मासूम बेटे की हत्या के आरोपित को आजीवन कारावास
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश संदीप गुप्ता ने सुनाई सजा। पत्नी ने किया था शराब पीने से मना तो कर दी थी हत्या 20 हजार का जुर्माना भी लगाया।
लखनऊ, जेएनएन। शराब पीने के लिए खेत बेचने से मना करने पर पत्नी से नाराज पति मकरंदी पासी द्वारा तीन वर्षीय बेटे की हत्या करने के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश संदीप गुप्ता ने आजीवन कारावास एवं बीस हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
अदालत के समक्ष अपने मृत पुत्र खुशीराम के लिए न्याय मांगने वाली मां बुधाना के अलावा घर के सभी चश्मदीद गवाह अपनी गवाही से मुकर गए। अदालत के समक्ष गवाही में पक्षद्रोही साबित किए गए गवाहों से जब सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अशोक कुमार त्रिपाठी ने जिरह शुरू की तब वह सच्चाई उगलने लगे। जिरह में यह तथ्य सामने आया कि जब मकरंदी पासी अपने पुत्र खुशीराम की हत्या करके कमरे से बाहर निकला तब उसकी मां सुरजादेवी चिल्लाई थी कि मकरंदी ने मेरे पोते खुशीराम को मार डाला है।
न्यायधीश संदीप गुप्ता ने अपने निर्णय में बहुत ही भावुक शब्दों में कहा है कि 'प्रत्येक सत्र विचारण सत्य की खोज के लिए एक यात्रा होती है। वर्तमान सत्र परीक्षण भी उन्हीं यात्राओं में से एक है। प्रश्नगत प्रकरण, प्रकृति द्वारा स्थापित मानव संबंधों के मध्य स्थित प्यार, अपनापन, लगाव की परिभाषा के विपरीत किए गए कथित कृत्य के बावत है। जिसमें पिता के ऊपर अपने ही पुत्र की हत्या का आरोप है।
बहस के दौरान सरकारी वकील अशोक कुमार त्रिपाठी ने बताया कि घटना की रिपोर्ट वादिनी बुधाना ने 29 नवंबर 2015 को थाना नगराम में लिखाई थी। जिसमें कहा गया है कि उसकी शादी बजरंग से हुई थी। जिनकी मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई मकरंदी पासी से शादी करा दी गई।
कहा गया है कि मकरंदी पासी से एक लड़की एवं लड़का खुशीराम है। बजरंगी की मृत्यु के बाद उसके हिस्से की जमीन बुधाना के नाम हो गई जिसे बेचने के लिए मकरंदी पासी दबाव डालता था तथा मारता पीटता था। जिसकी शिकायत पुलिस में की गई थी तथा वह अपनी बुआ के पास रह रही थी तभी खुशीराम की हत्या कर दी गई।