जरूरतमंद बच्चों को दाखिला न देने पर सीएमएस की मान्यता रद करने की सिफारिश
जरूरतमंद बच्चों को दाखिला न देना सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) पर भारी पड़ सकता है। बीएसए ने इसे निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकारों का हनन करार दिया है।
लखनऊ, (जागरण संवाददाता)। जरूरतमंद बच्चों को दाखिला न देना सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) को भारी पड़ सकता है। बीएसए ने इसे निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकारों का हनन करार दिया है। साथ ही आइसीएसई बोर्ड से मान्यता रद करने की सिफारिश की है। बीएसए डॉ. अमरकांत सिंह के मुताबिक शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों को जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त दाखिला देना अनिवार्य है। सत्र 2018-19 में दुर्बल आय वर्ग के 270 बच्चों को प्रवेश के लिए सीएमएस स्कूल आवंटित किया गया। इन बच्चों को पूर्व प्राथमिक व कक्षा एक में निश्शुल्क प्रवेश दिया जाना था।
सीएमएस प्रबंधन ने इसमें से अधिकतर छात्रों को अपात्र बताते हुए प्रवेश देने से मना कर दिया। स्कूल को कई बार रिमाइंडर व नोटिस दिया गया। मगर तथ्यहीन तर्क देकर आरटीई के नियम व शासनादेश का उल्लंघन किया गया। ऐसे में आइसीएसई बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को स्कूल की सभी शाखाओं की मान्यता रद करने के लिए पत्र लिखा गया है। पत्र में सिर्फ तीन बच्चों को दाखिला देन की बात कही गई, जबकि कार्यालय के रिकॉर्ड में अभिषेक कुमार व अनन्या को जापलिंग व स्टेशन रोड की ब्रांच में दाखिला मिलना दर्ज है। सीएमएस संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी ने भी दो बच्चों के प्रवेश की पुष्टि की।
पहले आयु कम, फिर पता और वार्ड गलत ठहराया
बीएसए डॉ. अमरकांत के मुताबिक कुल 270 बच्चों में से 25 को छह वर्ष से कम आयु होने का हवाला देकर प्रवेश देने से मना कर दिया, जोकि तर्कसंगत नहीं है। ऐसे में चार अगस्त को दोबारा 25 बच्चों की सूची स्कूल को प्रवेश के लिए भेजी गई। इसके बाद 30 अगस्त को स्कूल ने कार्यालय पत्र भेजकर सूची में शामिल सभी 25 बच्चों को विभिन्न कारण बताकर अपात्र करार दे दिया। इसमें लगभग पांच बच्चों को आउट ऑफ वार्ड, 15 को दूसरे स्कूल में ऑल रेडी स्टडी, तीन को गरीबी रेखा से ऊपर व दो को छह वर्ष से कम बताकर खारिज कर दिया गया।
कोर्ट के निर्देश पर लिया था दाखिला
आरटीइ के तहत शहर में वर्ष 2016-17 में 2238, 2017-18 में 6700 और वर्ष 2018-19 के लिए 6500 के करीब बच्चों को निजी स्कूलों में दखिला कराया गया। वहीं सीएमएस की शहर में 18 ब्रांच हैं। इनमें वर्ष 2016-17 में कोर्ट के आदेश पर 13 बच्चों का दखिला हुआ। वहीं वर्ष 2017-18 में एक भी बच्चे को प्रवेश नहीं मिला। इस बार सिर्फ दो बच्चों को एडमिशन दिया गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
हमें बीएसए का पत्र प्राप्त हो गया है। यह सत्य नहीं है। उपलब्ध कराई गई सूची में सिर्फ दो बच्चे योग्य पाए गए, इनका दाखिला कर लिया गया है। अयोग्य बच्चों को प्रवेश देना कानून अपराध है। मैंने सभी साक्ष्य भी मुहैया करा दिए हैं। आइसीएसई से कोई पत्र आएगा तो वहां भी साक्ष्य समेत जवाब रखूंगा।
डॉ. जगदीश गांधी, संस्थापक, सीएमएस