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दवाओं की सूची से गैरजरूरी दवाएं की जाएं बाहर: सिद्धार्थनाथ

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि जरूरी दवाओं की सूची से गैर जरूरी दवाएं बाहर की जाएं। इससे जरूरी दवाओं की कमी हो जाती है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 01 Nov 2017 09:32 PM (IST)Updated: Wed, 01 Nov 2017 09:32 PM (IST)
दवाओं की सूची से गैरजरूरी दवाएं की जाएं बाहर: सिद्धार्थनाथ
दवाओं की सूची से गैरजरूरी दवाएं की जाएं बाहर: सिद्धार्थनाथ

लखनऊ (जेएनएन)। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि जरूरी दवाओं की सूची से गैर जरूरी दवाएं बाहर की जाएं। इस कारण अस्पतालों में गैरजरूरी दवाएं भरी रहती हैं जबकि जरूरी दवाओं की कमी हो जाती है। उन्होंने जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए अलग-अलग दवाओं की सूची तैयार करने के लिए कहा है। सरकारी अस्पताल में दवाओं की कोई कमी न होने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिन दवाओं की भविष्य में जरूरत है उन्हें समय रहते खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। 

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स्वास्थ्य मंत्री बुधवार को अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता पर समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में स्वास्थ्य विभाग में 1337 जरूरी दवाओं की सूची है। साथ ही अलग-अलग साल्ट की 450 दवाएं चिह्नित की गई हैं। राजकीय चिकित्सालयों में 450 दवाओं की ही आवश्यकता होती है। इन दवाओं की कमी अस्पतालों में नहीं होनी चाहिए। 

उन्होंने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पद्माकर सिंह को निकट भविष्य में जरूरत पडऩे वाली दवाओं का अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में यदि रेट कॉन्ट्रेक्ट दर निर्धारित है तो उसे नियमानुसार तय कर प्रस्ताव केंद्रीय क्रय समिति की संस्तुति के साथ भेजा जाए। मंत्री ने तमिलनाडु व राजस्थान में दवा खरीद के लिए रेट कॉन्ट्रेक्ट की प्रचलित प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए कहा है। बैठक में सचिव स्वास्थ्य वी हेकाली झिमोमी, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. पद्माकर सिंह सहित कई वरिष्ठ अफसर मौजूद थे। 

विलंब से दवा आपूर्ति करने वाली कंपनियों को किया जाए चिह्नित

स्वास्थ्य मंत्री ने विलंब से दवा की आपूर्ति करने वाली या फिर आपूर्ति न करने वाली दवा कंपनियों को चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। इनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि अक्सर दवा कंपनियां विलंब से इसलिए दवाओं की सप्लाई करती हैं क्योंकि उनका भुगतान लंबित होता है। ऐसी दवा कंपनियों का तत्काल भुगतान कराया जाए। यदि बजट की कोई कमी है तो उसके लिए प्रस्ताव शासन भेजा जाए। 


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