एप टैक्सियों की मनमानी पर विभाग की पकड़, कंपनी को लेना होगा लाइसेंस
ओला-उबर जैसी तमाम एप टैक्सियों के लिए परिवहन विभाग ने पहली बार बनाई नीति। मोबाइल पर वाहन देने वाली कंपनियों की अब होगी निगरानी आसान।
लखनऊ[नीरज मिश्र]। एप से बुक होने वाले वाहनों जैसे ओला, उबर आदि के लिए परिवहन विभाग नियम कानून तय करने जा रहा है। महकमा पहली बार इन सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के लिए एक पॉलिसी तैयार कर उसे अंतिम रूप दे चुका है। परीक्षण कर इसे जल्द ही शासन को भेज दिया जाएगा। जिम्मेदारों का कहना है कि इससे मोबाइल पर वाहन उपलब्ध कराने वाली ओला, उबर सरीखी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों और चालकों की मनमानी पर विभाग की सीधी नजर रहेगी और नियमानुसार वाहनों का संचालन किया जा सकेगा।
अभी तक यह सेवा प्रदाता कंपनिया अप्लीकेशन आधारित व्यवस्था दे रही थीं। अब महकमा उन पर नियंत्रण कर सकेगा। उन्हें अगर सर्विस प्रोवाइड करनी है तो एग्रीगेटर के तौर पर तय किए जा रहे नियमों के तहत बाकायदा एक लाइसेंस लेना होगा। यह लाइसेंस पाच साल का होगा। इसके दायरे में बाइक टैक्सी और चौपहिया गाड़िया उपलब्ध कराने वाली कंपनिया बतौर एग्रीगेटर के रूप में आएंगी। बाइक टैक्सी के लिए नियम:
- जिनके पास पाच या इससे अधिक बाइक हैं और वह उन्हें बाइक टैक्सी में चलाना चाहता है तो राज्य परिवहन प्राधिकरण से लाइसेंस लेना होगा।
- पाच वर्ष के लाइसेंस की फीस बीस हजार रुपया होगी।
- एक हजार रुपया सिक्योरिटी के रूप में जमा करना होगा।
- वाहन रखने, उसके रखरखाव, मोबाइल एवं फोन की व्यवस्था संचालक के पास होना जरूरी।
- तय की गई फीस ही लेनी होगी। वाहन ट्रैकिंग सिस्टम से जुड़ा होना चाहिए।
- बाइक टैक्सी में पीछे बैठने वाली सवारी को हेल्मेट भी उपलब्ध कराना होगा। चौपहिया वाहन के नियम:
- कम से कम फ्लीट में सौ वाहन होने चाहिए। चाहे वह अपने खुद के हों या फिर एग्रीमेंट के तहत संस्था से जुड़े हों, ऐसी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बतौर एग्रीगेटर एसटीए से लाइसेंस लेना होगा।
- पाच वर्ष के लाइसेंस की फीस एक लाख रुपया होगी।
- नियमानुसार वाहन की फिटनेस और एक्ट के अनुसार पंजीयन होना जरूरी।
- यात्री का थर्ड पार्टी बीमा और रिस्क कवर होना आवश्यक
- डिस्प्ले बोर्ड वाहन पर लगाना होगा। इसमें ड्राइवर का डिटेल, उसका फोटोग्राफ, डीएल नंबर आदि जरूरी जानकारिया प्रदर्शित करनी होंगी।
- कार्यालय, मोबाइल व फोन की व्यवस्था संचालक के पास जरूरी। लाइसेंसिंग अथॉरिटी को होंगे यह अहम अधिकार:
- नियमों का पालन न करने पर लाइसेंस निरस्त किया जा सकेगा।
- यात्री सुविधा में कोताही बरतने पर सिक्योरिटी मनी भी जब्त की जा सकती है।
क्या कहते हैं परिवहन आयुक्त?
परिवहन आयुक्त पी. गुरूप्रसाद का कहना है कि अभी तक वाहन उपलब्ध कराने वाली सेवा प्रदाता कंपनियों और चालकों पर महकमे का नियंत्रण नहीं था और न ही उनके लिए कोई नियमावली थी। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर यात्री को परेशानी उठानी पड़ती थी। इसे देखते हुए पहली बार एक पॉलिसी तय की गई है। इससे लोगों को फायदा मिलेगा।