कुंभ के दौरान चलता रहेगा कानपुर-उन्नाव में चमड़ा उद्योग, गंगा में गंदगी न गिराने की शर्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कानपुर व उन्नाव में चमड़े की फैक्ट्रियों को कुंभ के दौरान सशर्त चलाने की अंतरिम अनुमति दे दी है
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कानपुर व उन्नाव में चमड़े की फैक्ट्रियों को कुंभ के दौरान इस शर्त के साथ चलाने की अंतरिम अनुमति दे दी है कि ये फैक्ट्रियां गंगा में किसी प्रकार का अपशिष्ट पानी नहीं गिरायेंगी। सरकार ने कुंभ के दौरान गंगा नदी की सफायी के मद्देनजर इन फैक्ट्रियों को तीन महीने के लिए बंद करने के आदेश दे दिये थे। कोर्ट ने कहा कि याची फैक्ट्रियों को निर्बाध काम करने की इजाजत दी जाती है लेकिन वे गंगा में सीधे या किसी ऐसे नाले में फैक्ट्री का गंदा पानी नहीं गिरायेगी जो सीधे गंगा में खुलते हो। कोर्ट ने मामले की सुनवायी चार जनवरी को तय करते हुए राज्य सरकार को इस प्रकरण में पूरी बात रखने का आदेश दिया है।
चमड़ा फैक्ट्रियों को बंद करने के आदेश को चुनौती
यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने दो अलग-अलग फैक्ट्रियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते पारित किया। शीतकालीन अवकाश के चलते चीफ जस्टिस ने प्रकरण को सुनने के लिए उपरेाक्त विशेष पीठ का गठन किया था। याचियों की ओर से कहा गया था कि प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले के चलते राज्य सरकार के निर्देश पर यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 26 नवंबर को एक आदेश जारी कर तीन माह के लिए कानपुर व उन्नाव की सभी चमड़ा फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया है।
बीस हजार लोगों की बेरोजगारी की दुहाई
याचियों ने बोर्ड के उक्त आदेश को रद करने की मांग करते हुए कहा कि तीन माह उद्योग बंद होने से करीब बीस हजार लोग बेरोजगार हो जायेंगे। कहा गया कि उनकी ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि तीन माह के दौरान उनकी फैक्ट्रियों का गंदा पानी गंगा में न गिराकर अस्थायी तौर पर कहीं और गिराया जायेगा लेकिन उस प्रस्ताव पर विचार ही नहीं किया गया। यह भी कहा गया कि चमड़ा उद्योग से काफी विदेशी मुद्रा अर्जित होती है जिसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ेगा। यह भी कहा गया कि फैक्ट्रियां बंद होने से विदेशी व देशी कम्पनियों से लिये गये ठेके भी पूरे नही हो पायेगें जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होगा। वहीं यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कहा गया कि सरकार के केवल एक मंतव्य है कि कुंभ के दौरान गंगा का जल साफ व पीने योग्य बना रहे जिससे लेागों को कोई नुकसान न होने पाये।