Lie Detector Machine: अब गुमराह नहीं कर पाएंगे अपराधी, पांच शहरों में लगेगी झूठ पकड़ने वाली मशीन
Lie Detector Machine तकनीकि परीक्षण में अपराधी मशीन के सामने नहीं बोल पाएंगे झूठ। उत्तर प्रदेश पांच और शहरों की फोरेंसिक लैब में होगा लाइ डिटेक्शन टेस्ट। यूपी में लाइ डिटेक्शन टेस्ट की सुविधा अभी तक सिर्फ लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में ही थी।
लखनऊ, [सौरभ शुक्ला]। किसी भी बड़ी अपराधिक वारदात में अपराधी या अपराध करने वाले का बयान सबसे प्रमुख माना जाता है। उसी के आधार पर कोर्ट उसे सजा सुनाती अथवा बरी करती है। प्रदेश सरकार गंभीर अपराधों पर पर्दा डालकर खुद को निर्दोष साबित करने वालों के खिलाफ अभियान चला रही है। जिससे न्याय का पक्ष प्रबल हो और पीड़ित को न्याय को मिल सके।
इस कड़ी में सरकार ने गोरखपुर, गाजियाबाद, कन्नौज, प्रयागराज और आगरा में नार्को और लाइ डिटेक्शन टेस्ट लैब खोलने का निर्णय लिया है। पहले फेस में अगस्त के पहले हफ्ते से गोरखपुर, गाजियाबाद और कन्नौज में यह व्यवस्था शुरू हो जाएगी। वहीं, दूसरे चरण में प्रयागराज और आगरा में होगी। इसके पहले नार्को और लाइ डिटेक्शन (पालीग्राफ) टेस्ट की सुविधा सिर्फ लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में ही थी।
नार्को अथवा सम्मोहन टेस्ट में अर्धनिद्रा में जाते ही अपराधी बोलने लगता है सच : इस टेस्ट में फोरेंसिक एक्सपर्ट के साथ ही एक फिजीशियन डाक्टर का भी होना आवश्यक होता है। इसमें अपराधी को लैब में बैठाया जाता है। फिजीशियन एक घोल अपराधी को पिलाते हैं। जिसके बाद वह अर्ध निद्रा में चला जाता है। उसके समक्ष एक्सपर्ट संबंधित घटना को ब्रीफ करते हैं। जिसके बारे में सच उगलवाना होता है। इसके बाद अपराधी घटना से जुड़ी सारे सही तथ्य बताने लगता है।
लाइ डिटेक्शन अथवा पालीग्राफ टेस्ट में झूठ बोलते ही बढ़ने लगती है पल्स : इसमें अपराधी को बैठाकर उसे कुछ ईसीजी टेस्ट की तरह कुछ यंत्र लगाए जाते हैं। फिर एक्सपर्ट उससे घटना से संबंधित सवाल करते हैं। अपराधी जवाब देता है। अगर वह झूठ बोल रहा होता है तो उसकी पल्स बढ़ने लगती है। इसका ग्राफ सामने स्क्रीन पर साफ दिखाई देता है। इस तरह की तकनीकि से अपराधी का झूठ पकड़ा जाता है।
नार्को और लाइ डिटेक्शन टेस्ट प्रदेश में अब तक लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में होता था। सरकार के निर्देश पर अगस्त से यह टेस्ट पहले चरण में गोरखपुर, गाजियाबाद और कन्नौज में शुरू होगा। दूसरे चरण में आगरा और प्रयागराज में। इसके लिए स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। -अतुल कुमार मित्तल, निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला, उत्तर प्रदेश