आलू को झुलसा रोग से बचा लेगी हल्की सिंचाई , खेतों के पश्चिमी हिस्से में आग जलाने की सलाह
आलू की खेती के लागत और झुलसा से संभावित भारी क्षति के मद्देनजर किसानों को तुरंत रोकथाम करनी चाहिए। वरना 2-3 दिन में पूरी फसल बरबाद हो सकती है।
लखनऊ, जेएनएन। लगातार गिरता तापमान, कोहरा, और नम मौसम में आलू की फसल झुलसा रोग के प्रति संवेदनशील हो जाती है। आलू की खेती के लागत और झुलसा से संभावित भारी क्षति के मद्देनजर किसानों को तुरंत रोकथाम के उपाय करने चाहिए। झुलसा रोग का तेजी से प्रकोप पूरी पत्तियों व तने से होता हुआ कंद तक पहुंच जाता है। यह अपेक्षाकृत अधिक खतरनाक है। समय से रोकथाम न होने पर 2-3 दिन में पूरी फसल बरबाद हो सकती है।
रोकथाम के तरीके
- हल्की सिंचाई के जरिये खेत में नमी बनाए रखें।
- खेत के पश्चिमी छोर पर आग सुलगाकर धुंआ करें।
- 2 से 2.5 किलोग्राम मैंकोजेब या प्रोपीनेब या क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंद नाशक दवा का एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- जिन खेतों में झुलसा के लक्षण दिख रहे हों उनमें तीन किग्रा साईमोक्सेनिल और मैंकोजेब के मिश्रण या डाईमेथोमार्फ एक किग्रा $ और मैंकोजेब के दो किग्रा मिश्रण का एक हजार लीटर पानी के घोल में प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
आलू झुलसा के प्रति संवेदनशील
निदेशक उद्यान डॉ.आर पी सिंह के अनुसार इस मौसम में आलू की अगैती और पिछैती दोनों फसलें झुलसा के प्रति संवेदनशील होती हैं। अगैती में रोग का प्रकोप नीचे की पत्तियों से शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ता है। पत्तियों में भूरे रंग के छोटे-छोटे गोल, अंडाकार या कोणीय धब्बे बन जाते हैं जिनका आकार तेजी से बढ़कर पूरी पत्तियों को ढक लेता है। शुरुआत में किनारे की पत्तियां काली होनी शुरू होती हैं।