पक्ष जाना। बातचीत का नतीजा निकला कि सभी विश्वविद्यालयों में अलग-अलग विषयों की पढ़ाई बहुत अच्छी होती है पर इस बारे में उनके शहर या अधिक से अधिक उस अंचल के बाहर बहुत जानकारियां नहीं।
राजनीतिक अतिवाद की छाया ने सभी सकारात्मक बातों को मानो ढंक लिया है। इस निष्कर्ष ने हमें उद्वेलित किया और तब एक ऐसा अभियान चलाने का निश्चय हुआ जो उत्तर प्रदेश वासियों को यह बता सके कि अमुक विश्वविद्यालय में अमुक विषय की पढ़ाई इतनी अच्छी होती है कि आपको अपने बच्चे को दूर किसी और राज्य में पढऩे भेजने और अपनी मेहनत की कमाई को यूं खर्च करने की जरूरत नहीं।
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इसलिए शनिवार 11 जून के अंक से दैनिक जागरण राज्य के विश्वविद्यालयों के बारे में एक ऐसी अनूठी शृंखला आरंभ करने जा रहा है जो वहां की शिक्षा, खेल और हास्टल आदि के बारे में पाठकों की हर जिज्ञासा शांत कर सकेगी। कुलपति या बड़े कालेजों के प्राचार्य अपनी बात कहेंगे, बताएंगे कि क्यों उनका विश्वविद्यालय खास है और क्यों दूर दराज के शहरों के बच्चों को भी उनके यहां पढऩे आना चाहिए। वे कौन से लोग हैं जो उनके यहां से पढ़कर निकले और अपने-अपने क्षेत्रों में प्रसिद्ध हुए।
एक दिन-एक विश्वविद्यालय।