जिसपर था बचाने का जिम्मा, उसी लेखपाल ने बेच दी कांशीराम आवासीय योजना की जमीन Lucknow News
नटवर लाल के कारनामों को भी फेल किया। जिलाधिकारी को लिखा पत्र खतौनी में बदलाव की मांग।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। जिस लेखपाल पर सरकारी जमीन को बचाने का जिम्मा था, वह खुद ही भू-माफिया बन गया। सदर तहसील में तैनात लेखपाल रूप सिंह ने जमीन पर कब्जा करने के लिए नटवर लाल के कारनामों को भी फेल कर दिया। शिकायत पर जांच हुई तो हकीकत सामने आ गई।
अब यह जांच और होना बाकी है कि नगर निगम की जमीन को कांशीराम शहरी गरीब आवासीय योजना के लिए दिया गया था या फिर लेखपाल ने सदर तहसील में तैनात रहे अधिकारियों से मिलकर यह खतौनी में फर्जी तरह से दर्ज कराने का षड़यंत्र रचा था। कांशीराम शहरी आवास योजना के नाम खतौनी में दर्ज की गई जमीन पर कोई आवास तो नहीं बना, लेकिन चर्चा में रहने वाले लेखपाल की नीयत डोल गई। जमीन को बेचने के साथ ही उसने एक प्लॉट को अपने पास भी रख लिया था। इस पूरे मामले में सदर तहसील के अफसरों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। खतौनी में पारा में खसरा नंबर 2874 की 1.163 हेक्टेयर भूमि को कांशीराम शहरी आवास योजना में दिए जाने का जिक्र है। यह जमीन नगर निगम की बंजर श्रेणी में दर्ज थी और बाद में खतौनी में कांशीराम शहरी आवासीय योजना के नाम दर्ज हो गई थी। पार्षद रीना रावत ने इस मामले को नगर निगम सदन में उठाया और जमीन पर हुए अवैध कब्जों को हटाने की मांग की थी। इसके बाद नगर निगम ने जांच कराई गई। नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि रूप सिंह पारा क्षेत्र का ही लेखपाल है और साजिशन उसने जमीन को बेचने के साथ ही खुद भी कब्जा किया था।
नगर आयुक्त ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि ग्राम पारा में कांशीराम शहरी आवासीय योजना में दर्ज की गई जमीन को अभिलेख में गलती से दर्ज किया गया था। नगर निगम अवैध कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। पत्र में लिखा गया कि क्षेत्रीय लेखपाल रूप सिंह का 2674 वर्गफीट भूमि पर कब्जा होने से साफ है कि अभिलेखों में फर्जी तरह से इंद्राज किया था और लेखपाल की भूमिका थी संदिग्ध है। इसलिए खतौनी में कांशीराम शहरी आवासीय योजना का नाम निरस्त करते हुए उसे नगर निगम के नाम दर्ज किया जाए, जिससे अवैध कब्जों को हटाया जा सके।